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सुनने की क्षमता में गिरावट से रुक सकता है मानसिक विकास

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, शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019 (13:49 IST)
विशेषज्ञों का कहना है कि सुनने की क्षमता में गिरावट बड़ी उम्र के लोगों की याददाश्त में कमी और डिमेंशिया और उसके फलस्वरूप अल्जाइमर रोग का खतरा बढ़ा सकती है।
 
 
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक एक या दोनों कानों में सुनने की क्षमता पूरी तरह से खत्म होने को बहरापन कहा जाता है, जबकि सुनने की क्षमता में पूरी या आंशिक कमी को 'हीयरिंग इम्पेयरमेंट' यानी सुनने में परेशानी माना जाता है। दुनियाभर में करीब 36 करोड़ लोग सुनने की क्षमता में कमी के शिकार हैं, जिनमें से एक-दसवां हिस्सा बच्चों का है।
 
 
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के ईएनटी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार सुरेश सिंह नारुका ने आईएएनएस से कहा, "सुनने की क्षमता में कमी संज्ञानात्मक क्षमता में गिरावट का कारण बन सकती है। हमारी दो इंद्रियां- देखने और सुनने की- हमारे संज्ञानात्मक विकास में मदद करती हैं। जब हम सही प्रकार से सुन नहीं पाते, तो इस माध्यम से हमें जो ज्ञान मिलता है, वह सही प्रकार से नहीं मिल पाता। इस प्रकार सुनने की क्षमता में कमी धीरे-धीरे संज्ञानात्मक क्षमता में गिरावट का कारण बनती है।"
 
 
नारुका ने आगे कहा, "यहां यह समझना जरूरी है कि दिमाग का विकास और संज्ञानात्मक ज्ञान का विकास धीमी प्रक्रिया है। बुद्धिमत्ता कोई स्थिर चीज नहीं है, यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। एक या दो दिन में भले ही यह दिखाई न दे, लेकिन कुछ समय की अवधि में किसी व्यक्ति के संज्ञानात्मक व्यवहार में गिरावट नजर आने लगती है।"
 
 
अमेरिका के ब्रिघैम एंड वूमेन्स हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में 62 वर्ष की उम्र के 10,107 पुरुषों पर एक शोध किया गया। शोधकर्ताओं की टीम को पता चला कि जिन पुरुषों के सुनने की क्षमता में गिरावट नहीं आई थी, उनकी तुलना में सुनने की क्षमता में हल्की गिरावट वाले पुरुषों में 30 फीसदी, सुनने की क्षमता में मध्यम दर्जे की गिरावट वाले पुरुषों में 42 फीसदी और सुनने की क्षमता में गंभीर स्तर की गिरावट वाले पुरुषों में 54 प्रतिशत अधिक संज्ञानात्मक गिरावट पाई गई।
 
 
ये लोग हीयरिंग एड्स का इस्तेमाल नहीं करते थे। शोधकर्ताओं ने कहा कि इससे उन लोगों की पहचान करने में मदद मिलेगी जिनमें संज्ञानात्मक गिरावट का ज्यादा खतरा है। साथ ही इससे समय रहते इलाज और बचाव के लिए भी दिशा मिलेगी।
 
 
दिल्ली के फोर्टिस हॉस्पिटल के ईएनटी कंसल्टेंट वीरेंद्र सिंह ने इस बारे में कहा, "सुनने की क्षमता में गिरावट से जहां बड़ी उम्र के लोगों की याददाश्त में कमी और डिमेंशिया का खतरा रहता है, बच्चों में इसके कारण बोलने की क्षमता और दिमागी विकास में बाधा आ सकती है।" सिंह ने आगे कहा, "हमारे देश में सुनने की क्षमता में कमी को अकसर नजरअंदाज कर दिया जाता है। जन्मजात बहरापन या नवजात रोगों जैसे लंबे समय तक पीलिया, मेनिन्जाइटिस के कारण नवजात शिशु की सुनने की क्षमता में थोड़ी या गंभीर स्तर की कमी आ सकती है।"
 
 
सिंह ने बताया कि हीयरिंग लॉस के कारण होने वाली किसी भी जटिलता से बचने के लिए हीयरिंग एड, कोक्लियर इंम्पलांट, दवाइयों और करेक्टिव सर्जरी जैसे उपाय जल्द से जल्द उठाने चाहिए।
 
 
रेचल वी थॉमस (आईएएनएस)
 

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