Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

वीएस नॉयपॉल : बचपन गरीबी में बीता, करना चाहते थे खुदकुशी, बने नोबेल पुरस्कार विजेता

हमें फॉलो करें वीएस नॉयपॉल : बचपन गरीबी में बीता, करना चाहते थे खुदकुशी, बने नोबेल पुरस्कार विजेता
, रविवार, 12 अगस्त 2018 (14:24 IST)
नोबेल पुरस्कार विजेता लेखक और प्रसिद्ध ब्रिटिश उपन्यासकार सर वीएस नायपॉल का 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। नायपॉल ने 30 से अधिक किताबें लिखीं। नायपॉल को साल 1971 में बुकर और साल 2001 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। नायपॉल का बचपन काफी गरीबी में बीता। छात्र जीवन में वे अवसाद में घिरे और उन्होंने खुदकुशी तक करने की कोशिश की थी।
 
नायपॉल का जन्म 1932 में कैरेबियाई द्वीप त्रिनिदाद में एक भारतीय परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम विद्याधर सूरजप्रसाद नायपॉल था। नायपॉल ने अपने लेखन करियर की शुरुआत 1950 के दशक में की। उनके चर्चित उपन्यासों में 'ए हाउस फॉर मिस्टर बिस्वास', 'इन ए फ्री स्टेट' और 'ए बैंड इन द रिवर' शामिल हैं।
 
मात्र 18 वर्ष की उम्र में स्कॉलरशिप हासिल करने के बाद वे ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए। उन्होंने अपना पहला उपन्यास ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान ही लिखा था लेकिन वो प्रकाशित नहीं हुआ। उन्होंने 1954 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय छोड़ दिया और लंदन की राष्ट्रीय पोर्ट्रेट गैलरी में एक कैटलॉगर के रूप में नौकरी शुरू कर दी। 'मिस्टिक मैसर' उनका पहला उपन्यास था जिसे प्रकाशित किया गया। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ ने वर्ष 1989 में उन्हें 'नाइटहुड' की उपाधि से भी नवाजा।
 
अपने सबसे चर्चित उपन्यास 'ए हाउस फॉर मिस्टर बिस्वास' को लिखने में उन्हें 3 साल से ज्यादा का वक्त लगा। साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए नायपॉल को वर्ष 1971 में बुकर पुरस्कार तथा वर्ष 2001 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 'ए बैंड इन द रिवर' और 'अ हाउस फॉर मिस्टर बिस्वास' उनकी चर्चित कृतियों में गिनी जाती हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

स्वतंत्रता दिवस पर जनधन खाताधारकों को मिल सकता है मोदी का 'तोहफा'