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'जयहिंद' लिखा आजाद भारत का पहला डाक टिकट

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- अनुपमा जैन

नई दिल्ली। आजाद भारत का पहला डाक टिकट साढे तीन आना राशि का था!!! जी सही पढ़ा आपने, साढ़े तीन 'आना' (तब की प्रचलित मुद्रा) यानि चौदह पैसा। यह डाक टिकट 21 नंवर 1947 को जारी हुआ, इसका उपयोग केवल देश के अंदर डाक भेजने के लिए किया गया। इस पर भारतीय ध्वज का चित्र लगा हुआ था।


डाक टिकट की यह राशि 1947 तक 'आना' में ही रही जबकि रुपए की कीमत 'आना' की जगह बदल कर '100 नए पैसे' में कर दी गई। वैसे 1964 में पैसे के साथ जुड़ा 'नया' शब्द भी हटा दिया गया। 1947 में एक रुपया '100 पैसे' का नहीं बल्कि '64 पैसे' यानि 16 आने का होता था और इकन्नी, चवन्नी और अठन्नी का ही प्रचलन था।

प्राप्त सूचना के अनुसार देश मे भेजे जाने वाली डाक के लिए पहले डाक टिकट पर अशोक के राष्ट्रीय चिन्ह का चित्र मुद्रित किया गया। इसकी कीमत डेढ़ आना थी। इसी तरह विदेश में भेजे जाने वाले पत्रो के लिए पहले डाक टिकट पर डीसी चार विमान का चित्र बना हुआ था, उसकी राशि बारह आना यानि 48 पैसे की थी।

15 अगस्त 1947 को नेहरू जी ने आजादी के बाद, लाल किले से अपने पहले भाषण का समापन, 'जय हिन्द' से किया। डाकघरों को सुचना भेजी गई कि नए डाक टिकट आने तक, डाक टिकट चाहे अंग्रेज राजा जॉर्ज की ही मुखाकृति की उपयोग में आए लेकिन उस पर मुहर 'जय हिन्द' की लगाई जाए।

31 दिसम्बर 1947 तक यही मुहर चलती रही। आजाद भारत की पहली डाक टिकट पर भी जय हिन्द लिखा हुआ था। (वीएनआई)

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