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बाल नृत्य नाटिका : जो सूरज ऐसो तप रओ है...

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव

परदा खुलता है 


 
मंच पर ग्रामीण वातावरण का दृश्य। एक बड़ा-सा मैदान। माथे पर आया पसीना कोई टॉवेल से तो कोई अपनी कमीज-कुर्ते से पोंछ रहा है। बहुत तेज गर्मी है। सूरज आग उगल रहा है। आसमान में ऊपर को चढ़ रहा है। मैदान में एक तरफ एक कुआं, वहीं पास में एक हैंडपंप और एक सरकारी नल दिखाई दे रहा है। दूसरे कोने में भी एक हैंडपंप दिख रहा है। उस पर 20-25 आदमी-औरतों की भीड़ लगी है।
 
नैप्थ्य से आवाज आती है
 
सृष्टि
 
आकाश में अट्टहास की आवाज आ रही है।
 
एक ग्रामीण बाला जो कुछ दिन पूर्व ही ब्याहकर ससुराल आई है और पानी की समस्या से दो-चार होती दिख रही है।
 
स्टेज पर लोग मटकियां लिए दिखाई पड़ रहे हैं। बालिका खाली मटकी लिए आगे बढ़कर गीत गाती है।
 
बाला- जो सूरज ऐसो तप रओ है और घर में पानी नईंयां [मटकी बगल में दबी है और हाथ से सूरज की ओर इशारा करती है]
 
बाला- मोरे घर में पानी नईंयां मोरे घर में पानी नईंयां
 
कोरस- जो सूरज ऐसो तप रओ है और घर में पानी नईंयां
 
बाला- कुआं डरो है, सूखो हैंडपंप हो गओ रुखो [कुएं की तरफ इशारा और हैंडपंप चलाकर दिखाती है जिसमें से एक बूंद भी पानी नहीं आता] 
 
कोरस- कुआं डरो है सूखो हैंडपंप हो गओ रुखो

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बाला- सरकारी नल तो कब से बैठो है रूठो-रूठो [नल को पैर की ठोकर मारती है]
प्यासो बैठो मोरो सैंया री मोरे घर में पानी नईंयां [सैंयां मुंह लटकाकर नीचे बैठा है] 
 
कोरस- मोरे घर में पानी नईंयां मोरे घर में पानी नईंयां
जो सूरज ऐसो तप रओ है और घर में पानी नईंयां 
 
बाला- कल नदिया तक मैं गई ती, दो कोस निगत थक गई ती [दूर नदी तरफ इशारा करती है]
 
कोरस- कल नदिया तक मैं गई ती दो कोस निगत थक गई ती [इशारा]
 
बाला- जंगल में डर के मारे तो सांस मोरी रुक गई ती [छाती पर हाथ रखकर जोर-जोर से सांस लेती है]
 
अरे सूज गए मोरे पैंयां री मोरे घर में पानी नईंयां [बैठकर पिडरियां दबाती है]
 
कोरस- मोरे घर में पानी नईंयां मोरे घर में पानी नईंयां
जो सूरज ऐसो तप रओ है और घर में पानी नईंयां
 
बाला- यह सोच-सोच घबराऊं मैं पानी कहां से लाऊं
 
कोरस- यह सोच-सोच घबराऊं मैं पानी कहां से लाऊं
 
बाला- मैं नई-नवेली दुल्हन मटकी लेके कित जाऊं
न ठौर मिले न ठैंयां री मोरे घर में पानी नईंयां
 
कोरस- मोरे घर में पानी नईंयां मोरे घर में पानी नईंयां
जो सूरज ऐसो तप रओ है और घर में पानी नईंयां
 
बाला- तीन मील उत्तर में एक कुआं बनो है घर में [उत्तर तरफ इशारा]
 
कोरस- तीन मील उत्तर में एक कुआं बनो है घर में [इशारा उत्तर तरफ]
 
बाला- घर मालिक की नजरों से मोहे डर लाहत है उर में [सीने पर हाथ रखती है] 
कोऊ संग चलो मोरी गुईंयां री मोरे घर में पानी नईंयां
 
कोरस- मोरे घर में पानी नईंयां मोरे घर में पानी नईंयां 
जो सूरज ऐसो तप रओ है और घर में पानी नईंयां 
 
बाला- सार में ढोर रंभा रए पानी-पानी चिल्ला रए [ढोर रंभाने की आवाज आती है]
 
कोरस- सार में ढोर रंभा रए पानी-पानी चिल्ला रए
नदिया-तालाब-पोखर तो अब बिलकुल सूखे जा रए [इशारा]
प्यासी मर रईं मोरी गईंयां री मोरे घर में पानी नईंयां 
 
कोरस- मोरे घर में पानी नईंयां मोरे घर में पानी नईंयां
जो सूरज ऐसो तप रओ है और घर में पानी नईंयां
 
बाला- हैंडपंप तक जाती और नल तक दौड़ लगाती [हैंडपंप की तरफ फिर नल की तरफ दौड़ती है]
 
कोरस- हैंडपंप तक जाती और नल तक दौड़ लगाती
 
बाला- पर भीड़ अधिक होने से मटकी तक भर न पाती
ए कैसी भूल-भुलैंया री मोरे घर में पानी नईंयां
 
कोरस- मोरे घर में पानी नईंयां मोरे घर में पानी नईंयां
जो सूरज ऐसो तप रओ है और घर में पानी नईंयांऽऽऽ
 
बाला- पानी हजार फुट नेचे, अब कैसे ऊपर खेंचें [धरती में पैरों से ठोकर मारती है]
 
कोरस- पानी हजार फुट नेचे, अब कैसे ऊपर खेंचें
 
बाला- अब कहां नहाबे जाबें और कपड़े कैसे धोबें
कोऊ काहे सोचत नईंयां री मोरे घर में पानी नईंयां
 
कोरस- मोरे घर में पानी नईंयां मोरे घर में पानी नईंयां
सो सूरज ऐसो तप रओ है और घर में पानी नईंयां
 
बाला- भओ धुआं बहुत जहरीलो कैसो अंबर तक फैलो
 
कोरस- भओ धुआं बहुत जहरीलो कैसो अंबर तक फैलो
 
बाला- जंगल कटबे के कारण कण-कण भओ विषैलो
नजदीक नाश की घड़ियां री मोरे घर में पानी नईंयां
 
कोरस- मोरे घर में पानी नईंयां मोरे घर में पानी नईंयां
सो सूरज ऐसो तप रओ है और घर में पानी नईंयां
 
बाला- अब एकऊ पेड़ ने काटो पानी मिल-जुल के बांटो
 
कोरस- अब एकऊ पेड़ ने काटो पानी मिल-जुल के बांटो
 
बाला- एक बूंद ने व्यर्थ बहाओ जंगल बिलकुल ने छांटो
कौनऊं उपाय अब नईंयां री मोरे घर में पानी नईंयां री
 
कोरस- मोरे घर में पानी नईंयां मोरे घर में पानी नईंयां
सो सूरज ऐसो तप रओ है और घर में पानी नईंयां
 
परदा गिरता है...
 

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