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12 मई को हुई थी जोधपुर की स्थापना, जोधपुर में घूमने लायक जगह कौनसी है? क्यों कहते हैं सन सिटी?

हमें फॉलो करें 12 मई को हुई थी जोधपुर की स्थापना, जोधपुर में घूमने लायक जगह कौनसी है? क्यों कहते हैं सन सिटी?
, शुक्रवार, 12 मई 2023 (12:52 IST)
Jodhpur tourist places in hindi: राजस्थान का खुबसूरत शहर जोधपुर को राजस्थान के बीचोंबीच होने से इस शहर को राजस्थान का दिल भी कहते हैं। जोधपुर शहर के बीचोंबीच में है घंटाघर। इसके आसपास बेहद सुंदर तरीके से जगमग हैं कपड़ा बाजार, सर्राफा बाजार, मसाला बाजार खासतौर पर मिर्ची बाजार। जोधपुर में देखने लायक सबकुछ है। यहां देश विदेश से कई लोग सैर सपाटे के लिए आते हैं। इस शहर की संस्कृति और खानपान लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
 
जोधपुर शहर की स्थापना : हर वर्ष 12 मई को जोधपुर शहर का स्थापना दिवस मनाया जाता है। 1459 में राठौड़ वंश के प्रमुख राव जोधा ने जोधपुर की स्थापना की। इस बार जोधपुर शहर का 565वां स्थापना दिवस मनाया जाएगा। इसे एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित जोधपुर के किले में मां चामुंडा का मंदिर भी है।
 
क्यों कहते हैं सन सिटी | Why is it called Sun City? 
यहां के अधिकतर घरों के रंग नीले हैं इसीलिए इसे ब्लू सिटी भी कहा जाता है। वर्ष पर्यन्त चमकते सूर्य वाले मौसम के कारण इसे सूर्य नगरी यानी सन सिटी भी कहते हैं।
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जोधपुर में घूमने लायक जगह कौनसी है | Which is the place to visit in Jodhpur?
उमेद भवन पैलेस : महराजा उमेदसिंह (1929-1942) ने उमेद भवन पैलेस बनवाया था। वास्तुकला का बेहतरीन नमूना यह महल छित्तर महल के नाम से भी प्रसिद्ध है। हाथ से तराशे गए पत्थरों के टुक़डे अनोखे ढंग से एक-दूसरे पर टिकाए गए हैं। इनमें दूसरा कोई पदार्थ नहीं भरा गया है। महल के एक हिस्से में होटल और दूसरे में संग्रहालय है, जिसमें आधुनिक हवाई जहाज, शस्त्र, पुरानी घड़ियां, कीमती क्रॉकरी तथा शिकार किए जानवर रखे गए हैं।
 
मेहरानगढ़ किला : 150 मीटर ऊंचे टीले पर स्थित मेहरानगढ़ किला राजस्थान का बेहतरीन और अजेय किला है। राव जोधा ने 1459 में इसका निर्माण किया, लेकिन समय-समय पर शासकों ने उसमें बढ़ोतरी की। शहर से 5 किमी दूर घुमावदार रास्ते से किले में प्रवेश किया जा सकता है। जयपुर की सेना के दागे तोपगोलों के निशान आज भी दिखाई देते हैं। बाईं ओर किरतसिंह सोड़ा नामक सिपाही की छतरी है, जिसने आमेर की सेना के खिलाफ लड़ते हुए प्राण त्याग दिए थे। विजय द्वार महाराजा अजीतसिंह ने मुगलों को मात देने की स्मृति में बनवाया था। यहां फूल महल, झांकी महल भी दर्शनीय है। किले से नीचे जाते हुए महाराजा जसवंतसिंह द्वितीय की संगमरमर की छतरी है। यहां तक जाने का रास्ता पथरीले टीलों से होकर गुजरता है।
 
मंडोर गार्डन : मारवाड़ के महाराजाओं की पहली राजधानी मंडोर थी। जोधपुर से 5 मील दूरी पर स्थित इस गार्डन में बनी छतरियां हिन्दू मंदिर के अनुसार बनवाई गई थीं, जो चार मंजिला ऊंची हैं। सबसे बेहतरीन छतरी महाराजा अजीतसिंह (1678-1724) की है। शूरवीरों की मूर्तियाँ पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।

अन्य स्थल : तूरजी का झालरा (तूरजी की बावड़ी), जसवंत थडा, उमैर हेरिटेज आर्ट स्कूल, घंटा घर, बालसमंद झील, रानीसर और पदमसर झील कायलाना झील।
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जोधपुर में कैसे पहुंचें | How to reach in Jodhpur:-
जोधपुर दिल्ली से करीब 600 किलोमीटर की दूरी पर है। देश के सभी बड़े शहरों से ये रेल मार्ग और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। कई शहरों से यहां जाने के लिए डायरेक्ट फ्लाइट भी है।
 
जोधपुर में कहां ठहरें | Where to stay in Jodhpur:-
यहां ठहरने के लिए आपको 400 रुपए से 4 हजार रुपए तक का कमरा मिल जाएगा। इसके अलावा यदि पांच सितारा होटल में रहने की इच्छा हो तो आसपास के रास और राहतगढ़ इलाके में ठहर सकते हैं। इसके अलावा हवाई अड्डे के पास बसे उम्मेद भवन में भी सभी सुविधाएं हैं। 

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