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भारत के 30 अजूबे, आखिर हैं क्या..?

हमें फॉलो करें भारत के 30 अजूबे, आखिर हैं क्या..?
भारत एक नहीं वरन कई मामलों में अद्भुत देश है। यहां कई ऐसे अजूबे हैं, जिनके बारे सुनकर व्यक्ति दांतों तले अंगुली दबा लेता है। ये सभी अजूबे देश के अलग अलग हिस्सों में मौजूद हैं। यह जानकारी सोनाली मूसाहारी की रिपोर्ट पर आधारित है। आइए जानते हैं इन 30 अजूबों के बारे में...

1. हवा में ऊपर उठने वाला पत्थर : महाराष्ट्र में पुणे के पास एक छोटा सा गांव शिवापुर है, जहां पर हजरत कमर अली दरवेश का स्थान है। कहते हैं कि वर्तमान स्थल पर 800 वर्ष पूर्व एक व्यायाम शाला थी। कमर अली नाम के सूफी संत का वहां कुछ पहलवानों ने मजाक उड़ाया। संत ने बॉडी बिल्डिंग के लिए रखे पत्थरों पर अपना मंत्र फूंक दिया। यहां सत्तर किलो का वजनी पत्थर मात्र 11 अंगुलियों के छोरों के छूने और संत का नाम जोर से लेने भर से हवा में उठ जाता है। आज भी संत कमर अली का नाम लेने भर से पत्थर चमत्कारी ढंग से उठ जाता है।

2. काले जादू का देश, मायोंग (असम) : मायोंग पर आज भी रहस्य का आवरण रहता है और इसे काले जादू की भूमि के नाम से जाना जाता है। पबित्रा वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी के पास स्थित यह गांव गुआहाटी शहर से 40 किमी दूर है। माना जाता है कि मायोंग का नाम संस्कृत शब्द माया या भ्रम से लिया गया है। कहा जाता है कि यहां लोग गायब हो जाते हैं, लोग जानवरों में बदल जाते हैं और जंगली जानवरों को पालतू बना लिया जाता है। यहां पर काला जादू और जादू टोना पीढ़ियों से किया जाता रहा है। मायोंग सेंट्रल म्युजियम में आयुर्वेद और काले जादू के बहुत से प्राचीन अवशेष यहां पर मौजूद हैं।

3. कंकालों की झील, रूपकुंड झील, चमोली (उत्तराखंड) : हिमालय के पहाड़ों में 16500 फुट की ऊंचाई पर निर्जन हिस्से में रूपकुंड झील है। यह झील बर्फ से ढंकी और चट्टानों में बिखरे ग्लेशियरों से भरी हुई है। इसे कंकाल झील या रहस्यमय झील के नाम से ज्यादा जाना जाता है और इस झील का सबसे बड़ा आकर्षण 600 से ज्यादा कंकाल हैं जो कि इस झील से पाए गए थे। यह नौवीं सदी से है और जब बर्फ पिघलती है तो इसका तल स्पष्ट दिखाई देता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि बाहरी लोगों की आवाजाही से स्थानीय देवता लातू नाराज हो गए और उन्होंने इस रास्ते में भयानक बर्फीला तूफान भेज दिया था जिससे इन लोगों की मौत हो गई थी।

4. जातिंगा, असम में पक्षियों की सामूहिक आत्महत्या : असम के बोराइल पहाडियों में बसा सुरम्य गांव जातिंगा प्रत्येक मानसून में एक विचित्र दृश्य का साक्षी बनता है। सितम्बर और अक्टूबर के मध्य यहां पर घनी और धुंधवाली रातों में सैकड़ों की संख्या में प्रवासी पक्षी पूरी गति से पेड़ों या इमारतों से टकराकर मर जाते हैं। इस सामूहिक आत्महत्या की घटना पर सबसे पहले साठ के दशक में प्रसिद्ध प्रकृतिवादी ईपीजी ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया, लेकिन अभी तक इसका रहस्य नहीं सुलझा है।   
अगले पेज पर जानें... जुड़वां बच्चों के नगर और चुंबकीय पहाड़ के बारे में....
 

