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कुंभ राशि वालों के लिए सलाह

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अनिरुद्ध जोशी

अक्षर तालिका : गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा।
विशेषत : उग्र, दृढ़निश्चयी, मेहनती, वैज्ञानिक बुद्धि, समाजसेवी।
 
 
कुंभ राशि (Aquarius) का स्थान पिंडली में होता है। इसके कारक ग्रह गुरु, शुक्र और शनि माने गए हैं। वायु तत्व प्रधान कुंभ राशि का स्वामी शनि है। भाग चर है और कुंभ लग्न की बाधक राशि सिंह तथा ग्रह सूर्य है। लेकिन लाल किताब अनुसार शत्रु और मित्र ग्रहों का निर्णय कुंडली अनुसार ही होता है।
 
 
लाल किताब अनुसार ग्यारहवें भाव में कुंभ राशि मानी गई है जिसके शनि का पक्का घर आठ और दस माना जाता है। इसमें शनि के खराब या अच्छा होने की कई स्थितियाँ हैं। यदि आप कुंभ राशि के जातक हैं तो आपके लिए यहाँ लाल किताब की सामान्य सलाह दी जा रही है।
 
 
अशुभ की निशानी : शनि के अशुभ प्रभाव के कारण मकान या मकान का हिस्सा गिर जाता है या क्षति ग्रस्त हो जाता है, नहीं तो कर्ज या लड़ाई-झगड़े के कारण मकान बिक जाता है। गृहकलह बना रहता है। अंगों के बाल तेजी से झड़ जाते हैं। अचानक आग लग सकती है। धन, संपत्ति का किसी भी तरह नाश होता है। समय पूर्व दाँत और आँख की कमजोरी।
 
 
सावधानी व उपाय : सर्वप्रथम भगवान भैरव की उपासना करें। तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, काली गौ, और जूता दान देना चाहिए। कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलावे। छायादान करें अर्थात् कटोरी में थोड़ा-सा सरसों का तेल लेकर अपना चेहरा देखकर शनि मंदिर में अपने पापों की क्षमा माँगते हुए रख आएँ।
 
 
दाँत साफ रखें। तहखानें की हवा को मुक्त न करें। अंधे-अपंगों, सेवकों और सफाईकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें। कुंडली का प्रथम भाव यानी लग्न में हो तो भिखारी को ताँबा या ताँबे का सिक्का कभी दान न करें अन्यथा पुत्र को कष्ट होगा। यदि आयु भाव में स्थित हो तो धर्मशाला का निर्माण न कराएँ। अष्टम भाव में हो तो मकान न बनाएँ न खरीदें आदि।
 
 
शनि की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप भी कर सकते हैं।

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