Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

एलियंस के संबंध में 10 बातें जानकर चौंक जाएंगे आप

हमें फॉलो करें एलियंस के संबंध में 10 बातें जानकर चौंक जाएंगे आप

अनिरुद्ध जोशी

दूसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश विज्ञान के लिए बेहद चुनौतीभरा काम रहा है और हो सकता है कि यही काम दूसरे ग्रहों के वैज्ञानिक भी करते हों। ऐसे में वे अपने किसी यान द्वारा धरती पर आ जाते हों तो कोई आश्चर्य नहीं! हम भी तो चन्द्र ग्रह, मंगल ग्रह पर पहुंच गए हैं। हमने शनि पर भी एक यान भेज दिया है। अब किसी न किसी दिन मानव भी उन यानों में बैठकर जाने की हिम्मत करेंगे।
 
 
यह ब्रह्मांड कितना बड़ा है इसकी कल्पना करना मुश्किल है। बस यह समझ लीजिए कि इस ब्रह्मांड में हमारी धरती रेत के एक कण के बराबर भी नहीं है। इस धरती से कई गुना बड़े करोड़ों ग्रह हमारे ब्रह्मांड में मौजूद हैं। सबसे बड़ी बात यह कि हमारे इस ब्रह्मांड में लाखों गैलेक्सियां हैं। गैलेक्सी को 'आकाशगंगा' कहते हैं। हमारी आकाशगंगा को अंग्रेजी में मिल्कीवे कहते हैं जबकि हिन्दी में क्षीरमार्ग और मंदाकिनी कहते हैं जिसमें पृथ्वी, हमारा सौरमंडल और लाखों तारे स्थित हैं।
 
 
वैज्ञानिक कहते हैं कि जब हमारी गैलेक्सी में ही धरती जैसे लाखों ग्रह होंगे तो निश्चित ही उनमें में कुछ पर तो जीवन होगा ही। वहां पर भी मनुष्य और पशु-पक्षी जैसे ही प्राणी रहते ही होंगे। हो सकता है कि उनमें से कुछ हमारी सोच से कमजोर हो और कुछ मनुष्य जाति से कई गुना बुद्धिमान और टेक्नोलॉजी में संपन्न हों। ऐसे ही लोगों को 'एलियन कहते हैं। 'एलियन' का अर्थ होता है- परग्रहवासी या दूसरे ग्रह का निवासी।
 
 
सन् 2009 में अमेरिकी अंतरिक्ष संस्था नासा ने हमारी आकाशगंगा के सर्वेक्षण के लिए केपलर मिशन-10 के नाम से एक परियोजना की शुरुआत की थी जिसका उद्देश्य था प्लेनेट हंटिंग यानी जीवनयोग्य ग्रहों का आखेट। यह अंतरिक्ष वेधशाला शक्तिशाली टेलीस्कोप से सज्जित है, जो पृथ्वी जैसे आकार और गुणों वाले ग्रहों की खोज कर रहा है। यह भी पता लगाने की कोशिशें हो रही हैं कि 400 अरब तारे और इतने ही ग्रहों वाली हमारी आकाशगंगा के कितने ग्रहों में जीवन संभव है? एक अध्ययन के अनुसार हमारी आकाशगंगा में 160 अरब ग्रह हैं, जहां एलियंस हो सकते हैं। आओ जानते हैं उन्हीं के बारे में 10 रोचक जानकारी...
 
 
1. वर्षों के वैज्ञानिक शोध से यह पता चला कि 10 हजार ईपू धरती पर एलियंस उतरे और उन्होंने पहले इंसानी कबीले के सरदारों को ज्ञान दिया और फिर बाद में उन्होंने राजाओं को अपना संदेशवाहक बनाया। वे अलग-अलग काल में अलग-अलग परंपरा-समाज की रचना कर धरती के देवता या कहें कि फरिश्ते बन बैठे। इजिप्ट (मिस्र), मेसोपोटामिया, सुमेरियन, इंका, बेबीलोनिया, सिन्धु घाटी, माया, मोहनजोदड़ो और दुनिया की तमाम सभ्यताओं के विकास में उन्हीं का योगदान रहा है। उन्होंने ही चीन, भारत, मिस्र, इसराइल, अमेरिका और रशिया में ऐसे स्मारक, पूजा स्थल या अजूबे बनाए जिन्हें बनाना मनुष्य के बस की बात ही नहीं लगती।
 