5. जुड़वां बच्चों के नगर, कोदिन्ही (केरल) और ऊमरी (इलाहाबाद) : केरल के मल्लपुरम जिले में एक छोटा सा कस्बा कोदिन्ही है, जिसने सारी दुनिया के वैज्ञानिकों को आश्चर्य में डाल दिया है। इसकी दो हजार की आबादी में से एक जैसे जुड़वां बच्चों की 350 जोडि़यां हैं। इसे ट्विन टाउन भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर प्रत्येक एक हजार जन्मों पर छह जोड़ियां जुड़वां बच्चों की होती हैं। कोदिन्ही के प्रत्येक परिवार में एक से ज्यादा जुड़वां बच्चों की जोडि़यां हैं।
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इलाहाबाद के पास मुहम्मदपुर उमरी की भी यही कहानी है। गांव की कुल 900 लोगों की जनसंख्या में 60 से ज्यादा जुड़वां बच्चों की जोडि़यां हैं। उमरी का जुड़वां बच्चों की दर राष्ट्रीय औसत की तुलना में 300 गुना ज्यादा है और शायद यह दुनिया में सबसे ज्यादा है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इसका कारण जीन्स हो सकते हैं, लेकिन बहुतों के लिए यह ईश्वरीय चमत्कार से कम नहीं है।  

6. लद्दाख का चुम्बकीय पहाड़ : अगर आप लेह के लिए जाते हैं तो आपको रास्ते में चुम्बकीय ताकत वाला पहाड़ मिलेगा जो कि समुद्र तल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर है। समझा जाता है कि इस पहाड़ में चुम्बकीय ताकत है जो कि लोहे की चीजों को अपनी ओर खींचता है। जब कारों का इग्नीशन बंद कर दिया जाता है तब भी कारें इसकी ओर खिंची चली आती हैं। यह एक वास्तविक रोमांचक अनुभव है। इसे दुनिया की ग्रेविटी हिल्स में गिना जाता है।  

7. चरस के लिए कुख्यात मैलाना, हिमाचल प्रदेश : कुल्लू घाटी के उत्तर पूर्व में स्थि‍त मैलाना को 'भारत का एक छोटा यूनान' भी माना जाता है क्योंकि यहां के स्थानीय निवासियों का मानना है कि वे सिकंदर महान के वंशज हैं। यह प्राचीन गांव सारी दुनिया से कटा हुआ है और गांव वालों की अपनी एक राजनीतिक व्यवस्था है। इस गांव में केवल एक सौ घर हैं लेकिन इसे सबसे ज्यादा प्रभावकारी चरस के लिए जाना जाता है।

8. एशिया का सबसे साफ गांव, माविलीनोंग, मेघालय : चेरापूंजी के माविलीनोंग गांव को 'ईश्वर का अपना बगीचा' कहा जाता है। इसे एशिया का सबसे ज्यादा साफ गांव होने के अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। पर्यावरण आधारित पर्यटन को उन्नत बनाने का यह प्रयास है। आश्चर्यजनक बात है कि इस गांव में साक्षरता की दर सौ फीसदी है और ज्यादातर गांववाले धाराप्रवाह अंग्रेजी बोल सकते हैं। इस गांव में सुंदर झरने हैं और इसके अलावा इसे लिविंग रूट्सल ब्रिज और एक बैलेंसिंग रॉक के कारण जाना जाता है।

9. बिना दरवाजों का गांव, शनि शिंगणापुर, महाराष्ट्र : यह गांव पूरे देश में शनि मंदिर के लिए जाना जाता है। यह अहमदनगर से 35 किमी दूर है। इस गांव में कभी कोई अपराध नहीं हुआ और इसे शनिदेव का आशीर्वाद माना जाता है। गांव के लोगों को अपने देवता पर भरोसा है और उन्होंने गांव की रक्षा को उनके भरोसे छोड़ रखा है। इस कारण से गांव के घरों और कारोबारी इमारतों में न तो दरवाजे और न ही कोई डोर फ्रेम होता है। गांव की शून्य अपराध दर को ध्यान में रखते हुए यूको बैंक ने इस गांव में 'लॉक-लेस' शाखा खोली है। यह भारत में अपने किस्म की पहली शाखा है।

अगले पेज पर... सांपों का गांव और चूहों का मंदिर...

