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Lok Sabha Election : नगालैंड के 6 जिलों में नहीं हुआ मतदान, जानिए क्‍या है वजह...

हमें फॉलो करें Lok Sabha Election : नगालैंड के 6 जिलों में नहीं हुआ मतदान, जानिए क्‍या है वजह...

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

कोहिमा , शनिवार, 20 अप्रैल 2024 (00:05 IST)
Voting did not take place in 6 districts of Nagaland : नगालैंड के 6 पूर्वी जिलों में मतदान कर्मी मतदान केंद्रों पर 9 घंटे तक इंतजार करते रहे, लेकिन 'फ्रंटियर नगालैंड टेरिटरी' (एफएनटी) की मांग को लेकर दबाव बनाने के लिए एक संगठन द्वारा आहूत बंद के बाद क्षेत्र के 4 लाख मतदाताओं में से कोई भी मतदान करने नहीं आया।
मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने शुक्रवार को इसकी पुष्टि की कि राज्य सरकार को ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) की एफएनटी की मांग से कोई दिक्कत नहीं है, क्योंकि वह पहले ही इस क्षेत्र के लिए स्वायत्त शक्तियों की सिफारिश कर चुकी है। ईएनपीओ पूर्वी क्षेत्र के सात जनजातीय संगठनों की शीर्ष संस्था है। अधिकारियों ने बताया कि जिला प्रशासन और अन्य आपातकालीन सेवाओं से जुड़े लोगों एवं वाहनों को छोड़कर सड़कों पर किसी भी व्यक्ति या वाहन की कोई आवाजाही नहीं दिखी।
 
मतदान कर्मी सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक मौजूद रहे : नगालैंड के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी आवा लोरिंग ने बताया कि 20 विधानसभा क्षेत्रों वाले इस क्षेत्र के 738 मतदान केंद्रों पर मतदान कर्मी सुबह सात बजे से शाम चार बजे तक मौजूद रहे। सीईओ कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि इन नौ घंटों में कोई भी वोट डालने नहीं आया। बीस विधायकों ने भी अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं किया। नगालैंड के 13.25 लाख मतदाताओं में से पूर्वी नगालैंड के छह जिलों में 4,00,632 मतदाता हैं।
मुख्यमंत्री ने राज्य की राजधानी से करीब 41 किलोमीटर दूर तौफेमा में अपने गांव में वोट डालने के बाद कहा कि उन्होंने एफएनटी के लिए ‘ड्राफ्ट वर्किंग पेपर’ स्वीकार कर लिया है, जिसे उन्हें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की उपस्थिति में सौंपा गया था। ईएनपीओ यह आरोप लगाते हुए छह जिलों को मिलाकर एक अलग राज्य की मांग कर रहा है कि पूर्ववर्ती सरकारों ने इस क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास नहीं किया।
 
राज्य सरकार पहले ही एक स्वायत्त निकाय की सिफारिश कर चुकी : हालांकि मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पहले ही एक स्वायत्त निकाय की सिफारिश कर चुकी है, ताकि इस क्षेत्र को राज्य के बाकी हिस्सों के बराबर पर्याप्त आर्थिक पैकेज मिल सके। रियो ने कहा, जब एक स्वायत्त निकाय बनाया जाता है, तो निर्वाचित सदस्यों के साथ एक उचित प्रणाली होनी चाहिए। राज्य सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है। विधायकों और ईएनपीओ को एक सूत्र पर काम करने के वास्ते बातचीत के लिए बैठना चाहिए। हम उसके बाद ही बात कर सकते हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या वोट न डालने के लिए पूर्वी नगालैंड के 20 विधायकों के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू की जाएगी, उन्होंने कहा, हम टकराव नहीं चाहते हैं। देखते हैं क्या होगा। नगालैंड में लोकसभा चुनाव शुरू होने से कुछ घंटे पहले, ईएनपीओ ने बृहस्पतिवार शाम छह बजे से राज्य के पूर्वी हिस्से में अनिश्चितकालीन पूर्ण बंद घोषित कर दिया।
 
ईएनपीओ को कारण बताओ नोटिस : संगठन ने यह भी आगाह किया था कि यदि कोई व्यक्ति मतदान करने जाता है और कानून-व्यवस्था की कोई स्थिति उत्पन्न होती है, तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित मतदाता की होगी। नगालैंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) वायसन आर. ने बंद को चुनाव के दौरान अनुचित प्रभाव डालने का प्रयास बताते हुए बृहस्पतिवार रात ईएनपीओ को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया।
उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 171सी की उपधारा (1) के तहत जो कोई भी स्वेच्छा से किसी चुनावी अधिकार के स्वतंत्र प्रयोग में हस्तक्षेप करता है या हस्तक्षेप करने का प्रयास करता है, वह चुनाव में अनुचित प्रभाव डालने का अपराध करता है। हालांकि ईएनपीओ के अध्यक्ष त्सापिकीउ संगतम ने शुक्रवार को दावा किया कि यह धारा इस संदर्भ में लागू नहीं होती है।
 
पूर्वी नगालैंड सार्वजनिक आपातकाल में : उन्होंने कहा, सार्वजनिक नोटिस (बंद के लिए) का मुख्य लक्ष्य पूर्वी नगालैंड क्षेत्र में गड़बड़ी की संभावना को कम करना और असामाजिक तत्वों के जमावड़े से जुड़े जोखिम को कम करना था, जो हमारे अधिकार क्षेत्र में है। उन्होंने कहा कि पूर्वी नगालैंड वर्तमान में सार्वजनिक आपातकाल में है। उन्होंने दावा किया कि बंद क्षेत्र के लोगों द्वारा की गई एक स्वैच्छिक पहल थी।
संगतम ने कहा कि ईएनपीओ ने एक अप्रैल को निर्वाचन आयोग को पूर्वी नगालैंड के लोगों के लोकसभा चुनाव में भाग लेने से दूर रहने के इरादे के बारे में सूचित किया था। उन्होंने कहा कि ईएनपीओ के पास अपने प्रस्तावों या आदेशों को लागू करने के लिए कोई तंत्र नहीं है, वह पूर्वी नगालैंड के लोगों के बीच स्वैच्छिक भागीदारी और आम सहमति के आधार पर संचालित होता है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 

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