 
हिस्ट्री चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक प्राचीन सभ्यताओं के स्मारकों पर शोध करने वाले मशहूर लेखक एरिक वोन डेनीकेन की किताब 'चैरियोट्स ऑफ गॉड्स' ने दुनिया की सोच को बदलकर रख दिया है। उनके अनुसार प्राचीन मिस्र के निवासियों के पास गीजा के पिरामिडों को बनाने की कोई तकनीक ही नहीं थी। मिस्र के निवासियों के पास गीजा में पिरामिड बनाने के लिए न तो औजार थे, न ही इन्हें बनाने का ज्ञान था। इस तरह इन्हें अवश्य ही एलियंस ने बनाया होगा। यदि भारत के संदर्भ में बात करें, तो ऐसे कई मंदिर हैं जिन्हें आज की आधुनिक मानव तकनीक से भी नहीं बनाया जा सकता।
 
 
2. वैज्ञानिकों ने कई सालों के रिसर्च के बाद यह पता लगाया कि 'ओरायन' एक ऐसा नक्षत्र है जिसका हमारी धरती से कोई गहरा संबंध है। भारतीय, मिस्र, मेसोपोटामिया, माया, ग्रीक और इंका आदि सभ्यताओं की पौराणिक कथाओं और तराशे गए पत्थरों पर अंकित चित्रों में इस 'नक्षत्र' संबंधी जो जानकारी है, वह आश्चर्यजनक ढंग से एक समान है। वैज्ञानिक मानते हैं कि हमारे पूर्वज या कहें कि हमें दिशा-निर्देश देने वाले लोग 'ओरायन' नक्षत्र से आए थे। भारत में ओरायन नक्षत्र को कालपुरुष नक्षत्र कहते हैं, जो मृगशिरा से मिलता-जुलता है।
 
 
हमारी धरती से 1,500 प्रकाशवर्ष दूर 'ओरायन' तारामंडल में वैसे तो दर्जनों तारे हैं लेकिन प्रमुख 7 तारे हैं। इस तारामंडल में 3 तेजी से चमकने वाले तारे एक सीधी लकीर में हैं जिसे 'शिकारी का कमरबंद' (ओरायन की बेल्ट) कहा जाता है। 7 मुख्य तारे इस प्रकार हैं- आद्रा (बीटलजूस), राजन्य (राइजॅल), बॅलाट्रिक्स, मिन्ताक, ऍप्सिलन ओरायोनिस, जेटा ओरायोनिस, कापा ओरायोनिस। इनमें आद्रा, राजन्य और बॅलाट्रिक्स तारे सबसे कांतिमय और विशालकाय हैं, जो धरती से स्पष्ट दिखाई देते हैं।
 
 
3. सन् 2010 में खबर आई थी कि 1948 के बाद सुदूर अंतरिक्ष में रहने वाले एलियंस अमेरिका और ब्रिटेन के परमाणु मिसाइल वाले स्थलों पर कई बार मंडराए थे। अमेरिकी वायुसेना के पूर्व जवानों के एक दल का दावा है कि ब्रिटेन के सफोल्क परमाणु स्थल पर वे उतरे भी थे। इन अधिकारियों ने अज्ञात उड़नतश्तरियों (यूएफओ) से जुड़े अपने अनुभवों को सार्वजनिक करने की घोषणा भी की थी। अमेरिकी वायुसेना के पूर्व अधिकारी कैप्टन रॉबर्ट सलास ने बताया कि हम अनजान उड़नतश्तरियों के बारे में बातें कर रहे हैं। हम इन्हें अकसर यूएफओ के नाम से जानते हैं।
 
 
'डेली मेल' ने उनके हवाले से लिखा कि अमेरिकी वायुसेना अज्ञात उड़नतश्तरियों के परमाणु स्थलों पर मंडराने और इससे जुड़े राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर झूठ बोल रही हैं, लेकिन हम इसे साबित कर सकते हैं। इस पूर्व अधिकारी ने कहा कि उन्हें इन घटनाओं का सबसे पहला अनुभव 16 मार्च 1967 को मोंटाना के माल्मस्ट्रोम एयरफोर्स बेस पर हुआ।
 
 
उन्होंने कहा कि मैं उस वक्त ड्यूटी पर था, जब एक वस्तु स्थल के ऊपर आई और मंडराने लगी। मिसाइलों ने काम करना बंद कर दिया और ऐसा एक हफ्ते बाद एक अन्य परमाणु स्थल पर भी हुआ। एक और अधिकारी कर्नल चार्ल्स हाल्ट ने कहा कि उन्होंने इप्सविच के करीब आरएएफ बेंटवाटर्स में एक यूएफओ को देखा था। यह ब्रिटेन के उन चुनिंदा स्थलों में है, जहां परमाणु हथियार हैं।
 
 
नासा के एक वैज्ञानिक ने अनुमान जताया है कि हो सकता है कि एलियंस धरती पर आए हों लेकिन हमें पता न चला हो। नासा के कम्प्यूटर साइंटिस्ट और प्रोफेसर सिल्वानो पी. कोलंबो ने एक रिसर्च पेपर में ऐसा दावा किया है कि हो सकता है कि एलियंस की संरचना परंपरागत कार्बन संरचना पर आधारित न हो इसलिए हमें इनका पता न चल पाया हो। सिल्वानो ने कहा कि एलियंस संभवत: इंसानों की कल्पना से बिलकुल अलग दिखते हों।
 
 
4. छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में एक गुफा में 10 हजार वर्ष पुराने शैलचित्र मिले हैं। नासा और भारतीय आर्कियोलॉजिकल की इस खोज ने भारत में एलियंस के रहने की बात पुख्ता कर दी है। यहां मिले शैलचित्रों में स्पष्ट रूप से एक उड़नतश्तरी बनी हुई है, साथ ही इस तश्तरी से निकलने वाले एलियंस का चित्र भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जो आम मानव को एक अजीब छड़ी द्वारा निर्देश दे रहा है। इस एलियंस ने अपने सिर पर हेलमेट जैसा भी कुछ पहन रखा है जिस पर कुछ एंटीना लगे हैं।
 
 
वैज्ञानिक कहते हैं कि 10 हजार वर्ष पूर्व बनाए गए ये चित्र स्पष्ट करते हैं कि यहां एलियन आए थे, जो तकनीकी के मामले में हमसे कम से कम 10 हजार वर्ष आगे हैं ही। दुनियाभर की प्राचीन सभ्यताओं के चित्रों में ऐसे चित्र भी मिलते हैं जिसमें एक अंतरिक्ष यान के साथ एक अजीब-सा मानव दर्शाया गया है।
 
 
5. इजिप्ट, मेसोपोटामिया, सुमेरियन, इंका, बेबीलोनिया, सिंधु घाटी, माया, मोहनजोदड़ो और दुनिया की तमाम सभ्यताओं के टैक्स में लिखा है कि जल्दी ही लौट आएंगे हमारे 'आकाशदेव' और फिर से वे धरती के मुखिया होंगे। इजिप्ट और माया सभ्यता के लोग मानते थे कि अंतरिक्ष से हमारे जन्मदाता एक निश्चित समय पर पुन: लौट आएंगे। ओसाइशिरा (मिस्र का देवता) जल्द ही हमें लेने के लिए लौट आएगा। तो क्या हम 'स्टार प्रॉडक्ट' हैं? और क्या इसीलिए गिजावासी मरने के बाद खुद का ममीकरण इसलिए करते थे कि उनका 'आकाशदेव' उन्हें अं‍तरिक्ष में ले जाकर उन्हें फिर से जीवित कर देगा?
 
 
6. विश्वभर के वैज्ञानिक मानते हैं कि धरती पर कुछ जगहों पर छुपकर रहते हैं दूसरे ग्रह के लोग। उन जगहों में से एक हिमालय है और दूसरा समुद्री सुरंगें और गुफाएं और तीसरी जगह हो सकती है वे जंगल, जहां मनुष्य कभी नहीं जाता। अंत में चौथी जगह यह कि वे हमारे बीच में ही रहते हों मनुष्य की तरह। विश्‍वभर में एलियंस या यूएफओ के देखे जाने की घटना का वर्णन हमें अखबारों या किताबों में मिलता है। हिमालय की एक घटना है कि 15 फरवरी की दोपहर तकरीबन 2.18 पर भारत-चीन सीमा से करीब 0.25 किलोमीटर दूर एक छोटे से क्षेत्र में मैदान से करीब 500 मीटर ऊपर चमकदार सफेद रोशनी नजर आई और 8 भारतीय कमांडो, 1 कुत्ते, 3 पहाड़ी बकरियों और 1 बर्फीले तेंदुए को भारी बादलों में ले जाने से पहले वह गायब हो गई।
 
 
हालांकि कुछ मानते हैं कि वह ले जाने में कामयाब नहीं हो पाई। कहा जाता है कि बाद में 6 कमांडो को गोवा के एक स्वीमिंग पूल से बचाया गया। 2 लापता हैं। शेष बचे हुए लोगों को यह घटना याद ही नहीं। इस घटना का गवाह एक स्थानीय किसान बना, जो सीमा रेखा के नजदीक भेड़ चरा रहा था। इस तरह के सैकड़ों किस्से हैं, जो समय-समय पर देश-दुनिया के अखबारों में छपते रहते हैं।
 
 
7. अंतरिक्ष वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंच गए हैं कि पृथ्वी के अलावा दूसरे ग्रह पर प्राणियों (एलियंस) का अस्तित्व है। एलियंस तकनीकी विकास में मनुष्यों से कहीं आगे हैं और वे हमारी गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं। स्पेन के इंस्टीट्यूट एस्टोफिसिका डेल केनारियास और फ्लोरिडा विवि के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के एक दल ने अपने अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला है। उनका मानना है कि दूसरे ग्रहों के प्राणी पृथ्वी पर मनुष्यों द्वारा विकसित तकनीकों के इस्तेमाल को संभवत: कौतूहलवश देख रहे हैं। ऑस्ट्रेलियाई अखबार 'डेली टेलीग्राफ' ने मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की वैज्ञानिक सुश्री सारा सीगेट के हवाले से कहा कि 'हो सकता है कोई हमें इस क्षण भी देख रहा हो और पृथ्वी की घूर्णन गति और दिन-रात के बारे में पूर्ण जानकारी रखता हो।'
 
 
8. एक सर्वेक्षण के मुताबिक विश्व में 20 प्रतिशत लोगों का मानना है कि एलियंस हमारे बीच इंसानों के भेष में घूमते हैं। समाचार एजेंसी रायटर्स ने एक सर्वेक्षण किया जिसमें 22 देशों के 23 हजार लोगों से सवाल पूछे गए। भारत और चीन में 40 प्रतिशत से ज्यादा लोगों का मानना है कि एलियंस पृथ्वी पर मनुष्यों के भेष में घूमते हैं। वहीं नीदरलैंड्स, स्वीडन और बेल्जियम के ज्यादातर लोग ऐसा नहीं मानते। वहां केवल 8 प्रतिशत लोग ही एलियंस की उपस्थिति पर विश्वास करते हैं। सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले लोगों में से 80 प्रतिशत को पक्का भरोसा है कि एलियंस हमारे बीच नहीं रहते हैं।
 
 
9. यह सही है कि आज का आधुनिक विज्ञान उन्हें एलियंस ही माने, लेकिन बाइबल में इन्हें 'नेफिलीम' कहा गया है जिन्हें स्वर्ग से बाहर कर दिया गया था और जो धरती के नहीं थे। ये स्वर्गदूतों के बच्चे थे। उनमें से एक शैतान था। परमेश्वर ने स्वर्गदूतों को स्वर्ग में रहने के लिए बनाया था, न कि धरती पर रहने के लिए लेकिन वे सब धरती पर आ गए। धरती पर वे इंसानों की औरतों की ओर आकर्षित होने लगे और फिर वे अपनी मनपसंद औरतों के साथ रहने लगे। फिर उनके भी बच्चे हुए और धीरे-धीरे उन्होंने धरती पर अपना साम्राज्य फैलाना शुरू किया। सामान्य मानव उन्हें या तो देवदूत कहता या राक्षस। इस तरह धरती पर एक नए तरह का युग शुरू हुआ और नए तरह का संघर्ष भी बढ़ने लगा और सभी तरफ एलियंस का ही साम्राज्य हो गया। लोग रक्त शुद्धता पर जोर देने लगे।
 
 
भारतीय, मिस्र, ग्रीस, मैक्सिको, सुमेरू, बेबीलोनिया और माया सभ्यता के अनुसार वे कई प्रकार के थे, जैसे आधे मानव और आधे जानवर। इंसानी रूप में वे लंबे-पतले थे, उनका सिर पीछे से लंबा था। वे 8 से 10 फीट के थे। अर्द्धमानव रूप में वे सर्प, गरुड़ और वानर जैसे थे। आपने विष्णु के वाहन का चित्र देखा होगा। नागदेवता को कौन नहीं जानता? दूसरे वे थे जो राक्षस थे, जो बहुत ही खतरनाक और लंबे-चौड़े थे। कुछ तो उनमें से पक्षी जैसे दिखते थे और कुछ वानर जैसे। उनमें से कुछ उड़ सकते थे और समुद्र में भीतर तल पर चल सकते थे। जब वे समुद्र के भीतर चलते थे तो उनके सिर समुद्र के ऊपर दिखाई देते थे। उनमें ऐसी शक्तियां थीं, जो आम इंसानों में नहीं थीं, जैसे पानी पर चलना, उड़ना, गायब हो जाना आदि। शोधकर्ता मानते हैं कि उनमें से बचे कुछ 'एलियंस' आज भी धरती पर मौजूद हैं। वे हमें इसलिए दिखाई नहीं देते है, क्योंकि या तो वे हिमालय की अनजान जगहों पर रहते हैं या पाताल की गुप्त सुरंगों में।
 
 
10. अमेरिका में कुछ महिलाओं ने दावा किया है कि उन्‍होंने एलियन के साथ सेक्स किया है। इन महिलाओं का यह भी दावा है कि उनके बच्‍चों के पिता भी वही एलियन हैं। एलियन से शा‍रीरिक संबंध बनाने के बाद महिलाओं ने कहा है कि यह उनका सबसे अच्‍छा अनुभव था। नीलसन और एलुना नाम की इन महिलाओं ने बताया कि उनके एलियन से कुल 13 बच्‍चे हैं।
 
 
इन महिलाओं ने दावा किया कि एलियन के साथ उनका संसर्ग बेहद शानदार रहा और उसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है तथा यह उत्तेजना से भरा एक अनोखा और बार-बार किया जाने वाला अनुभव रहा। ब्रिगेट नीलसन अमेरिका के शहर एरिजोना और एलुना वर्स लॉस एंजिल्स की रहने वाली हैं, साथ ही दोनों हाईब्रीड बेबी समुदाय की सदस्‍य भी हैं। इस समुदाय की सदस्‍य होने की वजह से ही इन दोनों का मानना है कि उनके बच्‍चे अंतरिक्ष में एलियंस के साथ स्पेसशिप में रहते हैं!
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Corona Virus live updates : इटली में कोरोना वायरस संक्रमण से 1 दिन में 368 लोगों की मौतें