10. चूहों का मंदिर, कर्णी माता ‍मंदिर, राजस्थान : बीकानेर से करीब 30 किमी दूर एक छोटे से कस्बे को देशनोक कहा जाता है, जहां पर कर्णी माता का मंदिर है। इस मंदिर में बीस हजार से ज्यादा चूहे हैं और इन्हें 'कब्बास' कहा जाता है। मंदिर में इनकी पूजा की जाती है क्योंकि माना जाता है कि वे करणी माता के ‍परिजन हैं, जिन्होंने चूहों के रूप में जन्म लिया है। सफेद चूहों को और भी आदर दिया जाता है क्योंकि माना जाता है कि उन्हें कर्णी माता और उनके बेटों का अवतार माना जाता है।
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11. सांपों की भूमि, शेतपाल, महाराष्ट्र : महाराष्ट्र के शोलापुर जिले का शेतपाल गांव सांपों की पूजा के लिए जाना जाता है। इस गांव में एक प्रथा है, ‍जिसे डरावनी समझा जा सकता है क्योंकि इस गांव के प्रत्येक घर में छतों की शहतीरों में कोबरा सांपों ‍के लिए रहने का स्थान बनाया जाता है। हालांकि यहां प्रत्येक घर में सांप मुक्त रूप से घूमते हैं, लेकिन सांप के काटने का कोई मामला सामने नहीं आया है।

12. मुर्दों के साथ भोजन, न्यू लकी रेस्टोरेंट, अहमदाबाद : यहां पर कुछ ऐसा है जो कि  एक ही समय पर अस्वस्थकर और आश्चर्यजनक है। न्यू लकी रेस्टोरेंट का वातावरण कुछ अलग है क्योंकि यह कॉफी हाउस एक सदियों पुराने मुस्लिम कब्रिस्तान में बना है। टेबलों के बीच ही कब्रें हैं और कहा जाता है कि ये सोलहवीं सदी के एक सूफी संत और उनके भक्तों की हैं। इस रेस्टोरेंट में हमेशा ही लोगों की चहलपहल रहती है और इसके मालिक का कहना है कि कब्रें उनका भाग्यशाली शुभंकर हैं।

13. भारत का सबसे ऊंचा और दु:खद झरना, नोकालीकाई झरना, मेघालय : चेरापूंजी के पास यह भारत का सबसे ऊंचा उपर से गिरने वाला झरना है जो कि 1115 फीट की ऊंचाई से गिरता है। बरसात के पानी से बनने वाले इस झरने का नामकरण एक महिला 'का लीकाई' की दुखद कहानी पर आधारित है। अपने पति की मौत के बाद का लीकाई ने दोबारा विवाह किया, लेकिन उसका दूसरा पति उसकी सौतेली बेटी के प्रति मां के प्यार को लेकर बहुत ही ईर्ष्यालु था। उसने बेटी की हत्या कर दी और उसके अंगों का भोजन बना दिया। का लीकाई ने अपनी बेटी को हर जगह खोजा लेकिन उसे पा नहीं सकी। वह थक कर चूर अपने घर पहुंचती है और उसका पति उसको भोजन देता है। खाने के बाद वह यह देखकर भयभीत हो जाती है कि उसकी बेटी की अंगुलियां सुपारी से भरी टोकरी में पड़ी हैं। दुख और शोक से भरी मां झरने से गिरकर अपनी जान दे देती है। इस तरह इस झरने का नाम 'का लिकाई का झरना' हो गया।

