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चंद्र ग्रह का चक्र और लाल किताब

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अनिरुद्ध जोशी

कुंडली के प्रत्येक भाव या खाने अनुसार चंद्र के शुभ-अशुभ प्रभाव को लाल किताब में विस्तृत रूप से समझाकर उसकी सावधानी के साथ उपाय बताए गए हैं। यहाँ प्रस्तुत है प्रत्येक भाव में चंद्र की स्थित और सावधानी के बारे में संक्षिप्त और सामान्य जानकारी।
 
विशेषता : जल और घोड़ा
 
(1) पहला खाना : घर में रखे घड़े का शीतल पानी। शिक्षा पर लगा पैसा फायदा देगा। राज दरबार की नौकरी लाभप्रद रहेगी। माता जब तक जिंदा है धन- दौलत बरकरार समझो। यदि आठवें घर में शनि या चंद्र का कोई दुश्मन हो तो जन्म से पूर्व भाई या बहन की मृत्यु की संभावना।
 
सावधानी : चंद्र का दान नहीं लेना और न ही चंद्र की वस्तु को बेचना। बड़ में पानी डालें। चाँदी के बर्तन में दूध पीना लाभदायक।
 
(2) दूसरा खाना : पहाड़ी झरना। पढ़ाई, माता या खानदानी जायदाद, दोनों में से किसी एक का सुख। माता के जीते जी शिक्षा अच्छी रहेगी। चंद्र का कारोबार मंदा रहेगा। घर में मंदिर का होना अशुभ है। ऐसे व्यक्ति की बहन के होने की कोई ग्यारंटी नहीं।
 
सावधानी : घर में कच्ची मिट्टी का स्थान रखें और दरिया का पानी भी। जायदाद मिलने की संभावना बढ़ेगी।
 
 
(3) तीसरा खाना : रेगिस्तानी पानी। जैसे-जैसे शिक्षा बढ़ेगी पिता की आर्थिक हालत में कभी आती जाएगी, लेकिन शिक्षा अपनी कीमत देगी फिर भी इसकी कोई शर्त नहीं। चोरी और मौत का रक्षक और उम्र का मालिक फरिश्ता।
 
सावधानी : बचना होगा राहु-केतु की शरारत से, यदि दोनों मंदे हों तो। बचने का तरीका यह कि बुध अर्थात दुर्गा, बहन और कन्या का सम्मान करें। कन्या भोज उत्तम उपाय।
 
(4) चौथा खाना : चश्मे का मीठा पानी। पढ़ाई के लिए किसी भी तरह से सहायता मिलती रहेगी। शुभ होगी। माता की सेवा तारणहार सिद्ध होगी। चंद्र के व्यापार में लाभ।
 
सावधानी : माता को किसी भी प्रकार से क्रोधित न करें। प्रतिदिन उनके चरण स्पर्श करें। माता की सेवा तारणहार सिद्ध होगी। 
 
(5) पाँचवाँ खाना : पाताल का पानी। ममतामयी माता। शिक्षा में अड़चनें हो सकती हैं। सरकारी कामों में लाभ मिलेगा।
 
सावधानी : बच्चों की परवरिश और धर्म में विश्वास से बरकत बरकरार रहेगी।

(6) छठा खाना : कड़वा या खारा पानी। इस पानी का क्या असर होगा यह कहा नहीं जा सकता अर्थात यहाँ स्थित चंद्र का असर दूसरे ग्रहों पर निर्भर है। यदि केतु अशुभ है तो चाँदी की कीमत भी मिट्टी हो जाएगी।
 
सावधानी : रात में दूध पीना जहर समान।
 
(7) सातवाँ खाना : खेत में सिंचाई करने वाली नहर या नदी का पानी। मौत घर में ही होगी। काव्य और ज्योतिष में रुचि लेने वाला। लक्ष्मी का वरदान।
 
सावधानी : शादी की शर्त यह कि शिक्षा पूरी हो या पूरी मानकर रोक दी जाए। 
 
(8) आठवाँ खाना : अमृत जैसा पानी नहीं है तो फिर जहर समझो, लेकिन सामान्य पानी की ग्यारंटी नहीं। पढ़ाई होगी तो पूरी होगी अन्यथा पुत्र को भी पढ़ने से रोकते रहेंगे। यह भी हो सकता है कि दोनों को ही तरसते रहें।
 
सावधानी : घर में चाँदी की चीजें रखें। माता के पैर छुएँ।
 
(9) नौवाँ खाना : यह एक समुद्र है। यह घड़ा भर मोती के समान है। पढ़ाई का पूरा-पूरा लाभ। ऐसा दानशील व्यक्ति दूसरों का रक्षक होता है।
 
सावधानी : धर्म-कर्म में विश्वास रखना जरूरी अन्यथा राहु यदि मंदा है तो समुद्र में तूफान ला देगा।
 
(10) दसवाँ खाना : जहरीला पानी या पहाड़ी की रुकावट से बंद पड़ा पानी। आँकड़े के दूध समान। दूसरों को भी नहीं पढ़ने देना और खुद भी नहीं पढ़ेगा। दवाई के कार्य में लाभ हो सकता है।
 
सावधानी : प्रेमिका या विधवा स्त्री से सावधान रहें। जमीन का पानी घर में रखें।
 
(11) ग्यारहवाँ खाना : बरसाती नाला या खूनी कुआँ। अनपढ़ मगर विद्वान। व्यक्ति कार्यकुशल और धनवान होता है। इसकी शुभता से साहस बढ़ता है।
 
सावधानी : शनि शुभ हो तो दूध का दान देने से शुभ असर।
 
(12) बारहवाँ खाना : ‍आसमानी पानी या बर्फ। रात के वक्त का तूफान जिससे बस्तियाँ उजड़ें। शिक्षा की कीमत हो या नहीं लेकिन दुकानदारी में महारत होगी। 
 
सावधानी : वर्षा का जल घर में रखें। ससुराल की जायदाद का लोभ न रखें। पत्नी से संबंध अच्छे रखें।

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