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कवि कीट्स का पत्र फेनी के नाम

हमें फॉलो करें कवि कीट्स का पत्र फेनी के नाम
मई , 1820 मंगलवार प्रात :

मेरी प्रियतमा प्रेयसी,

मैंने तुम्हारे लिए एक पत्र लिखा था। मुझे आशा थी कि तुम्हारी माँ से मिलना होगा। अब अगर यह पत्र मैं तुम्हारे पास भेजूँ तो यह मेरा स्वार्थ होगा, क्योंकि मैं जानता हूँ कि तुम्हें यह थोड़ा कष्ट पहुँचाएगा। मैं चाहता हूँ तुम समझो कि तुम्हारे प्रेम ने मुझे कितना दुःख और पीड़ित बना दिया है। मैं तुम्हें अपनी ओर खींचने की जितनी भी कोशिश कर सकता हूँ, करता हूँ, और चाहता हूँ कि तुम मुझे अपने हृदय का पूरा प्यार दो। इसी एक बात पर मेरी जिंदगी निर्भर करती है। तुम जरा इधर-उधर हिलीं या तुमने अपना ध्यान इधर-उधर किया और मेरा हृदय फट-सा गया। मुझे तुम्हारा गहरा लालच हो गया है.... मेरे सिवाय किसी भी दूसरी चीज के बारे में मत सोचो... ऐसे मत रहो जैसे मैं इस दुनिया में हूँ ही नहीं। मुझे भूल मत जाओ, लेकिन यह कहने का मुझे क्या अधिकार है कि तुम मुझे भूल गई हो?

शायद तुम सारे-सारे दिन मुझे याद करती हो। क्या अधिकार है मुझे यह कहने का, कि मेरे कारण तुम अपनी खुशियों को छोड़ दो? पर मुझे क्षमा करना, मैं ऐसा ही चाहता हूँ। अगर तुम जानती कि मेरे हृदय में कितनी उत्कट लालसा है कि तुम मुझे उतना ही प्यार करो जितना कि मैं तुम्हे करता हूँ, कि तुम मेरे सिवाय और किसी के बारे में कुछ भी न सोचो तो वह वाक्य तुम कभी भी न लिखती जो तुमने लिखा है।

कल और आज सुबह भी तुम्हारा मीठा रूप मेरी आँखों में भरा रहा। सारे समय मैं तुम्हें तुम्हारी लकड़हारिन के वेश में देखता रहा। कितनी पीड़ा मेरी इन्द्रियों ने अनुभव की! मेरा हृदय तुम्हारे इस रूप की ओर कितना लपका! किस प्रकार मेरी आँखें आँसुओं से भर-भर आई! मेरा विश्वास है कि सच्चा प्यार विशाल से विशाल हृदय को आपूर भर देने के लिए एकदम काफी है। जब मैंने सुना कि तुम अकेली शहर गईं, तो मेरे दिल को धक्का-सा लगा, पर मुझे इस बात का डर पहले से ही था। वचन दो कि जब तक मैं अच्छा न हो जाऊँ, तुम ऐसा न करोगी। मुझे वचन दो और अपने पत्र को प्यार की मीठी भाषा से भर दो। यदि तुम मन से ऐसा नहीं कर सकती तो, मेरी प्यारी! मुझे साफ-साफ बता दो।

अपने हृदय को मेरे सामने खोल दो। यदि तुम्हारा हृदय सांसारिक हृदय सुखों की ओर बहुत अधिक भागता है तो इस सत्य को मेरे सामने स्वीकार करो। शायद मैं समझ लूँगा कि तुम मुझसे बहुत दूर हो। तब मैं तुम्हें पूरी तरह अपना बनाने में स्वयं को असफल मान लूँगा। अगर तुम्हारी एक चहेती चिड़िया पिंजरे से छूटकर उड़ जाए, तो जब तक वह दिखाई देती रहेगी तुम उसे वापस लाने के लिए तड़पती रहेगी। जब वह बिल्कुल ही गायब हो जाए तभी तुम थोड़ा-सा चैन पा सको तो पा सको।

यदि ऐसी ही बात हो तो तुम स्पष्ट बता दो, कि मेरे सिवाय किन-किन चीजों की तुम्हें अनिवार्य आवश्यकता है। मैं व्यय कर लूँगा और थोड़ा अधिक खुश रह सकूँगा। ठीक है तुम कह सकती हो- 'मुझे यौवन के भोग न भोगने देना कितना स्वार्थपूर्ण और क्रूर है और मुझे अप्रसन्न बनाना है?' यदि तुम मुझे प्यार करती हो तो तुम्हें ऐसा ही बनना पड़ेगा।

मेरी आत्मा दूसरी किसी भी बात से सन्तुष्ट नहीं हो सकती। अगर तुम पार्टियों का आनन्द लेना चाहो और उन्ही में अपनी खुशी मानो, यदि तुम लोगों के सामने मुस्कराओ और उन्हें अपनी तारीफें करने पर मजबूर करो, तो न तुम्हें मुझसे प्यार है और न अपनी तारीफें करने पर मजबूर करो, तो न तुम्हें प्यार है और न कभी तुम मुझसे प्यार कर सकोगी। तुम्हारे प्यार का निश्चय ही मेरी जिंदगी है। मेरी मधुरे! मुझे अपने प्यार का विश्वास दिला दो! यदि तुम किसी भी तरह ऐसा यकीन न दिला सकीं तो मैं हृदय की पीड़ा से मर जाऊँगा आगर हम एक-दूसरे से प्यार करते हैं तो हमें दूसरे स्त्री-पुरुषों की तरह नहीं रहना होगा।

मैं फैशन, चमक-दमक और गुप्त प्यार के मीठे विष को सहन नहीं कर सकता। तुम्हें सिर्फ मेरी होना होगा। यदि तुम्हें सूली पर चढ़ने के लिए भी मैं कहूँ तो तुम्हें वह भी करना होगा। मैं नहीं कहता कि मुझसे मेरे दूसरे साथियों की अपेक्षा अधिक पीड़ा है, पर मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे कोमल अथवा सख्त सभी पत्रों को ध्यान से पढ़ो और सोचो, कि इन पत्रों को लिखने वाला व्यक्ति आखिर कितनी देर तक इस मानसिक कष्टों और संदेहों को सहता चला जाएगा। जिन्हें तुम अपने विचित्र व्यवहारों से उस पर थोपती चली जा रही हो?

यदि तुम पूरी तरह मेरी न बन सकीं तो शरीरिक स्वास्थ्य को फिर से प्राप्त करने का मुझे क्या लाभ होगा। भगवान के लिए मुझे बचा लो या मुझे बात दो कि तुम्हारी लालसा मेरे लिए एक भयानक चीज है। ईश्वर तुम्हारी सहायता करें.....

जॉन कीट्स
नहीं, मेरी मधुर फेनी! मैंने ऊपर गलत कहा है। मैं नहीं चाहता कि तुम अप्रसन्न रहो और फिर भी मैं ऐसा ही चाहता हूँ और जरूर-जरूर ऐसा चाहूँगा, जबकि मेरी प्रेयसी इतनी मुधर लावण्यवती प्रिय है। मेरी मनोहिनी! मेरी प्यारी! विदा। तुम्हें मेरे चुम्बन-आह, कितना कष्ट है...

जॉन कीट

* फेनी ने कीट्स के प्यार को ठुकरा दिया और वह अपने लिखे अनुसार शीघ्र ही मर गया।

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