14. झूलता खम्बा, लेपाक्षी, आंध्रप्रदेश : यह छोटा सा गांव बहुत से प्राचीन अवशेषों और वास्तु शिल्प के आश्चर्यों का घर है। इनमें से एक है लेपाक्षी मंदिर का झूलता हुआ खम्बा। मंदिर के सत्तर खम्बों में से एक बिना किसी सहारे के लटकता है। आगंतुक इस खम्बे के नीचे से बहुत सारी वस्तुओं को डालकर तय करते हैं कि इस खम्बे को लेकर किए जा रहे दावे सच हैं या नहीं। जबकि स्थानीय नागरिकों का कहना है कि खम्बे के नीचे से विभिन्न वस्तुओं को निकालने से लोगों के जीवन में सम्पन्नता आती है।  

15. दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप, माजुली, असम : ब्रह्मपुत्र नदी पर स्थित माजुली विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप है और इन्सानों और भगवान की रचनाओं को मिलाने का समारोह है। इस द्वीप की सुंदरता स्वर्ग जैसी है। यह एक लोकप्रिय सांस्कृतिक गतिविधियों का भी केन्द्र है जोकि श्रीमंत शंकरदेव के विचारों को प्रसारित करता है।

16. शाश्वत ज्योति, ज्वाला जी मंदिर, कांगड़ा : देवी से आशीर्वाद पाने के लिए सालभर लोग कांगड़ा के ज्याला जी मंदिर में आते हैं। मंदिर के ठीक बीच में एक खोखले पत्थर में एक लौ है जोकि सैकड़ों वर्षों से जल रही है। पौराणिक कहानियों के अनुसार भगवान शिव की पत्नी सती ने तब दुख में अपने आप को भस्म कर लिया था जब उनके पिता ने शिव का ‍अपमान किया था। कहते हैं कि जली हुई लाश को लेकर शिव ने तांडव किया था और उनके ऐसा करने के दौरान सती का शरीर 51 हिस्सों में बंटकर पृथ्वी पर गिर गया था। इनमें से प्रत्येक स्थान हिंदुओं के लिए एक तीर्थ बन गया। कांगड़ा की ज्वाला जी को सती की जीभ के तौर पर माना जाता है।
अगले पेज पर पढ़ें ... सबसे बड़ी प्रतिमा और बुलेट बाबा के बारे में...

17. संघा तेनजिंग की प्राकृतिक ममी, गुए गांव, स्पीति : अगर आप सोचते हैं कि ममीज केवल मिस्र में ही पाई जाती हैं तो आप गलत हैं। हिमाचल प्रदेश के स्पी‍ति जिले के गुए गांव में तिब्बत के एक बौद्ध भिक्षु संघा तेनजिंग की ममी रखी हुई है जो‍ कि पांच सौ वर्ष पुरानी है। यह ममी बैठी हुई अवस्था में है और इसकी त्वचा और बाल पूरी तरह सुरक्षित हैं। संभवत: ऐसा इसलिए है कि भिक्षु ने खुद को जीवित रहते हुए ही ममी बनाने का काम किया होगा। रासायनिक लेपों के जरिए शरीर को सुरक्षित बनाने की तुलना में प्राकृतिक तौर पर ममी बनाने की प्रक्रिया बहुत ही जटिल और अत्यधिक दुर्लभ है। इस ममी का पता 1975 में एक भूकम्प के बाद लगा था और तब से इसे गुए के मंदिर में दर्शनार्थ रखा गया है।
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18. विश्व का सबसे ऊंचा चाय बागान, मोलुक्कुमालाई, तमिलनाडु : मुन्नार से करीब डेढ़ घंटे की ड्राइव पर स्थित मोलुक्कुमालाई चाय बागान समुद्र तल की ऊंचाई से आठ हजार फीट ऊंचाई पर है। यह तमिलनाडु के मैदानी इलाकों में पाए जाने वाला सबसे ऊंचा है जो कि चारों ओर से ऊंची-नीची पहाडि़यों से घिरा है। यहां यह तय करना मुश्किल है कि कौन अधिक सुंदर है- प्राकृतिक दृश्य या यहां पर पैदा होने वाली सुगंधित चाय।
ओम बना मंदिर

