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पवनपुत्र हनुमान के जन्म की पवित्र प्रसंग तिथि हनुमान जयंती

हमें फॉलो करें पवनपुत्र हनुमान के जन्म की पवित्र प्रसंग तिथि हनुमान जयंती
पं. ओम वशिष्ठ (भागवत मर्मज्ञ )
 
हनुमान जयंती पवनपुत्र हनुमान के जन्म की प्रसंग तिथि है। हनुमान शिव के ग्यारहवें अवतार के रूप में सर्वत्र पूजनीय हैं। चूंकि शिव भी राम का स्मरण करते हैं इसलिए उनके अवतार हनुमान को भी राम नाम प्रिय है। हनुमान बल और बुद्धि के देव हैं। रामकथा उनके बिना पूरी नहीं होती। वे धर्म में इस शिक्षा के साथ हैं कि अपनी बुद्धि और बल के गर्व से दूर रहते हुए, विनम्र होकर ही संसार का आदर प्राप्त किया जा सकता है।



उनका श्रद्धाभाव अतुलनीय है। हनुमान मंदिरों में उनकी मूर्ति को पर्वत उठाए और राक्षस का मान मर्दन करते हुए दिखाया जाता है लेकिन राम मंदिरों में वे प्रभु चरणों में मस्तक झुकाए बैठे हैं। वे अनुपम भक्त हैं। 
 
हनुमान के संबंध में एक लोककथा है कि एक बार वे माता अंजनी को रामायण सुना रहे थे। उनकी कथा से प्रभावित माता अंजनी ने पूछा, "तुम इतने शक्तिशाली हो कि तुम पूंछ के एक वार से पूरी लंका को उड़ा सकते थे, रावण को मार सकते थे और मां सीता को छुड़ाकर ला सकते हो फिर तुमने ऐसा क्यों नहीं किया? अगर तुम ऐसा करते तो युद्ध में नष्ट हुआ समय बच जाता? 
 
हनुमान विनम्रता से कहते हैं, "क्योंकि राम ने कभी मुझे ऐसा करने के लिए नहीं कहा।" राम के प्रति इस अगाध श्रद्धा के कारण हनुमान पूरे संसार में पूजे जाते हैं। हनुमान जयंती के दिन अगर भक्त 7 बार हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो उनके कष्टों का हरण होता है। हनुमान बाण से सभी तरह के तांत्रिक रोगों का नाश होता है। पवनसुत राम नाम सुमिरन मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं।

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