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सैन्य कार्रवाई की तैयारी है

उतार फेंकना होगा 'सहिष्णुता' का तमगा

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संदीपसिंह सिसोदिया

पाकिस्तान से भारत को निशाना बना रहे आतंकी संगठनों से निपटने की रणनीति पर दिन-रात विचार हो रहा है। रक्षा विशेषज्ञ अंदाजा लगा रहे हैं कि भारत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर कब तक हमला बोलेगा।

आमतौर पर शांत रहने वाले प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह भी रक्षा मंत्रालय जाकर तैयारी का जायजा ले चुके हैं। उन्होंने आपात रक्षा खरीद प्रक्रिया तेज करने का निर्देश दिया। सिंह के अनुसार पाकिस्तान को यह समझना होगा कि आतंकी ढाँचा खत्म न करने के क्या नतीजे हो सकते हैं।

रक्षामंत्री का पिछले कुछ दिनों में रक्षा सचिव व तीनों रक्षा सेवाओं के प्रमुखों के साथ बैठकों का सिलसिला असामान्य रूप से बढ़ गया है। एंटोनी ने तीनों सेनाओं को निर्देश दिए हैं कि कुछ घंटों के नोटिस पर मिशन के लिए तैयार रहें।

   एक बार एलओसी को पार कर दुश्मनों को दिखा देना होगा की एक अरब लोगों पर हाथ डालने की क्या कीमत होती है। आँख के बदले दोनों आँखे और दाँत के बदले पूरा जबड़ा ही तोड़ हमें दुनिया के सामने अपने पर लगे 'सहिष्णुता' के तमगे को उतार फेंकना होगा      
गृहमंत्री चिदम्बरम तथा विदेशमंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा दुनिया के प्रभावशाली देशों की केंद्रीय जाँच एजेंसियों के साथ मुंबई की आतंकी घटना से जुड़ी जानकारियों का आदान-प्रदान किया जा रहा है। मंत्रिमंडल समिति की बैठक में भी चिदम्बरम ने पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामक दृष्टिकोण का समर्थन किया। सबकी स्पष्ट राय है कि कूटनीतिक दबाव से काम नहीं चला तो सैन्य कार्रवाई के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

सैन्य कार्रवाई को किस तरह अंजाम दिया जाएग
हवाई हमला : किसी भी देश की सीमा में घुसकर कार्रवाई और शक्ति प्रदर्शन का सबसे असरदार विकल्प हवाई हमले को माना जाता है। वायुसेना की एक निश्चित इलाके से लेकर दुश्मन की किलेबंदी ध्वस्त करने की क्षमता का इस्तेमाल पूर्ण युद्ध या सीमित कार्रवाई दोनों में किया जाता है।

भारतीय वायुसेना के डीप पेनिट्रेशन लड़ाकू विमान जगुआर तथा मिराज-2000 इन ठिकानों को नेस्तनाबूत करने में सक्षम हैं। नीची उड़ान भरने और सेमी होवरिंग (कुछ देर तक हवा में मँडराने) की काबिलियत वाला जगुआर दुश्मन के इलाके में तबाही मचा देता है। मिराज-2000 एक मल्टीरोल लड़ाकू जेट है, जो दुश्मनों की संचार प्रणाली नाकाम कर उन्हें तबाह कर देता है। ध्वनि की दोगुनी गति से उड़ने में सक्षम ये विमान द्रुत गति से हमला कर मिशन को अंजाम दे सकते हैं।

इसके अलावा सुखोई 30 व मिग 29 भी मल्टीरोल सुपर सोनिक जेट्स हैं, जो जगुआर और मिराज को हवाई रक्षा कवच प्रदान करेंगे और दुश्मन लड़ाकू विमानों से निपटने में सक्षम होंगे। आमने-सामने की लड़ाई से लेकर परमाणु आयुध दागने में सक्षम ये विमान दुश्मनों के दिल में खौफ बैठाने में कहीं से भी कम नहीं हैं।

मिसाइल हमला : भारत की मिसाइल रेंज में पूरा पाकिस्तान आता है। सीमा से बहुत दूर चल रहे आतंकी ठिकानों और प्रशिक्षण शिविरों पर भी मिसाइल दागकर उन्हें नष्ट किया जा सकता है। वर्तमान में भारत के पास ध्वनि की गति से भी तेज उड़ने वाली कई श्रेणियों की मिसाइलें हैं। ये सतह से सतह पर, सतह से हवा में तथा हवा से हवा तथा हवा से सतह पर मार कर सकती हैं और दुश्मनों के सुपर सोनिक विमानों को भी गिरा सकती हैं।

'पृथ्वी-1, 2 व 3' मिसाइल सतह से सतह पर 150 किमी से लेकर 2500 किलोमीटर तक पारम्परिक के साथ-साथ परमाणु वॉरहेड से भी सज्जित की जा सकती हैं। अग्नि 1 से लेकर 5 भी 1000 किलो के वॉरहेड के साथ 5000 किमी तक मार कर सकती हैं।

