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दुनिया की बढ़ती आबादी: 11 अहम बातें

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, गुरुवार, 12 जुलाई 2018 (12:12 IST)
संयुक्त राष्ट्र हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाता है ताकि दुनिया को तेज रफ्तार से बढ़ रही जनसंख्या के प्रति जागरूक किया जा सके। जानिए विश्व जनसंख्या के बारे में 11 दिलचस्प बातें।
 
 
कुल कितनी आबादी
दुनिया की आबादी इस समय 7.6 अरब है। लेकिन जिस रफ्तार से इसमें इजाफा हो रहा है, उसे देखते हुए इस सदी के मध्य तक यह 10 अरब के आंकड़े को छू सकती है। वहीं इस सदी के आखिर तक विश्व जनसंख्या 11.2 अरब होने का अनुमान है।
 
 
टॉप 5
दुनिया की एक तिहाई से ज्यादा आबादी भारत और चीन में रहती है। लगभग 1.4 अरब आबादी के साथ चीन सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है, जबकि 1।3 अरब के साथ भारत दूसरे नंबर पर है। टॉप 5 में अमेरिका, इंडोनेशिया और ब्राजील भी शामिल हैं।
 
 
फैलते शहर
जापान की राजधानी टोक्यो दुनिया का सबसे बड़ा शहर है जहां 3.7 करोड़ लोग रहते हैं। इसके बाद 2.9 करोड़ की आबादी के साथ भारत की राजधानी दिल्ली का नंबर आता है। 2.6 करोड़ की आबादी के साथ चीन का शंघाई इस मामले में तीसरे नंबर पर है।
 
 
सिमटते गांव
उत्तरी अमेरिका में 82 प्रतिशत लोग शहरों में रहते हैं जबकि लातिन अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्र में 81 प्रतिशत, यूरोप में 74 प्रतिशत और ओशेनिया (ऑस्ट्रेलिया, पॉलीनेशिया, मेलानेशिया और माइक्रोनेशिया) में 68 प्रतिशत लोगों ने शहरों में आशियाना बनाया है।
 
 
गांवों में अफ्रीका
एशिया में गांव और शहरों में रहने वाले लोगों की संख्या लगभग बराबर है। वहीं अफ्रीका अब भी गांवों में ही बसता है। वहां लगभग 57 प्रतिशत लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। यानी वहां शहरी आबादी सिर्फ 43 प्रतिशत है।
 
 
चीन और भारत के ग्रामीण
दुनिया की 90 फीसदी ग्रामीण आबादी एशिया और अफ्रीका में रहती है। भारत में सबसे ज्यादा लोग गांवों में रहते हैं जिनकी संख्या 89.3 करोड़ है। वहीं चीन में ऐसे लोगों की संख्या 57.8 करोड़ है। दोनों ही देशों में तेजी से शहरीकरण हो रहा है।
 
 
गर्भनिरोधकों की कमी
विकासशील देशों में 21.4 करोड़ महिलाओं तक आधुनिक गर्भनिरोधक उपायों को पहुंचाने की जरूरत है। दुनिया की सबसे गरीब आबादी में से 20 प्रतिशत महिलाएं यौन और प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए तरस रही हैं।
 
 
घातक गर्भपात
दुनिया भर में सालाना होने वाले अनुमानित 5.6 करोड़ गर्भपातों में से लगभग आधे असुरक्षित होते हैं। इसके कारण हर साल 22,800 महिलाओं की मौत हो जाती है। कई देशों में गर्भपात को लेकर कड़े कानून और रुढ़िवादी सामाजिक मान्यताएं भी मुश्किलें पैदा करती हैं।
 
 
छोटी उम्र, बड़ी जिम्मेदारी
छोटी उम्र में मां बनने के 95 प्रतिशत मामले विकासशील देशों में सामने आते हैं। गरीबी के चलते इन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पातीं। दूसरा, कई देशों में बाल विवाह के कारण भी लड़कियां वयस्क होने से पहले ही मां बन रही हैं।
 
 
बूढ़ी होती दुनिया
दुनिया की आबादी में 60 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों की हिस्सेदारी 12.3 प्रतिशत है। 2050 तक यह संख्या लगभग 22 प्रतिशत होने का अनुमान है। [स्रोत: संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या डिवीजन, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या फंड, गुटमाखर इंस्टीट्यूट]
 

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