19.  मोटरसाइकल देवता- बुलेट बाबा मंदिर, राजस्थान : अगर दुनिया में ऐसा कोई स्थान है जहां आप एक मोटरसाइकिल को शराब की बोतलें और फूलों को चढ़ाए जाने का रिवाज देखते हैं तो यह भारत में ही संभव है। पाली जिले के चोटीला निवासी ओमसिंह राठौड़ की उस समय मौत हो गई थी जब वे नशे की हालत में मोटरसाइकिल चला रहे थे और उनका वाहन एक पेड़ से जा टकराया था।

पुलिस ने बाइक को अपने कब्जे में ले लिया और इसे थाने ले आई। लेकिन अगले दिन बाइक फिर से दुर्घटना स्थल पर ही पाई गई। पुलिस कर्मी फिर से इसे थाने ले आए, इसका फ्यूल टैंक खाली कर दिया और इसे चेन से बांध दिया। लेकिन अगले दिन बाइक फिर घटनास्थल पर मौजूद थी। इसके बाद मोटरसाइकल को स्थायी रूप से उस स्थान पर रख दिया गया। और इस स्थान को ओम बाबा या बुलेट बाबा का नाम दे दिया गया। यहां एक मंदिर भी बना दिया गया। प्रत्येक दिन यहां बड़ी संख्या में लोग प्रार्थना के लिए आते हैं। समझा जाता है कि ओम बाबा की आत्मा यात्रियों की रक्षा करती है।

20. विश्व की सबसे बड़ी विशालकाय प्रतिमा, गोम्मटेश्वर प्रतिमा : गोम्मटेश्वर या बाहुबली की श्रवणबेलगोला में साठ फीट ऊंची प्रतिमा है। यह ग्रेनाइट की एक चट्टान को काटकर बनाई गई है। यह प्रतिमा इतनी बड़ी है कि यह 30 किमी की दूरी से देखी जा सकती है। पौराणिक कहानियों के अनुसार गोम्मटेश्वर एक जैन संत थे और उन्होंने अपने जीवन काल के आधे समय में ही जीवन मरण के चक्र से मुक्ति पा ली थी। प्रतिमा को सबसे पहले गंग राजवंश के एक मंत्री चामुंडाराय ने 978 और 994 सदियों के बीच बनवाया था। यह दुनिया भर के जैन धर्म को मानने वालों के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान है। इस विशाल प्रतिमा के पैरों के पास खड़े होकर जब हम अपने आप को देखते हैं तो हमें इस बात का अहसास होता है कि इसकी तुलना में हम कितने बौने हैं।
कुत्तों का मंदिर और दुनिया एकमात्र तैरती हुई झील... अगले पेज पर....


21. ताज की आधी प्रतिकृति, बीबी का मकबरा, औरंगाबाद : सत्रहवीं सदी के अंत में छोटा ताज अपनी मूल प्रेरणा की तुलना में 30 से भी कम वर्षों में बन गया था। इसे अक्सर ही गरीबों का ताजमहल कहा जाता है। इसका निर्माण कार्य औरंगजेब ने शुरू कराया था और इसे उसके एक बेटे, आजम शाह ने करवाया था। यह सम्राट की पहली पत्नी और आजम की मां की याद में बनवाया गया था। हालांकि यह आगरा के प्रसिद्ध ताजमहल की तुलना में हल्का पड़ता है लेकिन बीबी का मकबरा अपनी आकर्षक सादगी के लिए विख्यात है।
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22. लिविंग रूट्स ब्रिज, चेरापूंजी, मेघालय : मेघालय के चेरापूंजी में आदमी ने प्रकृति को अपना मित्र बना लिया है और इसकी मदद से अपने लिए नए रास्ते भी बना लिए हैं। दुनिया में लोग पुल बनाते हैं लेकिन मेघालय में लोग पुल उगाते हैं। फिकस इलेस्टिका या रबर ट्री अपने तनों से मजबूत सेकंडरी (द्वितीयक) जड़ें पैदा करता है। यहां इन जड़ों को एक विशेष तरीके से बेटल-नट ट्रंक्स (सुपारी के पेड़ की जड़ों) की मदद से ऐसे पुल बनाए हैं जोकि मजबूत हैं और दशकों तक चलते हैं। इनमें से कुछ पुल सौ फीट से अधिक लम्बे हैं। उमशियांग का डबल डेकर पुल समूची दुनिया में अपनी किस्म का अकेला पुल है। कुछ पुराने रूट पुल तो 500 वर्षों से भी अधिक पुराने हैं।

