Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(जानकी नवमी)
  • तिथि- वैशाख शुक्ल अष्टमी
  • शुभ समय- 6:00 से 7:30, 12:20 से 3:30, 5:00 से 6:30 तक
  • व्रत/मुहूर्त-जानकी नवमी, सीता प्रकटो.
  • राहुकाल-दोप. 1:30 से 3:00 बजे तक
webdunia

गंगा से भी ज्यादा पवित्र क्यों हैं नर्मदा नदी?

हमें फॉलो करें narmada river

अनिरुद्ध जोशी

narmada river
Narmada Jayanti 2024: हिंदू धर्म के सभी पवित्र तीर्थ क्षेत्र नदी के तट पर बसे हैं। पहाड़ों पर माता रानी का डेरा है। समुद्र तटों पर श्रीहरि का क्षेत्र व्याप्त है। भारत की प्रमुख पवित्र नदियां 12 हैं- गंगा, यमुना, सरस्वती, सिंधु, कृष्‍णा, कावेरी, नर्मदा, क्षिप्रा, गोदावरी, महानदी़, वितस्ता और ब्रह्म पुत्र। इसमें नर्मदा को सबसे पवित्र माना जाता है। नर्मदा को पवित्र माने जाने के कई कारण हैं। उन्हीं कारणों में से जानते हैं कुछ कारण।
 
'गंगा कनखले पुण्या, कुरुक्षेत्रे सरस्वती, 
ग्रामे वा यदि वारण्ये, पुण्या सर्वत्र नर्मदा।'
- आशय यह कि गंगा कनखल में और सरस्वती कुरुक्षेत्र में पवित्र है किन्तु गांव हो या वन नर्मदा हर जगह पुण्य प्रदायिका महासरिता है।
मत्स्यपुराण में नर्मदा की महिमा इस तरह वर्णित है- यमुना का जल एक सप्ताह में, सरस्वती का तीन दिन में, गंगाजल उसी दिन और नर्मदा का जल उसी क्षण पवित्र कर देता है।' 
 
पुराणों के अनुसार नर्मदाजी वैराग्य की अधिष्ठात्री मूर्तिमान स्वरूप है। गंगाजी ज्ञान की, यमुनाजी भक्ति की, ब्रह्मपुत्रा तेज की, गोदावरी ऐश्वर्य की, कृष्णा कामना की और सरस्वतीजी विवेक के प्रतिष्ठान के लिए संसार में आई हैं।
 
एक अन्य प्राचीन ग्रन्थ में सप्त सरिताओं का गुणगान इस तरह है। कलकल निनादनी नदी है...हां, नदी मात्र नहीं, वह मां भी है। अद्वितीया, पुण्यतोया, शिव की आनंदविधायिनी, सार्थकनाम्ना स्रोतस्विनी नर्मदा का उजला आंचल इन दिनों मैला हो गया है, जो कि चिंता का विषय है। 
 
'माघै च सप्तमयां दास्त्रामें च रविदिने।
मध्याह्न समये राम भास्करेण कृमागते॥'
 
- माघ शुक्ल सप्तमी को मकर राशि सूर्य मध्याह्न काल के समय नर्मदाजी को जल रूप में बहने का आदेश दिया। तब नर्मदाजी प्रार्थना करते हुए बोली- 'भगवन्‌! संसार के पापों को मैं कैसे दूर कर सकूंगी?' तब भगवान विष्णु ने आशीर्वाद रूप में वक्तव्य दिया- 
 
'नर्मदे त्वें माहभागा सर्व पापहरि भव। 
त्वदत्सु याः शिलाः सर्वा शिव कल्पा भवन्तु ताः।'
 
- अर्थात् तुम सभी पापों का हरण करने वाली होगी तथा तुम्हारे जल के पत्थर शिव-तुल्य पूजे जाएंगे। तब नर्मदा ने शिवजी से वर मांगा। जैसे उत्तर में गंगा स्वर्ग से आकर प्रसिद्ध हुई है, उसी प्रकार से दक्षिण गंगा के नाम से प्रसिद्ध होऊं। शिवजी ने नर्मदाजी को अजर-अमर वरदान और अस्थि-पंजर राखिया शिव रूप में परिवर्तित होने का आशीर्वाद दिया। इसका प्रमाण मार्कण्डेय ऋषि ने दिया, जो कि अजर-अमर हैं। उन्होंने कई कल्प देखे हैं। इसका प्रमाण मार्कण्डेय पुराण में है।
 
'नर्मदाय नमः प्रातः, 
नर्मदाय नमो निशि, 
नमोस्तु नर्मदे नमः, 
त्राहिमाम्‌ विषसर्पतः'
-..हे मां नर्मदे! मैं तेरा स्मरण प्रातः करता हूं, रात्रि को भी करता हूं, हे मां नर्मदे! तू मुझे सर्प के विष से बचा ले। 
 
दरअसल, भक्तगण नर्मदा माता से सर्प के विष से बचा लेने की प्रार्थना तो मनोयोगपूर्वक करते आए हैं, लेकिन अब समय आ गया है कि हम सभी जागरूक होकर नर्मदा को प्रदूषण रूपी विष से बचाने के लिए आगे आएं।
webdunia
Narmada Nadi
जन्म कथा 1 : कहते हैं तपस्या में बैठे भगवान शिव के पसीने से नर्मदा प्रकट हुई। नर्मदा ने प्रकट होते ही अपने अलौकिक सौंदर्य से ऐसी चमत्कारी लीलाएं प्रस्तुत की कि खुद शिव-पार्वती चकित रह गए। तभी उन्होंने नामकरण करते हुए कहा- देवी, तुमने हमारे दिल को हर्षित कर दिया। इसलिए तुम्हारा नाम हुआ नर्मदा। नर्म का अर्थ है- सुख और दा का अर्थ है- देने वाली। इसका एक नाम रेवा भी है, लेकिन नर्मदा ही सर्वमान्य है।
 
