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AI में निवेश की होड़ वैश्विक अर्थव्यवस्था को कहां ले जाएगी?

हमें फॉलो करें AI में निवेश की होड़ वैश्विक अर्थव्यवस्था को कहां ले जाएगी?

DW

, शनिवार, 24 फ़रवरी 2024 (09:04 IST)
-निक मार्टिन
 
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की अगली पीढ़ी के लिए उन्नत किस्म के चिप्स बनाने की एक वैश्विक होड़ मची है। ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन इस क्षेत्र में 7 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की बात कर रहे हैं। फरवरी की शुरुआत में ही सैम ऑल्टमैन ने उस वक्त हलचल मचा दी जब उन्होंने घोषणा की कि वे अगली पीढ़ी के कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) प्लेटफार्म्स के लिए जरूरी उन्नत किस्म के चिप्स के उत्पादन के लिए दुनियाभर में 5 से 7 खरब डॉलर का निवेश करने जा रहे हैं।
 
ओपनएआई के सीईओ ऑल्टमैन की ओर से प्रस्तावित निवेश के इन आंकड़ों को सुनकर उद्योग जगत के कई विश्लेषक दंग रह गए। प्रस्तावित निवेश के ये आंकड़े अमेरिका के संघीय बजट के करीब एक चौथाई के बराबर है। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इस महीने की शुरुआत में रिपोर्ट दी थी कि ऑल्टमैन एआई क्षेत्र के सामने आने वाली कुछ चुनौतियों को हल करना चाहते हैं। इन चुनौतियों में चिप्स और सेमीकंडक्टर की कमी भी शामिल है जो कि उनकी अपनी फर्म ChatGPT जैसे बड़े भाषा मॉडल को और ज्यादा मजबूत और उपयोगी बनाने के लिए जरूरी हैं।
 
इस अमेरिकी उद्यमी ने चेतावनी दी है कि मानव मस्तिष्क से आगे निकलने में मदद करने के लिए AI को बहुत ज्यादा शक्तिशाली कंप्यूटिंग की जरूरत होगी। बिजनेस डेली के मुताबिक ऑल्टमैन ने हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात में इसके लिए संभावित निवेशकों के साथ चर्चा की है।
 
निवेश की अभूतपूर्व मांग
 
डीडब्ल्यू से बातचीत में वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में कम्प्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग के एमेरिटस प्रोफेसर पेड्रो डोमिंगोस कहते हैं, '7 ट्रिलियन डॉलर की मांग करना ठीक नहीं है। यह तो इतनी बड़ी धनराशि है कि चिप इंडस्ट्री ने अपने पूरे इतिहास में इतना नहीं खर्च किया होगा।'
 
डोमिंगोस कहते हैं कि ऑल्टमैन शायद करीब 7 सौ बिलियन डॉलर पर समझौता कर लेंगे लेकिन यह राशि भी पूरे AI चिप सेक्टर की कीमत से भी ज्यादा है। कनाडा और भारत की संयुक्त एनालिटिक्स फर्म प्रेसीडेंस रिसर्च ने हाल ही में गणना की है कि साल 2030 तक यह उद्योग करीब 135 बिलियन डॉलर का हो सकता है।
 
वहीं, दूसरे लोग सोचते हैं कि जिस तरह से एआई हर तरह से इंसानों से ज्यादा स्मार्ट बनने की महत्वाकांक्षा रखता है, तो ऐसी स्थिति में ऑल्टमैन की यह कल्पना साकार में होने में ज्यादा दिन नहीं लगेगा।
 
सेमी अनैलिसिस संस्था में मुख्य विश्लेषक डायलन पटेल ने डीडब्ल्यू को बताया, 'फिलहाल, चैटजीपीटी4 केवल टेक्स्ट है लेकिन यदि आप चित्र, वीडियो, ऑडियो और इस तरह की अन्य चीजें इसमें जोड़ते हैं तो क्या होगा? और क्या होगा यदि हम यह मान लें कि एआई सभी मोर्चों पर इंसानों से आगे निकल जाता है? इन सब में सैकड़ों, अरबों या खरबों डॉलर का खर्च आएगा।'
 
AI जिस तेजी से प्रगति कर रहा है, उसके नवीनतम संकेत बताते हैं कि ओपनएआई ने पिछले हफ्ते सोरा नाम के एक नए प्लेटफॉर्म को लॉन्च किया है, जो कि किसी एक लाइन में लिखे टेक्स्ट को शॉर्ट वीडियो में बदल सकता है, वो भी उच्च गुणवत्ता में।
 
तेज हुई एआई चिप की दौड़
 
ऑल्टमैन के इन अनुमानों के सार्वजनिक होने से पहले, दुनिया के कुछ प्रमुख देशों की सरकारों ने पहले से ही चिप उद्योग में अपनी हिस्सेदारी सुरक्षित करने या बनाए रखने की कोशिशें शुरू कर दी थीं। इन देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, जापान और कई यूरोपीय देश शामिल हैं।
 