'अस्त्र' हवा से हवा में अचूक मिसाइल मानी जाती है और 110 किमी दूर के लक्ष्य पर हमला कर सकती है। अपनी श्रेणी की सबसे उन्नत मिसाइल मानी जानी वाली अस्त्र दुश्मन के विमानों को पास भी नहीं फटकने देगी। इसके अलावा 'ब्रह्मोस' सतह के अलावा समुद्र में जहाज या पनडुब्बी से भी दागी जा सकती है, जिसकी मारक क्षमता 290 किमी तक है।

जमीनी कार्रवाई : विशेष बलों द्वारा पाकिस्तान की सीमा में घुस कर नियंत्रित कार्रवाई की जाएगी। भारतीय सेना के विशेष कमांडो दस्ते (टेक्टिकल एंड ऑपरेशन ग्रुप) पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में एक निश्चित लक्ष्य पर कार्रवाई कर सकते हैं।

किसी बड़े आतंकी नेता को दबोचने या खत्म करने के लिए छोटे-छोटे दलों द्वारा एकाएक धावा बोल मिशन को पूरा किया जाएगा। हेलिकॉप्टर द्वारा इन्हें नियत स्थान से कुछ दूर उतारा जाता है या बहुत ऊँचाई से इन्हें पैराशूट के जरिये दुश्मन सीमा में उतरकर अपने मिशन को अंजाम देना होता है।

  भारतीय नौसेना के पास कई पनडुब्बियाँ हैं, जो समुद्र के भीतर तट पर काफी नजदीक से मिसाइल हमला कर सकती हैं। सी-हैरियर विमान तथा सी किंग हैलिकॉप्टर दुश्मन जहाजों तथा तटीय प्रतिरोध से निपटने में सक्षम हैं      
सुसाइड मिशन : सुसाइड मिशन की श्रेणी में आने वाले इन मिशनों के लिए भी सेना तैयार है और अरबन, गुरिल्ला, मॉउंटन वारफेयर में दक्ष भारतीय कमांडो टुकड़ियाँ कुछ ही घंटे में कूच करने को तैयार हैं। अत्याधुनिक हथियारों से लैस इस सैनिकों को अब इतने सालों किए अभ्यास के बाद असली परीक्षा देना होगी।

समुद्र से जंगी जहाजों द्वारा मिसाइल हमला और व्यापारिक मार्गों की नाकाबंदी : नौसेना ऐसी स्थिति में अपनी सीमाओं की रक्षा के साथ-साथ दुश्मन देश के बंदरगाहों पर नाकाबंदी शुरू कर देगी। भारतीय जल सेना के विध्वंसक तथा फ्रिगेट एक बार फिर पाकिस्तान को 4 दिसम्बर 1971 की याद दिला देंगे, जब कराची बंदरगाह पर भारतीय नौसेना ने मिसाइल हमला कर उसे तबाह कर दिया था।

नौसेना के पास कई पनडुब्बियाँ हैं, जो समुद्र के भीतर तट पर काफी नजदीक से मिसाइल हमला कर सकती हैं। सी-हैरियर विमान तथा सी किंग हैलिकॉप्टर दुश्मन जहाजों तथा तटीय प्रतिरोध से निपटने में सक्षम हैं। नौसेना के मरीन कमांडो भी पूर्ण रूप से इस कार्रवाई के लिए तैयार हैं।

युद्ध की संभावना होने पर जरूरी तैयार
*हथियारों, सैन्य साजो-सामान, रसद आपूर्ति प्रणाली को हाई अलर्ट पर रखना।
*सीमावर्ती इलाकों के गाँव खाली कराना तथा विमानरोधी और मिसाइलरोधी प्रणालियाँ तैनात करना।
*रक्षापंक्ति और आक्रमण में प्रयुक्त होने वाले टैंक तथा बख्तरबंद (आर्म्ड) डिविजनों को अग्रिम मोर्चों पर भेजा जाना।
*आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त सैन्य कुमुक और सीमा तथा सामरिक महत्त्व की जगहों पर भारी हथियारों की तैनाती इत्यादि।

हालाँकि अब यह उम्मीद करना बेमानी होगा की आतंकी अब तक अपने प्रशिक्षण शिविरों या ठिकानों में ऐसी किसी कार्रवाई का इंतजार कर रहे होंगे, पर एक बार भारत को सीमा पार कर विश्व को यह संदेश देना जरूरी है कि भारत की सहनशीलता को कायरता समझना भूल होगी।

कुछ नुकसान भी इस लड़ाई में हो जाए, पर इतना 'कोलेट्रल डेमेज' तो हमें उठाना ही होगा। एक बार एलओसी को पार कर दुश्मनों को दिखा देना होगा की एक अरब लोगों पर हाथ डालने की क्या कीमत होती है। आँख के बदले दोनों आँखे और दाँत के बदले पूरा जबड़ा ही तोड़ हमें दुनिया के सामने अपने पर लगे 'सहिष्णुता' के तमगे को उतार फेंकना होगा।

इस बार हमें कठोर कदम बढ़ाकर इस आतंक के फन को कुचलना ही होगा, क्योंकि एक बार भुजंग के फन पर पाँव रखने के बाद बिना उसे कुचले उठाने की बहुत बड़ी कीमत चुकाना पड़ती है।
वीडियो साभार: भारतीय थलसेना

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