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पद्मावती को ब्रिटिश सेंसर बोर्ड ने दी मंजूरी, निर्माताओं को सीबीएफसी की मंजूरी का इंतजार

हमें फॉलो करें पद्मावती को ब्रिटिश सेंसर बोर्ड ने दी मंजूरी, निर्माताओं को सीबीएफसी की मंजूरी का इंतजार
नई दिल्ली /भोपाल/ लंदन , शुक्रवार, 24 नवंबर 2017 (00:11 IST)
नई दिल्ली /भोपाल/ लंदन। देश में भले ही भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा हो, लेकिन संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ को ब्रिटिश सेंसर बोर्ड ने बिना किसी काट-छांट के मंजूरी दे दी है, वहीं उच्चतम न्यायालय ने उस याचिका पर सुनवाई करने पर आज सहमति दे दी जिसमें यह निर्देश देने की मांग की गई है कि एक दिसंबर को फिल्म का प्रदर्शन विदेश में करने की अनुमति नहीं दी जाए।
 
वायकॉम 18 के एक अधिकारी ने बताया कि फिल्म को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड :सीबीएफसी: की मंजूरी के बिना वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करने की कोई योजना नहीं है। इस पीरियड ड्रामा को लेकर विवाद आज और बढ़ गया जब मध्य प्रदेश के देवास जिले के एक शिक्षा अधिकारी ने एक परिपत्र जारी कर स्कूलों में फिल्म का एक गीत बजाए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया।
 
हालांकि, परिपत्र को तुरंत वापस ले लिया गया और इस परिपत्र को जारी करने वाले अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। उच्चतम न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि वह मंगलवार को याचिका पर सुनवाई करेगी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि ‘पद्मावती’ के निर्माताओं ने गानों और प्रोमो को जारी करने पर सेंसर बोर्ड की मंजूरी के संबंध में गलत तथ्य पेश किये।
 
पीठ ने अधिवक्ता एम एल शर्मा से कहा कि हम इस पर मंगलवार को सुनवाई करेंगे। आप एक रिट याचिका दायर करें। शर्मा ने अपनी नई याचिका पर अविलंब सुनवाई करने की मांग की थी। शर्मा ने आरोप लगाया था कि अगर फिल्म को देश के बाहर प्रदर्शन की अनुमति दी गई तो सामाजिक सौहार्द को गंभीर क्षति होगी।
 
उन्होंने फिल्म के निर्माताओं के खिलाफ गीतों और प्रोमो को सीबीएफसी से मंजूरी दिये जाने के बारे में कथित तौर पर गलतबयानी करने के लिये मुकदमा चलाने की मांग की। शीर्ष अदालत ने इससे पहले उनकी याचिका खारिज कर दी थी। उसमें उन्होंने कथित तौर पर कुछ आपत्तिजनक दृश्यों को हटाने की मांग की थी। न्यायालय ने कहा था कि सीबीएफसी ने अब तक फिल्म को प्रमाण-पत्र नहीं दिया है और शीर्ष अदालत किसी वैधानिक निकाय को अपना काम करने से नहीं रोक सकती है। (भाषा)

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