पिछले 18 महीनों में, अमेरिका ने चीनी कंपनियों को अपने यहां बने चिप्स को खरीदने से रोकने के लिए चीन पर प्रतिबंध भी लगाए हैं। लेकिन डोमिंगोस कहते हैं कि उन्नत स्तर की एआई कंप्यूटिंग पॉवर विकसित करने की चीन की क्षमता को बाधित करने के बजाय ये प्रतिबंध 'काउंटरप्रोडक्टिव' साबित हुए।
 
'द मास्टर एल्गोरिथम' पुस्तक के लेखक डोमिंगोस कहते हैं, 'ऐसे कई तरीके हैं जिनसे चीन बिचौलियों के माध्यम से अमेरिकी चिप्स प्राप्त कर सकता है। लेकिन ऐसे प्रतिबंध चीन को अपनी क्षमता विकसित करने और अमेरिकी चिप्स पर कम निर्भर होने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं।' वास्तव में, अमेरिकी प्रतिबंधों ने चीनी नेताओं को प्रोत्साहित किया है जिन्होंने एआई चिप उत्पादन में अपना निवेश बढ़ाने का वादा किया है।
 
चीन तेजी से आगे बढ़ रहा है
 
डायलन पटेल कहते हैं, 'चीन विनिर्माण आपूर्ति श्रृंखला बनाने और आगे बढ़ने के लिए अगले दशक में एआई चिप्स पर 250 अरब डॉलर की सब्सिडी दे रहा है। चीन वर्तमान में चिप निर्माण के क्षेत्र में दुनिया भर में अग्रणी ताइवान से करीब चार से पांच साल पीछे है और सेमीकंडक्टर डिजाइन में दो से तीन साल पीछे है। और मौजूदा समय में इस दौड़ को अमेरिकी चिप कंपनियां जीत रही हैं।'
 
अन्य देशों को AI चिप-उत्पादक देशों की सूची में प्रवेश करने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है, क्योंकि उनके पास माइक्रोसॉफ्ट की तरह कई अरब डॉलर का निवेश करने के लिए बड़ी तकनीकी कंपनियां नहीं हैं- जो ऑल्टमैन के ओपनएआई और गूगल का समर्थन करती है जिसने पिछले साल अपनी एआई चिप को बाजार में उतारा था।
 
पटेल कहते हैं, 'यदि जर्मनी एआई के क्षेत्र में अग्रणी बनना चाहता है, तो उन्हें इस पर सब्सिडी देनी होगी क्योंकि मर्सिडीज बेंज और डेमलर जैसी कंपनियां जरूरी नहीं कि उन्नत चिप्स पर भारी-भरकम निवेश करें।'
 
उन्नत चिप्स एक 'रणनीतिक वस्तु'
 
'चिप वॉर' पुस्तक के लेखक और आर्थिक इतिहासकार क्रिस मिलर ने डीडब्ल्यू को बताया कि वैश्विक शक्तियों के बीच चल रहे मौजूदा भू-राजनीतिक गतिरोध के बीच ज्यादातर देशों ने महसूस किया है कि अल्ट्रा-हाई-स्पीड चिप्स एक 'रणनीतिक वस्तु' बन गए हैं।
 
उन्होंने भविष्यवाणी की कि चीन जैसे निरंकुश देशों को नापाक उद्देश्यों के लिए एआई का उपयोग करने से रोकने के लिए अमेरिकी सरकार और अन्य लोग 'इस बारे में काफी संवेदनशील होंगे कि चिप संयंत्र कहाँ स्थित हैं और उनके उत्पादन में कौन शामिल हैं।'
 
NVIDIA और शेयर बाजार में गिरावट
 
NVIDIA कंपनी एआई चिप डिजाइन में मार्केट लीडर है। कैलिफोर्निया के सांता क्लारा स्थित इस कंपनी की कीमत अब 1.8 ट्रिलियन डॉलर है जिससे यह एएमडी और इंटेल जैसी कंपनियों के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में तीसरी सबसे बड़ी कंपनी बन गई है।
 
शेयर बाजारमें गिरावट के बावजूद निवेशकों की उम्मीदों के चलते NVIDIA की कीमतों में पिछले महीने 296.5 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज की गई। हालांकि ज्यादातर विश्लेषकों का मानना ​​​​है कि यह बढ़ोत्तरी टिकाऊ नहीं है। डोमिंगोस ने एआई के प्रति निवेशकों की मौजूदा दीवानगी की तुलना एक 'ऐसे गुब्बारे से की है जो तब तक बहुत तेजी से फूल रहा है, जब तक कि वह फूट न जाए।'
 
डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहते हैं, 'बहुत सारे लोग, कंपनियां और देश बहुत सारा पैसा खोने जा रहे हैं। बहुत सारा नरसंहार होने वाला है। लेकिन लंबी अवधि में देखें तो एआई इंटरनेट की तरह होगा। इन दिनों डॉटकॉम की हलचल की किसे परवाह है? इंटरनेट एक वास्तविकता है, यह सर्वव्यापी है और प्रौद्योगिकी में आगे की प्रगति का आधार है।'

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