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ये हैं कुछ नशाप्रेमी पशु

हमें फॉलो करें ये हैं कुछ नशाप्रेमी पशु
, गुरुवार, 7 सितम्बर 2017 (15:49 IST)
ड्रग्स और नशे से सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि बिल्ली, हाथी, घोड़े जैसे तमाम जानवर भी आकर्षित होते हैं। पशुओं की तमाम प्रजातियां इन ड्रग्स का आनंद लेने से नहीं चूकती। एक नजर ऐसे पशुओं और इनके नशे पर...
 
बिल्लियां
ड्रग्स का इस्तेमाल करने वाले पशुओं में सबसे ज्यादा नाम बिल्लियों का लिया जाता है। ये बिल्लियां कैटनिप नामक जड़ीबूटी को लेने के बाद अपने व्यवहार में जबरदस्त बदलाव लाती हैं। बिल्लियां कैटनिप का फूल खाती है और इसकी पत्तियों और छाल को शरीर पर रगड़ लेती हैं और कुछ ही मिनटों में बिल्ली का नया रूप सामने आता है।
 
हाथी
भारत में हाथियों की पूजा की जाती है और इनकी सूझ-बूझ की तारीफ भी की जाती है। विज्ञान बताता है कि हाथियों के कुछ भाव इंसानों जैसे ही हैं। इंसानों की ही तर्ज पर ये शराब पीने के शौकीन होते हैं। हाथियों में शराब पीने की प्रवृत्ति भारत और अफ्रीका के कई इलाकों में बड़ी समस्या बन गई है।
 
घोड़े
जिस तरह इंसान निकोटीन पसंद करते हैं उसी तरह घोड़ों को लोकोवीड भाता है। लोकोवीड का पौधा ठंडक वाली जगहों में आसानी से मिल जाता है और इसे देखकर घोड़ों समेत गाय और भेड़ों का भी मन डोल जाता है। दो हफ्ते तक लगातार लोकोवीड का सेवन जानवरों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसके अधिक सेवन से मौत भी हो जाती है। जानवरों को इनसे बचाने के लिये लगातार कोशिशें की जा रहीं है।
 
डॉल्फिन
पफर मछली एक खास तरह की मछली होती है जिनमें न्यूरोटॉक्सिन नाम का ड्रग पाया जाता है। यूं तो ये मछली जहरीली मानी जाती है लेकिन डॉल्फिन पर इसका जहर नुकसान की बजाय नशा चढ़ा देता है। प्राणी विज्ञानी रॉबर्ट पिल्लै की स्टडी बनी एक डॉक्युमेंटरी फिल्म बताती है कि युवा डॉल्फिन पफर फिश को इसके नशीले व्यवहार के चलते ही पसंद करती हैं।
 
वालाबी
ऑस्ट्रेलिया और तस्मानिया के क्षेत्र में पायी जाने वाली कंगारू परिवार की एक प्रजाति वालाबी अफीम खाने का शौक रखती है। तस्मानिया के एक अखबार "द मरकरी" ने साल 2014 में वालाबी में अफीम की बढ़ती प्रवृत्ति के चलते देश के दवा कारोबार को हो रहे नुकसान पर एक रिपोर्ट छापी थी।
 
मधुमक्खियां
शराब सिर्फ इंसानों और उनके पूर्वजों को ही पसंद नहीं थी बल्कि यह पशु-पक्षियों की कई प्रजातियों को भी लुभाती है। रिसर्च के मुताबिक अगर मधुमक्खियों को मौका मिलता है तो वे 100 फीसदी शुद्ध ईथानॉल का सेवन करती हैं। 100 फीसदी ईथानॉल को पीना एक आम इंसान के लिये भी आसान नहीं है।

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