Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कुणाल बसु और जापानी बीवी

हमें फॉलो करें कुणाल बसु और जापानी बीवी
ND
कुणाल बसु की यह पुस्तक बेहद चर्चित हुई है। अपर्णा सेन इस पर एक फिल्म बना रही हैं। राहुल बोस, राइमा सेन और जापानी अभिनेत्री छिगासु तकाकू को लेकर

एक जापानी बीवी के हिन्दुस्तानी पति की कहानी है 'जेपेनीज वाइफ'। एक भारतीय स्नेहमय की दोस्ती पत्रों के जरिए एक जापानी महिला से होती है। पत्राचार ही पत्राचार में वे शादी भी कर लेते हैं। पंद्रह साल तक चलने वाले इस संबंध में वे कभी मिलते नहीं! मगर उनके बीच का संबंध पक्का है। तभी पति-पत्नी के बीच आ जाती है 'वो'।

यह 'वो' सचमुच की ही, सदेह उपस्थित है। विधवा संध्या स्नेहमय के घर रहने आती है, अपने आठ वर्षीय पुत्र के साथ। स्नेहमय का बच्चे के साथ रिश्ता प्रगाढ़ होता है। उसकी माँ के साथ भी समझ बनने लगती है। अब एक ओर पत्रों का रिश्ता है, दूसरी ओर धड़कता हुआ सचमुच का संबंध। स्नेहमय अब क्या करेंगे? यही तो कहानी है।

कुणाल बसु की यह पुस्तक बेहद चर्चित हुई है। अपर्णा सेन इस पर एक फिल्म बना रही हैं। राहुल बोस, राइमा सेन और जापानी अभिनेत्री छिगासु तकाकू को लेकर।

कुणाल बसु बताते हैं 'जेपेनीज वाइफ' दरअसल उनकी लिखी लघुकथाओं का एक संग्रह है, जिसमें से एक कहानी पर अपर्णा फिल्म बना रही हैं। यह शीर्षक कथा है। पुस्तक की ग्यारह कहानियों में सभी कुणाल बसु के वैश्विक अनुभवों पर घूमती हैं। यूगोस्लाविया में हुई गड़बड़ियाँ अमेरिकी रॉक स्टार और पंजाबी लड़के की प्रेम कहानी, कलकत्ता में हुए हिन्दू-मुस्लिम दंगे इत्यादि उनकी कहानियों के विषय हैं। बसु कहते हैं उनकी कहानियों में विभिन्न संस्कृतियाँ ही नहीं हैं, बल्कि एक व्यक्ति के सपने, स्मृतियाँ, अन्वेषण, अचानक मिल गए प्रेम आदि भी हैं।

कुणाल बसु का दायरा वैसे भी बड़ा
  कुणाल बसु बताते हैं 'जेपेनीज वाइफ' दरअसल उनकी लिखी लघुकथाओं का एक संग्रह है। पुस्तक की ग्यारह कहानियों में सभी कुणाल बसु के वैश्विक अनुभवों पर घूमती हैं।      
विस्तृत है। वे मैनेजमेंट के फील्ड से आए हैं किंतु कथाकार भी हैं। यूँ आजीविका के दबावों के चलते उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री भी ली, मगर उनका दिल हमेशा सृजन के क्षेत्रों की ओर रहा। उनका कहना है कि घर का वातावरणभी साहित्यिक था। माँ शोबी बसु स्वयं एक लेखिका हैं, पिता प्रकाशन के क्षेत्र में रहे। और आज के जीवन में उनकी पत्नी सुष्मिता चीनी, जापानी भाषाओं की अनुवादक हैं। बेटी अपराजिता बर्कले से भारतीय इतिहास में पीएचडी कर रही है। वह भी लिखती और पेंटिंग करती है।

बसु कहते हैं, मैं अकादमिक क्षेत्रों में रहा तब भी मेरा दिल तो लिखने-पढ़ने के लिए ही था। मुझे लगातार लगता था कि मैं अकादमिक कार्यों के लिए नहीं बना। और अंततः उन्होंने अपने सपनों के लिए समय निकाल ही लिया। उनका पहला नॉवेल 'द ऑपियम क्लर्क' उन्नाीसवीं शताब्दी में अफीम के व्यापार के बारे में था। दूसरा नॉवेल 'द मिनिएचुरिस्ट' अकबर के दरबार का दृश्य उपस्थित करता है। तो एक अन्य नॉवेल 'रेसिस्ट' रानी विक्टोरिया के काल के इर्द-गिर्द बुना गया है।

बसु का कहना है कि वे काफी यात्राएँ करते हैं। अनुशासन से लिखते हैं। यही उनकी सफलता का रहस्य है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi