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नदी का मजाक उड़ाने के लिए गायिका पर मुकदमा

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, शनिवार, 18 नवंबर 2017 (12:33 IST)
अरब की विख्यात गायिका शेरीन अब्देल वहाब को नील नदी का मजाक उड़ाने के लिए काहिरा की अदालत में मुकदमे का सामना करना होगा। शेरीन ने अपने एक प्रशंसक को नील नदी की बजाय फ्रेंच कंपनी का बोतलबंद पानी पीने की सलाह दी थी।
 
मिस्र में पिछले दिनों इस घटना का वीडियो वायरल हुआ है। इस वीडियो में शेरिन को "आप अच्छा होगा कि एवियन पियें" कहते देखा जा सकता है। एवियन मिनरल वाटर फ्रेंच ब्रांड है। शेरीन से उनके एक प्रसंशक ने उनके एक मशहूर गाने की फरमाइश की थी। इस मशहूर गीत में कहा गया है कि जो भी नील नदी का पानी पीता है वो यहां लौट कर आना चाहता है। अब शेरीन पर कई आरोप लगे हैं जिनमें लोगों को भड़काने और लोकहित को नुकसान पहुंचाने के आरोप भी शामिल हैं।
 
साफ है कि शेरीन ने ये बात मजाक में कही थी लेकिन सोशल मीडिया में इसे लेकर बवाल मचा है। लोग इसे मिस्र की अस्मिता का अपमान बता रहे हैं जबकि बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो उन लोगों को दोषी बता रहे हैं जो नील नदी को गंदा करते हैं। कोर्ट के अधिकारियों के मुताबिक काहिरा की अदालत में 23 दिसंबर से इस मुकदमे की सुनवाई शुरू होगी। यह मामला एक वकील के जरिये दायर की गई शिकायत के बाद शुरू हुआ। वीडियो दिखने के करीब एक हफ्ते बाद इस वकील ने मुकदमा दायर किया। अगर शेरीन को दोषी करार दिया जाता है तो उन्हें तीन साल की जेल होगी या फिर भारी जुर्माना देना होगा। हालांकि उनके पास इस फैसले के खिलाफ अपील करने का अधिकार होगा।
 
वीडियो क्लिप एक साल पुराना है और लेबनान में एक कंसर्ट के दौरान शेरीन ने ऐसा कहा था। उनके खिलाफ मुकदमा करने वाले वकील हानी गाद ने अपनी शिकायत में लिखा है, "ऐसे वक्त में जब सरकार पर्यटन को फिर से बढ़ाने के लिए काम कर रही है, गायिका ने भौंडा सा मजाक किया है, जिसे लेकर लोगों की भीड़ हंस पड़ी और मिस्र देश का अपमान हुआ।"
 
शेरीन पर स्थानीय संगीतकारों के संघ ने कार्यक्रम देने पर भी रोक लगा दी है। मिस्र में टीवी और रेडियो को प्रसारण देखने वाली कंपनी ने भी अपने कर्मचारियों को निर्देश दिए हैं कि अगले आदेश तक शेरीन का कोई गाना प्रसारित नहीं किया जाए। शेरीन ने फेसबुक पोस्ट के जरिए इसके लिए माफी भी मांगी है। उन्होंने लिखा है, "मेरे प्यारे मिस्र और उसके बच्चों: मैंने जो आपको दर्द दिया है उसके लिए मैं तहेदिल से आपसे माफी मांगती हूं। वह एक भद्दा मजाक था और फिर कभी ऐसा मौका आया तो मैं उसे अब कभी दोबारा इस्तेमाल नहीं करूंगी।"
 
मिस्र की सरकार और मीडिया लगातार राष्ट्रवादी भावनाओं को उभारने के लिए काम करती है। खासतौर से 2013 में निर्वाचित राष्ट्रपति को जब सेना ने सत्ता से बेदखल किया तब से इसमें और ज्यादा इजाफा हुआ है। सरकार और मीडिया हर तरह की आलोचना को अंतरराष्ट्रीय ताकतों की देश को अस्थिर करने की साजिश करार देते हैं।
 
जो भी सामाजिक कार्यकर्ता, कलाकार या लेखक सरकार की नीतियों को या फिर सैन्य जनरल से राष्ट्रपति बने अब्देल फतह अल सिसी की आलोचना करते हैं उन्हें राष्ट्रीय टीवी के टॉक शोज में गालियां और निंदा झेलनी पड़ती है। यहां विरोधियों को दबाने के लिए हजारों लोगों को जेल में डाला गया है।
 
- एनआर/एमजे (एपी)

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