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‘धरने पर चांद’: जब धरती पर नहीं पहुंचने पर चांद को जारी किया गया ‘कारण बताओ नोटिस’

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रोहित श्रीवास्तव

इस करवाचौथ धरती पर एक विकट स्थिति पैदा हो गई। एक तरफ जहां धरती पर करोड़ों भारतीय सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखा था, वहीं दूसरी तरफ ‘चांद’ था कि आसमान के आंचल में पता नहीं कहां छुपा बैठा था। पत्नियां अधीर होती जा रही थीं और पति कुछ ज्यादा ‘गंभीर’।

माना की व्रत पत्नियों ने किया था पर चांद के समय पर दर्शन न देने का ‘खामियाजा’ पतियों को ही भुगतना पड़ रहा था। धरती पर अफरातफरी का माहौल था। न्यूज़ चैनलों में इसी विषय पर चर्चा-परिचर्चा भी चालू थी। कुछ अति-बुद्धिजीवी लोग ‘चांद’ के अपहरण की बात कर रहे थे तो कुछ का आरोप था की चांद भी अब ‘सांप्रदायिक’ हो गया है, केवल ‘ईद’ में ही दिखाई देता है।

माहौल की भीषण गर्मी मे अर्धांगनियों के ऊष्मा की ज्वाला मे ‘पति-परमेश्वरों’ का पारा ऊंचे आसमान पर था, जिसकी ऊंचाई के सामने एवरेस्ट पर्वत की ऊंचाई भी क्षीण हो गई थी।

भारत सरकार ने आनन-फानन में उचित कदम उठाते हुए भारतीय खुफिया एजेंसियों को ‘चांद’ के सही ठिकाने को ढूंढ निकालने का आदेश दिया था। इसरो के वैज्ञानिक हाल मे गए मंगल पर भारतीय मंगलयान से भी ‘चांद की स्थिति’ पता लगाने की गुहार लगा रहे थे, वहीं मंगलयान का कहना थे ‘देखो भाई, मैं यहां मंगल का पता लगाने आया था, अब ‘चांद’ के बारे में जासूसी करने का ‘एक्सट्रा चार्ज’ लगेगा। राजी हो तो बोलो।

भारतीय वैज्ञानिकों ने ‘मंगयलान’ की शर्त को फट से स्वीकार करते हुए उसे भरोसा दिया कि उसकी बात पर जरूर गौर किया जाएगा।

इसी बीच स्वर्ग से विश्वसनीय सूत्रों से खबर आ रही थी कि देवराज इंद्र स्वर्ग पर अपने सहयोगी देवी-देवताओं के साथ एक आपातकालीन मीटिंग कर रहे हैं। माना जा रहा था, मीटिंग का मूलबिन्दु ‘चांद’ का धरती पर निर्धारित समय पर न पहुंचना था। खबर थी कि इससे पहले आलाकमान सृष्टिकर्ता ब्रह्म देव ने ‘इंद्र’ को तलब करते हुए चांद के धरती पर न पहुंचने का ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया था।

कहा जा रहा है जब देवराज इंद्र के प्रतिनिधियों ने चंद्र-लोक से संपर्क साधने की कोशिश कि तो पता चला असल मे ‘चांद’ महोदय अपनी कुछ मांगों के साथ धरने पर बैठे हैं। ‘चंद्र-लोक’ के प्रवक्ता का चांद की और से बयान आया कि ‘चांद’ की मांगें पूरी तरह से जायज़ और संवैधानिक हैं।

इनकी मांगों को पूरी न करना ‘चंद्रवाधिकार के हनन’ के समान होगा। चांद की ब्रह्म देव और उनके ‘रिपोर्टिंग ऑफिसर’ इंद्र से मूल्यत: दो मुख्य मांगें थीं,पहली की उन पर ‘सांप्रदायिक’ होने के पृथ्वी-वासियों के आरोपों का स्पष्टीकरण ‘ब्रह्म-लोक’ से दिया जाना चाहिए।

दूसरा उनकी छवि को साफ-सुथरा रखने के लिए धरती के लोगों को अधिसूचना जारी कर उनके ‘लिंग-वर्ग’ के बारे मे सही जानकारी देनी चाहिए। कोई उन्हें ‘चंदा मामा’ बुलाता है तो कोई ‘चंद्रमा माता’। कोई उन्हे देखकर ‘ईद’ मनाता है तो कोई उनकी पूजा कर अपना ‘करवा चौथ व्रत’ तोड़ता है। हे भगवन। क्या वह ‘उभयलिंगी’ हैं?

प्रवक्ता की बात सुनकर ब्रह्मा जी आनंद के कारण रोमांचित हो गए उन्होंने कहा, मेरे ‘प्रिय चांद’ की व्यथा सुनकर मेरा मन बड़ा व्याकुल हो गया है। सोच रहा हूं धरती ही नष्ट कर दूं। पर क्या करूं भावनाओं में बहकर और उत्तेजित होकर मैं इतना ‘बेवकूफ’ नहीं जो चांद के लिए समस्त धरती को ही नष्ट कर दूंगा।

ब्रह्मा ने प्रवक्ता से कहा चांद को संदेश दो कि हम अपनी तरफ से कुछ जरूरी कदम उठा रहे हैं, पर उससे पहले चांद धरती के लिए प्रस्थान करें वरना पतियों की उम्र बढ़ाने के लिए रखा गया व्रत ही उनकी ‘ज़िंदगी’ को कम कर देगा। अगर अब और ज्यादा विलंब हुआ तो पत्नियां चंडी और दुर्गा का अवतार लेकर पतियों के साथ समस्त संसार के विनाश का कारण बन सृष्टि का विधान बदल देंगी। आखिरकार ब्रह्मा जी का संदेश पाकर ‘चांद’ ने धरती की सुहागिन स्त्रियों को दर्शन देते हुए वाकई मे करोड़ों पतियों की जिंदगी की डोर कटने से बचाते हुए सभी की उम्र ‘बढ़ा’ दी।

(यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक और मनगढ़ंत है, जिसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है)

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