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छोटा डर अच्छा करने के लिए प्रेरित करता है...

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, मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018 (17:41 IST)
इंदौर की कथक नृत्यांगना आयुषी दीक्षित मानती हैं जब भी हम बड़े मंच पर प्रस्तुति देते हैं तो थोड़ा डर तो रहता ही है। यही छोटा डर हमें और अच्छा करने के लिए प्र‍ेरित करता है। किसी भी कलाकार को कभी अतिआत्मविश्वास का शिकार नहीं होना चाहिए।
 
 
आयुषी छह साल की उम्र से कथक नृत्य कर रही हैं। वे कहती हैं कि शुरू में मां ने मुझे प्रेरित किया फिर बाद में इस दिशा में रुचि बढ़ती गई और पिछले 16 सालों से कथक मेरे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है। वे पुणे में तीन साल से कथक का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं और प्रतिदिन करीब 10 घंटे नृत्य साधना करती हैं। आयुषी कहती हैं कि यदि कोई इस क्षेत्र में आना चाहता है तो घर का माहौल भी अनुकूल होना चाहिए।
 
 
पूरा हुआ सपना : कथक के लखनऊ घराने से ताल्लुक रखने वाली आयुषी ने हाल ही में खजुराहो में आयोजित अंतरराष्ट्रीय नृत्य महोत्सव में कथक की एकल प्रस्तुति देकर कीर्तिमान बनाया है। वे ऐसा करने वाली सबसे कम उम्र की कथक नृत्यांगना हैं। आयुषी कहती हैं कि खजुराहो महोत्सव बहुत बड़ा मंच है, यहां प्रस्तुति देना हर कलाकार का सपना होता है। 
खजुराहों में मुझे काफी सराहना मिली, यहां नृत्य प्रस्तुत कर मेरा सपना पूरा हुआ है। मेरी ख्वाहिश है कि मैं ताज और कोणार्क महोत्सव में भी अपनी कला का प्रदर्शन करूं। आयुषी कहती हैं कि भविष्य में इसी कला को आगे बढ़ाना है क्योंकि शास्त्रीय नृत्य हमें संस्कृति से जोड़ता है। यदि मौका मिला तो बॉलीवुड में नृत्य निर्देशक (कोरियोग्राफर) के तौर पर जरूर काम करना चाहेंगी। 
 
कथा कहे सो कथक : कथक के बारे में चर्चा करते हुए आयुषी कहती हैं कथक काफी पुराना है। कथक में पहले कहानियां आईं फिर नृत्य का समावेश हुआ। अर्थात कथा कहे सो कथक। कथक का इतिहास राम के पुत्र लव और कुश से जुड़ा हुआ। दोनों भाइयों ने सबसे पहले वाल्मीकि रामायण का गायन किया था, तभी से कथक की शुरुआत हुई। कथक की दो शैलियां हैं एक मंदिर शैली और दूसरी दरबारी शैली। लखनऊ घराने का संबंध कथक की दरबारी शैली से है। इसकी शुरुआत मुगलकाल में हुई थी। 
 
आयुषी कहती हैं अन्य शास्त्रीय नृत्यों की तुलना में कथक आसानी से लोगों को कनेक्ट करता है क्योंकि अन्य शैलियां थोड़ी जटिल हैं। कथक में कलाकार और दर्शक दोनों ही एक-दूसरे से जल्दी जुड़ जाते हैं।

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