अमरकंटक में शिवजी ने अंधकासुर का वध किया था तब देवताओं ने शिवजी से पूजा कि भोगों में रत रहने और राक्षसों का वधन करने वाले हम देवताओं के पाप का नाश कैसे होगा। तब शिवजी की भृकुटि से एक तेजोमय बिन्दु पृथ्वी पर गिरा और कुछ ही देर बाद एक कन्या के रूप में परिवर्तित हुआ। उस कन्या का नाम नर्मदा रखा गया और उसे अनेक वरदानों से सज्जित किया गया।
 
जन्मकथा 2 : मैखल पर्वत पर भगवान शंकर ने 12 वर्ष की दिव्य कन्या को अवतरित किया महारूपवती होने के कारण विष्णु आदि देवताओं ने इस कन्या का नामकरण नर्मदा किया। इस दिव्य कन्या नर्मदा ने उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर काशी के पंचक्रोशी क्षेत्र में 10,000 दिव्य वर्षों तक तपस्या करके प्रभु शिव से कुछ ऐसे वरदान प्राप्त किए जो कि अन्य किसी नदी के पास नहीं है- जैसे, 
  1. प्रलय में भी मेरा नाश न हो। 
  2. मैं विश्व में एकमात्र पाप-नाशिनी नदी के रूप में प्रसिद्ध रहूं। 
  3. मेरा हर पाषाण (नर्मदेश्वर) शिवलिंग के रूप में बिना प्राण-प्रतिष्ठा के पूजित हो। 
  4. मेरे (नर्मदा) तट पर शिव-पार्वती सहित सभी देवता निवास करें।
 
कुंवारी नदी: पौराणिक मान्यता के अनुसार नर्मदा कुंवारी नदी है इसकी परिक्रमा की जाती है इसे नाव से पार नहीं किया जाता है। कहीं भी नर्मदा जी को पार न करें। जहां नर्मदा जी में टापू हो गए वहां भी न जावें, किन्तु जो सहायक नदियां हैं, नर्मजा जी में आकर मिलती हैं, उन्हें भी पार करना आवश्यक हो तो केवल एक बार ही पार करें। नर्मदा की पौराणिक कथा के अनुसार राजकुमारी नर्मदा राजा मेखल की पुत्री थी। उसका विवाह राजकुमार सोनभद्र से तय हो गया था परंतु सोनभद्र नर्मदा की दासी जुहिला के प्रति आकर्षित होकर उससे प्रणय निवेदन कर बैठा। जुहिला राजकुमार के प्रणय-निवेदन को ठुकरा ना सकीं। यह बात विवाह मंडप में बैठने से एन वक्त पर नर्मदा को पता चल गई तो वह अपना अपमान सहन ना कर सकी और मंडप छोड़कर उलटी दिशा में चली गई। शोणभद्र को अपनी गलती का पछतावा हुआ परंतु नर्मदा ने आजीवन अविवाहित रहने की कसम खा ली और संन्यास धारण कर लिया
 
प्रतिदिन नर्मदाजी में स्नान करने से मन और शरीर निर्मल और पवित्र हो जाता है। जलपान भी नर्मदा जल का ही करने से सभी पापों का नाश होकर आयु वृद्धि होती है। सारा संसार नर्मदा की  निर्मलता और ओजस्विता व मांगलिक भाव के कारण आदर करता है व श्रद्धा से पूजन करता है। मानव जीवन में जल का विशेष महत्व होता है। यही महत्व जीवन को स्वार्थ, परमार्थ से जोड़ता है। प्रकृति और मानव का गहरा संबंध है।
 
1. नर्मदा नदी को पुराणों में कई जगह पर रेवा नदी कहा गया है। स्कंद पुराण में रेवाखंड नाम से एक खंड है।
 
2. पुराणों के अनुसार नर्मदा नदी को पाताल की नदी माना जाता है। यह भी पौराणिक मान्यता या जनश्रुति प्रचलित है कि नर्मदा के जल को बांधने का प्रयास किया गया तो भविष्य में प्रलय होगी। इसका जल पाताल में समाकर धरती को भूकंपों से पाट देगा।
 
3. नर्मदाजी का तट सुर्भीक्ष माना गया है। पूर्व में भी जब सूखा पड़ा था तब अनेक ऋषियों ने आकर प्रार्थनाएं कीं कि भगवन्‌ ऐसी अवस्था में हमें क्या करना चाहिए और कहां जाना चाहिए? आप त्रिकालज्ञ हैं तथा दीर्घायु भी हैं। तब मार्कण्डेय ऋषि ने कहा कि कुरुक्षेत्र तथा उत्तरप्रदेश को त्याग कर दक्षिण गंगा तट पर निवास करें। नर्मदा किनारे अपनी तथा सभी के प्राणों की रक्षा करें।


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

आज है नर्मदा जयंती, जानें नर्मदा नदी की कथा