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लौह छवि के साथ उभरेंगी सोनिया

- शंकर चरण त्रिपाठी

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Girish Srivastava
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कर्क लगन वाली सोनिया गाँधी के सप्तम और अष्ठम पर गया बृहस्पति जहाँ उनके कद में इजाफा करेगा वहीं तीसरे स्थान पर पहुँचा गोचर का शनि अदम्य इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लौह महिला की छवि स्थापित करेगा। बृहस्पति एवं शनि की संधि के कारण राजनीतिक जीवन से मोहभंग जैसे भाव और वैराग्य से प्रेरित होकर दिसंबर 2010 तक वह सब कुछ राहुल गाँधी के कंधे पर छोड़ किनारा कर लेंगी।

26 नवंबर, 2011 के आस-पास मनमोहन सिंह का कालखंड स्वास्थ्य के लिहाज से पूर्ण हो रहा है। 27 नवंबर, 2011 से राहुल गाँधी के प्रधानमंत्री बनने का कालखंड शुरू होता है लेकिन इससे पहले भी राहुल की भूमिका कांग्रेस को आगे ले जाने में अभीष्ठ साबित होगी। राहुल गाँधी को सुरक्षा के लिहाज से सर्तकता बरतनी चाहिए। 12 दिसंबर, 2012 से प्रियंका गाँधी सक्रिय राजनीति में हिस्सेदारी करेंगी। 2010 में प्रियंका राहुल और सोनिया द्वारा बिछाई गई बिसात पर राजनीतिक शतरंज खेलती दिखेंगी। 2019 में उनकी छवि दूसरी इंदिरा गाँधी के रूप में भारत के तख्त पर दिखेगी।

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नितिन गडकरी के नेतृत्व में 7 मई, 2010 से भाजपा का उन्नयन प्रारंभ होगा। कुल 19 केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों में भाजपा की सरकार गडकरी के कार्यकाल में स्थापित होगी। सुषमा स्वराज तकदीर की धनी हैं। लग्न पर बैठा तुला का शनि एवं मकर का मंगल इन्हें प्रखर वक्ता, कुशल राजनेता बनाता है।

नरेंद्र मोदी के द्ववादश स्थान पर शनि और केतु के संचरण के कारण अपने लोगों द्वारा अपयश और षडयंत्र के शिकार की स्थिति है। मायावती के सितारे बुलंदी पर रहते हुए भी किसी अदालती फैसले के चलते अगले वर्ष कोई अप्रिय फैसला लेने को विवश हो सकती हैं।

29 जून 2008 से प्रारंभ हुई शनि की महादशा और शनि की अंतरदशा के चलते मुलायम सिंह यादव भारत के तख्त के नजदीक जाकर भी पीछे हो गए। ये कालखंड तीन वर्ष दो माह का है। 2010 के उत्तरार्ध में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद परिणाम इनके पक्ष में होंगे। नीतीश कुमार तकरीबन चार बार मुख्यमंत्री रहेंगे। अगले चुनाव में भी उनके उभरकर आने के नक्षत्र दिख रहे हैं।

2022 के आसपास देश की राजनीतिक सत्ता पर एक बार फिर नीतीश कुमार मजबूती से उभरेंगे।

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