Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का देश में एफपीआई निवेश पर पड़ सकता है असर

हमें फॉलो करें अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का देश में एफपीआई निवेश पर पड़ सकता है असर
, सोमवार, 9 जुलाई 2018 (20:31 IST)
मुंबई। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार मोर्च पर जारी टकराव का असर देश में विदेशी निवेश प्रवाह पर पड़ सकता है। इसके साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को डॉलर के मुकाबले रुपए को 69 रुपए प्रति डॉलर के स्तर से नीचे जाने से रोकने के लिए बाजार में हस्तक्षेप कर विदेशी मुद्रा की बिक्री करनी पड़ सकती है। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
 
 
बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारा मानना है कि अमेरिका- चीन व्यापार युद्ध से एफपीआई निवेश और ज्यादा हतोत्साहित होगा, हालांकि इसका वास्तविक सीधा प्रभाव सीमित ही रहेगा, क्योंकि निर्यात जीडीपी का मात्र 12 प्रतिशत ही है।
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यापार युद्ध का घरेलू प्रभाव वित्तीय बाजारों में अधिक महसूस किया जाएगा। यह स्थिति 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के समान हो सकती है। ऐसी स्थिति में रिजर्व बैंक को रुपए को 69 रुपए प्रति डॉलर के स्तर पर रखने के लिए विदेशी मुद्रा की बिक्री बढ़ाने का दबाव बढ़ेगा।
 
वैश्विक स्तर पर अमेरिकी मुद्रा में मजबूती से रुपया पर दबाव बढ़ेगा और आरबीआई को इससे जूझना पड़ेगा। नोस्ट्रो खाता से तात्पर्य उस खाते से है जिसमें कोई बैंक किसी अन्य बैंक में अपनी विदेशी मुद्रा में रखता है। यदि विदेशी निवेश प्रवाह में सुधार नहीं होता है, तो रिजर्व बैंक को अपने 400 अरब डॉलर से अधिक के विदेशी मुद्रा भंडार में से करीब 20 अरब डॉलर की बिक्री करनी पड़ सकती है ताकि चालू खाते के घाटे को जीडीपी के 2.4 प्रतिशत पर रखा जा सके।
 
रिपोर्ट के मुताबिक रुपए पर जारी दबाव के बाद से अप्रैल महीने के बाद से विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में 19 अरब डॉलर की गिरावट आई है। व्यापार मोर्च पर जारी तनाव, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों जैसे वृहद आर्थिक मुद्दों के चलते वर्ष की पहली छमाही में विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार से 6,000 करोड़ रुपए और ऋण बाजार से 41,000 करोड़ रुपए की निकासी की है।
 
ब्रोकरेज कंपनी की रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि रुपया बाजार में डॉलर के मुकाबले 70 रुपए से नीचे रहता है और शेयरों तथा अन्य साधनों में विदेशी मुद्रा प्रवाह नहीं होता है तो सरकार को एनआरआई बॉंड का एक और संस्करण उतारना पड़ सकता है जिसके जरिए वह 35 अरब डॉलर तक जुटा सकती है। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बम होने की झूठी अफवाह, अहमदाबाद-दिल्ली 'विस्तारा' विमान रवानगी में हुई देरी