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भारत से संबंधों और चीन के महत्व पर जोर

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, शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2018 (11:41 IST)
जर्मनी के गठबंधन समझौते में विश्व के देशों के साथ जर्मनी के द्विपक्षीय संबंधों को भी शामिल किया गया है। इसमें भारत से संबंधों को गहरा बनाने पर जोर है।
 
जर्मनी में नई सरकार बनाने जा रही तीनों पार्टियों ने कहा है कि एशिया की जारी गतिशीलता जर्मनी और यूरोप के लिए आगे भी बड़ा मौका है। साथ ही इलाके में अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में व्यापक परिवर्तन दिख रहे हैं। एशिया में बहुत सारे अनसुलझे विवादों के कारण झगड़ों की बड़ी संभावना है। इसलिए हम एशिया में जर्मनी और यूरोप की मजबूत आर्थिक, सामाजिक और सुरक्षा नैतिक सक्रियता का समर्थन करते हैं।
 
भारत के संबंधों पर जोर देते हुए गठबंधन दस्तावेज में कहा गया है, "भारत की भूरणनैतिक स्थिति, उसके आकार और उसके गतिशील विकास की वजह से आपसी रणनीतिक सहयोग को गहरा बनाने में हमारी विशिष्ट रुचि है।"
 
गठबंधन दस्तावेज में जापान और दक्षिण कोरिया के साथ दोस्ताना और मूल्यों पर आधारित पार्टनरशिप में विस्तार पर जोर दिया गया है जबकि उत्तर कोरिया के सैन्य परमाणु कार्यक्रम को विश्व शांति के लिए सबसे बड़े खतरों में एक बाताया गया है। सीडीयू सीएसयू और एसपीडी ने जोर देकर कहा है कि समस्या का सिर्फ कूटनीतिक समाधान ही संभव है।
 
चीन की नीतियों और वहां के भावी विकास को गठबंधन दस्तावेज में बड़े महत्व का बताया गया है। गठबंधन पार्टियों का मानना है कि चीन की भूरणनैतिक भूमिका में और विस्तार होगा। दस्तावेज में चीन के आर्थिक विकास को जर्मनी के लिए बड़ा मौका बताया गया है, लेकिन ये भी कहा गया है कि संबंधों पर ध्यान देने की जरूरत है, "जर्मनी और यूरोप को अपने बाजार खोलते समय पारस्परिकता का ध्यान रखाना होगा और अपने साझा हितों की व्याख्या करनी होगी"
 
गठबंधन दस्तावेज में कहा गया है कि अफगानिस्तान को आगे भी मदद की जरूरत है ताकि वह भविष्य में खुद देश में सुरक्षा की गारंटी दे सके, "हमारा लक्ष्य अफगान नेतृत्व वाली शांति और सहमेल प्रक्रिया और पाकिस्तान सहित क्षेत्रीय किरदारों को उसे रचनात्मक तरीके से जोड़ना है।"
 
रिपोर्ट महेश झा

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