23. दुनिया का सबसे चौड़ा बरगद, बॉटेनिकल गार्डन, हावड़ा : कोलकाता के पास आचार्य जगदीश चंद्र बोस बॉटेनिकल गार्डन, हावड़ा में प्रकृति का सजीव व ताकतवर गौरव का एक और उदाहरण खड़ा है। यहां 1250 वर्ष पुराना बरगद का पेड़ है जिसका दायरा चार एकड़ के इलाके में फैला हुआ है। इसे दुनिया का सबसे चौड़ा पेड़ माना जाता है। इस पर बिजली गिरने के बाद यह पेड़ बीमार हो गया था और 1925 में इसके तने को हटाया गया था। यह आज भी अपने मुख्य तने के बिना सजीव है और इसकी 3300 हवाई जड़ें जमीन में प्रवेश कर गई हैं। यह अकेला पेड़ ही एक जंगल की तरह प्रतीत होता है।

24.  दुनिया की एकमात्र तैरती हुई झील, लोकताक झील, मणिपुर : भारत के उत्तर पूर्व में सबसे बड़ी ताजे पानी की झील है जिसे लोकताक झील कहा जाता है। इसके तैरते हुए द्वीपों की श्रंखला के कारण इसे विश्व की एकमात्र तैरती हुई झील भी कहा जाता है। इसकी प्राकृतिक सुंदरता के अलावा यह झील मणिपुर की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाती है। इससे पनबिजली बनती है, सिंचाई होती है, पीने योग्य पानी की आपूर्ति होती है और स्थानीय मछुआरों को आजीविका मिलती है। लोकताक झील पर सबसे बड़ा द्वीप कैबुल लामजो नेशनल पार्क है जोकि मणिपुर के ब्रो-एंटलर्ड डीयर या थामिन का अंतिम प्राकृतिक शरणस्थली है। यह राज्य का लुप्तप्राय हिरण है जिसका संरक्षण बहुत अनिवार्य है।

25. कुत्ते का मंदिर, चन्नापाटना, कर्नाटक : रामनगर जिले के चन्नापाटना में एक समुदाय है जिसने श्वान के सम्मान में एक असामान्य मंदिर बनाया है। श्वान देवता का आशीर्वाद पाने के लिए यहां लोग पूजा करते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि कुत्ते को स्वामीभक्त और अच्छे स्वभाव वाला माना जाता है, लेकिन समय-समय पर वह दुर्जेय भी साबित होते हैं। कहा जाता है कि श्वान देवता गांव के देवता के साथ मिलकर अपने काम करते हैं।    

जय श्रीराम, यहां अब भी तैरते हैं पत्थर... पढ़ें अगले पेज पर...
                    

26. गुरुत्वाकर्षण रोधी महल, बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ : वास्तुकला का यह नायाब नमूना 18वीं सदी में बनवाया गया था और इसे अवध के नवाब आसफ उद्दौला ने बनवाया था। उन्होंने इसमें यूरोपीय और अरबी ‍वास्तुकला का मिश्रण है। इसका मध्य में बना मेहराबदार हॉल 50 मीटर लम्बा और करीब तीन मंजिलों तक ऊंचा है और बिना किसी बीम या खम्बे की मदद के खड़ा रहता है। इसके मुख्य द्वार को भूलभुलैया के लिए जाना जाता है जोकि 1000 से अधिक सीढ़ियों का रास्ता का है। इमामबाड़ा कॉम्प्लेक्स में हरेभरे बगीचे, एक दर्शनीय मस्जिद और एक बावड़ी है।  
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27. तैरते पत्थर, रामेश्वरम्, तमिलनाडु : पम्बन द्वीप पर स्थित और पम्बन नहर के द्वारा भारत के मुख्य पर्वतीय भाग से विभाजित रामेश्वरम का छोटा कस्बे का हिंदू पौराणिक कथाओं में बहुत महत्व है। समझा जाता है कि रामजी ने सीताजी को श्रीलंका से छुड़ाने के लिए लंका तक एक पुल का निर्माण किया था। इस पुल को बनाने के लिए जिन पत्थरों का उपयोग किया गया था उन पर राम का नाम लिखा था और ये पत्थर पानी में कभी नहीं डूबे। आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि आज भी रामेश्वरम के आसपास ऐसे 'तैरने वाले पत्थर' पाए जाते हैं।  

