Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

दशहरा पर्व पर कविता: हम रावण नहीं बनाएंगे

हमें फॉलो करें दशहरा पर्व पर कविता: हम रावण नहीं बनाएंगे
webdunia

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

इस साल दशहरे पर भैया, 
हम रावण नहीं बनाएंगे।
 
हर साल बनाया है रावण,
खुश होकर उसे जलाया है।
जब फट-फट करके जला खूब,
मस्ती में हर्ष मनाया है।
लेकिन हर बार हुआ जिन्दा,
तो कब तक उसे जलाएंगे।
 
रावण तो अब तक जला नहीं,
दफ़्ती, बारूद जलाई है।
न जले दोष, दुर्गुण अब तक,
क्यों झूठी आस लगाईं है।
रावण के नकली चेहरों पर,
धन, समय न व्यर्थ गवाएंगे।
 
दादा-दादी का कहना है,
अपने दोषों को जाने हम।
अपने भीतर जो रावण है,
उसको भी तो पहचाने हम।
दृढ इच्छा का चाबुक लेकर,
हम उसको मार भगाएंगे।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जनक पलटा मगिलिगन ने दिल्ली के ग्रामीण प्रबंधन के छात्रों को प्रशिक्षित किया