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हद है! शिक्षकों को पहले वेतन में आलू-गाजर, अब दिए चूजे...

हमें फॉलो करें हद है! शिक्षकों को पहले वेतन में आलू-गाजर, अब दिए चूजे...
वैसे तो बरसों पहले वेतन के नाम पर नमक दिया जाता था। इसी साल्ट के नाम पर सैलेरी शब्द बना लेकिन क्या हो यदि किसी को महीने भर काम करने के बाद वेतन के रूप में सब्जी या मुर्गी के चूजे बांटे जाए।

चौंकिए नहीं उज़्बेकिस्तान के एक शहर में स्कूल टीचरों को नकदी की जगह वेतन के रूप में मुर्गी के चूज़े दिए गए। अमेरिकी सहयोग से चलाए जा रहे रेडियो ओजोडलिक की रिपोर्ट के मुताबिक कैरेकलपाकस्तान रिपब्लिक में, नुकूज के अधिकारी देश के बैंकों में पैसे की कमी की वजह से अंडे से निकले चूजों को बांट रहे हैं। 
 
स्कूल के शिक्षक ने इस फ़ैसले को शर्मनाक बताते हुए कहा कि बीते साल इन्होंने हमें आलू, गाजर और कद्दू का वेतन दिया। इस साल ये हम पर वेतन के बदले चूजों को लेने के लिए दबाव बना रहे हैं।

एक और शिक्षक का कहना है कि अगर हमे चिकन की जरूरत होती है तो हम इसे बाजार से काफी कम कीमत पर खरीद सकते हैं। उल्लेखनीय है कि वेतन के लिए एक चूज़े को सात हजार सोम (उज़्बेकिस्तान की मुद्रा) मतलब ढाई डॉलर के बराबर माना गया, जो बाज़ार में इसकी कीमत से दोगुना है। 
 
उज़्बेकिस्तान कई वर्षों से नकदी की कमी की समस्या से जूझ रहा है, जो सैलरी और पेंशन भुगतान में काफी अधिक देरी का कारण है। रेडियो ओजोडलिक कहानी पर जिन उज़बेकों ने टिप्पणी की, उनमें से एक ने कहा- ये शर्मनाक है और भ्रष्ट नौकरशाही का संकेत है। 
 
हालांकि एक अन्य ने मजाक किया- 'इसमें क्या गलत है? आप नाश्ते में चिकन सूप लेते हैं, तला हुआ चिकन लंच के लिए और चिकन डिनर के लिए- इसमे कम से कम कई विटामिन्स तो हैं'!! 

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