28. लाल बारिश, इडुक्की, केरल : अपनी आकर्षक और स्वादिष्ट समुद्रतटीय कड़ी के अलावा, इडुक्की को एक विचित्र तथ्य के लिए जाना जाता है। इसे 'रेड रेन' या लाल बारिश कहा जाता है। कहा जाता है कि वर्ष 1818 में सबसे पहले लाल बारिश की घटना को रिकॉर्ड किया गया। इसके बाद इडुक्की में समय-समय पर इस घटना को देखा गया है। इडुक्की को एक लाल क्षेत्र के तौर पर चिन्हित किया गया है। हिंदुओं के धर्मग्रंथों में लाल बारिश को देवताओं का कोप कहा गया है और देवता अपराधियों को दंड दे रहे हैं। इसका अर्थ मौत और बरबादी भी समझा जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि निर्दोषों की हत्या के कारण लाल बारिश होती है, लेकिन इस मामले पर वैज्ञानिकों ने अपना कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है।  

29. ग्रामीण ओलिम्पिक्स, किला रायपुर, लुधियाना : प्रति वर्ष की फरवरी में लुधियाना के किला रायपुर गांव में पर्यटकों और स्थानीय निवासियों को किसानों की शौकिया खेल प्रतियोगिताएं होती हैं। यह आयोजन किले में और इसके आसपास होता है। ये ग्रामीण ओलिम्पिक्स एक परोपकारी सज्जन इंदरसिंह ग्रेवाल के दिमाग की उपज थे। उन्होंने इनके आयोजन के बारे में वर्ष 1933 में विचार किया था। इन प्रतियोगिताओं के दौरान  बैलों की दौड़, टेंट पेगिंग, गतका, ऊंटों, खच्चरों और कुत्तों की दौड़ होती हैं। इस अवसर पर पंजाबी लोकगीतों और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं और ये खेल अपने आप में एक वास्तव में आनंदित करने वाला अनुभव होता है।

30. वीजा देवता का मंदिर, बालाजी मंदिर, चिल्कुर, हैदराबाद : कुछ देवता आपको समृद्धि् देते हैं, कुछ रक्षा करते हैं लेकिन चिल्कुर में बालाजी मंदिर के देवता आपको अमेरिका का वीजा दिलाने की सामर्थ्य रखते हैं। यह मंदिर हैदराबाद के बाहरी इलाके में स्थित है। इसे वीजा बालाजी मंदिर के नाम से जाना जाता है। डॉलरों का सपना देखने वाले बहुत से लोग, जोकि किसी भी धर्म और जाति के हो सकते हैं, अपने वीजा इंटरव्यू से पहले मंदिर में आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं। यहां आने वाले लोगों को अगर वीजा मिल जाता है तो उन्हें अपनी प्रतिज्ञा पूरी करनी होती है और मंदिर के अंदर के हिस्से की 108 बार परिक्रमा करनी पड़ती है। आप भले इस बात पर हंस सकते हैं, लेकिन यह पुरानी दुनिया में नई मान्यताओं का एक प्रशंसनीय उदाहरण है।

भारत में सारी अद्भु्त और आश्चर्यजनक चीजें देखने के लिए शायद एक जिंदगी कम पड़ जाए इसलिए संभव है कि इसी कारण से हम भारतीय पुनर्जन्म में भी विश्वास करते हैं ताकि पिछले जन्मों के अधूरे कामों को पूरा कर सकें। (scoopwhoop.com से साभार)

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