Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

सन् 1857 की क्रांति: स्वाधीनता संग्राम के पहले नायक मंगल पांडे की कहानी

हमें फॉलो करें सन् 1857 की क्रांति: स्वाधीनता संग्राम के पहले नायक मंगल पांडे की कहानी
Indian soldier mangal pandey : सन् 1857 की क्रांति के अग्रदूत और आजादी की लड़ाई में सक्रिय भागीदारी निभाने वाले क्रांतिकारी वीर सपूत मंगल पांडेय को हम सभी जानते हैं। आज भी भारतवासी उनकी वीरता पर गर्व महसूस करके प्रफुल्लित होते हैं।

आइए यहां जानते हैं स्वतंत्रता संग्राम के पहले नायक मंगल पांडे के बारे में...
 
1. मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को बलिया जिले के नगवा गांव में एक सामान्य ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता दिवाकर पांडे तथा माता का नाम अभय रानी था। मंगल पांडे शरीर से स्वस्थ, बहादुर, साहसी और एक अच्छे सैनिक के गुण और गंभीरता के लिए जाने जाते हैं
 
2. मंगल पांडे का नाम भारतीय स्वाधीनता संग्राम में अग्रणी योद्धाओं के रूप में लिया जाता है, उनके द्वारा भड़काई गई क्रांति की ज्वाला ने ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन बुरी तरह से हिला दिया था। 
 
3. ईस्ट इंडिया कंपनी, जो कि भार‍त में व्यापारियों के रूप में आई थी, उसने जब भारत को अपने अधीन कर लिया तो लंदन में बैठे उनके आकाओं ने शायद यह उम्मीद भी नहीं की होगी कि एक दिन मंगल पांडेय रूपी कोई तूफान ऐसी खलबली मचा देगा, जो इतिहास में भारत की आजादी की पहली लड़ाई कही जाएगी। 
 
4. सन् 1849 में मंगल पांडे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हुए और बैरकपुर की सैनिक छावनी में बंगाल नेटिव इन्फैंट्री यानी बीएनआई की 34वीं रेजीमेंट के पैदल सेना के सिपाही रहे। मंगल पांडे के मन में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्वार्थी नीतियों के कारण अंग्रेजी हुकुमत के प्रति पहले ही नफरत थी। 
 
5. जब सेना की बंगाल इकाई में ‘एनफील्ड पी.-53’ राइफल में नई कारतूसों का इस्तेमाल शुरू हुआ तो इन कारतूसों को बंदूक में डालने से पहले मुंह से खोलना पड़ता था। सैनिकों के बीच ऐसी खबर फैल गई कि इन कारतूसों को बनाने में गाय तथा सूअर की चर्बी का प्रयोग किया जाता है, जो कि हिन्दू और मुसलमानों दोनों के लिए गंभीर और धार्मिक विषय था। तब हिन्दू और मुसलमान दोनों धर्मों के सैनिकों के मन में अंग्रजों के खिलाफ आक्रोश पैदा हो गया। 
 
6. इसके बाद 9 फरवरी 1857 को जब यह कारतूस देशी पैदल सेना को बांटा गया, तब मंगल पांडेय ने उसे न लेने को लेकर विद्रोह जता दिया। इस बात से गुस्साए अंग्रेजी अफसर द्वारा मंगल पांडे से उनके हथियार छीन लेने और वर्दी उतरवाने का आदेश दिया, जिसे मानने से मंगल पांडे ने इनकार कर दिया। 
 
7. उन्होंने रायफल छीनने आगे बढ़ रहे अंग्रेज अफसर मेजर ह्यूसन पर आक्रमण किया तथा उसे मौत के घाट उतार दिया, साथ ही उनके रास्ते में आए दूसरे एक और अंग्रेज अधिकारी लेफ्टिनेंट बॉब को भी मौत के घात उतार दिया। इस तरह मंगल पांडेय ने बैरकपुर छावनी में 29 मार्च 1857 को अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल बजा दिया, अत: उन्हें आजादी की लड़ाई के अगदूत भी कहा जाता है। 
 
8. भारतीय इतिहास में इस घटना को ‘1857 का गदर’ नाम दिया गया। इसके घटना के बाद मंगल पांडे को अंग्रेज सिपाहियों ने गिरफ्तार किया गया तथा उन पर कोर्ट मार्शल द्वारा मुकदमा चलाया और फांसी की सजा सुनाई। 
 
9. अत: 1857 की आजादी के क्रांति के सबसे पहले नायक मंगल पांडे ही है, उस समय अंग्रेजों को फिरंगी के नाम से भी जाना जाता है और मंगल पांडे ने ही सबसे पहले 'मारो फिरंगी को' नारा दिया था। 
 
10. मंगल पांडे द्वारा किया गया यह विद्रोह ही भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा जा सकता है, जिसमें सैनिकों के साथ-साथ राजा-रजवाड़े, किसान, मजदूर एवं अन्य सभी सामान्य लोग भी शामिल हुए। अत: इस विद्रोह के बाद भारत पर राज्य करने का अंग्रेजों का सपना उन्हें कमजोर होता दिखाई दिया। 
 
11. मंगल पांडे आजादी के पहले ऐसे क्रांतिकारी थे, जिनके सामने गर्दन झुका कर जल्‍लादों ने फांसी देने से इनकार कर दिया था। ऐसे महान क्रांतिकारी और स्वतंत्रता संग्राम के महानायक मंगल पांडे को कोर्ट के फैसले के अनुसार 18 अप्रैल 1857 को फांसी दी जानी थी, लेकि‍न अंग्रेजों द्वारा 10 दिन पूर्व ही यानी 8 अप्रैल सन् 1857 को ही फांसी दे दी गई। 

 


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

स्वाधीनता संग्राम के सबसे कम उम्र के शहीद खुदीराम बोस