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गरुड़ पुराण की 10 रोचक बातें

हमें फॉलो करें गरुड़ पुराण की 10 रोचक बातें

WD Feature Desk

, बुधवार, 28 फ़रवरी 2024 (11:44 IST)
What is there in Garuda Purana: 18 पुराणों में से इसे एक गरुड़ पुराण में एक ओर जहां मौत का रहस्य है तो दूसरी ओर जीवन का रहस्य छिपा हुआ है। गरुण पुराण में, मृत्यु के पहले और बाद की स्थिति के बारे में बताया गया है। गरुड़ पुराण से हमे कई तरह की शिक्षाएं मिलती है। 
1. भगवान गरूढ़ और श्रीहरि विष्णु का संवाद: एक बार गरुड़ ने भगवान विष्णु से, प्राणियों की मृत्यु, यमलोक यात्रा, नरक-योनियों तथा सद्गति के बारे में अनेक गूढ़ और रहस्ययुक्त प्रश्न पूछे। उन्हीं प्रश्नों का भगवान विष्णु ने सविस्तार उत्तर दिया। इन प्रश्न और उत्तर की माला से ही गरुढ़ पुराण निर्मित हुआ। गरूड़ पुराण में उन्नीस हजार श्लोक कहे जाते हैं, किन्तु वर्तमान समय में कुल सात हजार श्लोक ही उपलब्ध हैं। गरूड़ पुराण में ज्ञान, धर्म, नीति, रहस्य, व्यावहारिक जीवन, आत्म, स्वर्ग, नर्क और अन्य लोकों का वर्णन मिलता है।
 
2. गरुड़ पुराण में क्या है : गरुड़ पुराण में व्यक्ति के कर्मों के आधार पर दंड स्वरुप मिलने वाले विभिन्न नरकों के बारे में बताया गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार कौनसी चीजें व्यक्ति को सद्गति की ओर ले जाती हैं इस बात का उत्तर भगवान विष्णु ने दिया है। गरुड़ पुराण में हमारें जीवन को लेकर कई गूढ बातें बताई गई है। जिनके बारें में व्यक्ति को जरूर जनना चाहिए। आत्मज्ञान का विवेचन ही गरुड़ पुराण का मुख्य विषय है। इसमें भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सदाचार, निष्काम कर्म की महिमा के साथ यज्ञ, दान, तप तीर्थ आदि शुभ कर्मों में सर्व साधारणको प्रवृत्त करने के लिए अनेक लौकिक और पारलौकिक फलों का वर्णन किया गया है। इसके अतिरिक्त इसमें आयुर्वेद, नीतिसार आदि विषयों के वर्णनके साथ मृत जीव के अन्तिम समय में किए जाने वाले कृत्यों का विस्तार से निरूपण किया गया है। 
3. जब कोई दिवंगत होता है तभी सुनते हैं गुरुड़ पुराण: गुरुड़ पुराण तभी सुना जाता है जबकि किसी के घर में किसी की मृत्यु हो गई हो, श्राद्धपक्ष में श्राद्ध कर्म करना हो या गया आदि में पितृ विसर्जन करना हो। घर में 13 दिनों तक गरूड़ पुराण का पाठ या गीता का पाठ किया जाना जरूरी माना जाता है। जब मृत्यु के उपरांत घर में गरुड़ पुराण का पाठ होता है तो इस बहाने मृतक के परिजन यह जान लेते हैं कि बुराई क्या है और सद्गति किस तरह के कर्मों से मिलती है ताकि मृतक और उसके परिजन दोनों ही यह भलिभांति जान लें कि उच्च लोक की यात्रा करने के लिए कौन से कर्म करना चाहिए। गरुड़ पुराण हमें सत्कर्मों के लिए प्रेरित करता है। सत्कर्म से ही सद्गति और मुक्ति मिलती है।
 
4. क्यों सुनते हैं गरूड़ पुराण का पाठ : हिन्दू धर्मानुसार जब किसी के घर में किसी की मौत हो जाती है तो 13 दिन तक गरूड़ पुराण का पाठ रखा जाता है। शास्त्रों अनुसार कोई आत्मा तत्काल ही दूसरा जन्म धारण कर लेती है। किसी को 3 दिन लगते हैं, किसी को 10 से 13 दिन लगते हैं और किसी को सवा माह लगते हैं। लेकिन जिसकी स्मृति पक्की, मोह गहरा या अकाल मृत्यु मरा है तो उसे दूसरा जन्म लेने के लिए कम से कम एक वर्ष लगता है। तीसरे वर्ष गया में उसका अंतिम तर्पण किया जाता है। 13 दिनों तक मृतक अपनों के बीच ही रहता है। इस दौरान गरुढ़ पुराण का पाठ रखने से यह स्वर्ग-नरक, गति, सद्गति, अधोगति, दुर्गति आदि तरह की गतियों के बारे में जान लेता है। आगे की यात्रा में उसे किन-किन बातों का सामना करना पड़ेगा, कौन से लोक में उसका गमन हो सकता है यह सभी वह गरुड़ पुराण सुनकर जान लेता है। 
 
5. क्यों नहीं करते हैं रात में दाह संस्कार : गरूड़ पुराण के अनुसार सूर्यास्त के बाद हुई है मृत्यु तो हिन्दू धर्म के अनुसार शव को जलाया नहीं जाता है। इस दौरान शव को रातभर घर में ही रखा जाता और किसी न किसी को उसके पास रहना होता है। उसका दाह संसाकार अगले दिन किया जाता है। यदि रात में ही शव को जला दिया जाता है तो इससे व्यक्ति को अधोगति प्राप्त होती है और उसे मुक्ति नहीं मिलती है। ऐसी आत्मा असुर, दानव अथवा पिशाच की योनी में जन्म लेते हैं।
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6. गाय का महत्व : हिन्दू धर्म में गाय को सबसे पवित्र प्राणी माना गया है। गरुड़ पुराण अनुसार मरने के बाद वैतरणी नदी को पार कराने वाली गाय ही होती है। गरुड़ पुराण के मुताबिक गाय के दूध को देखने मात्र से ही कई पूजा-पाठ, यज्ञ-अनुष्ठान करने के सामान पुण्य प्राप्त होता है। गुरुड़ पुराण अनुसार गौशाला देखने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है।
7. नैतिक बातें : गरूड़ पुराण के अनुसार घर में गंदनी रखना या गंदे कपड़े पहनना एक ही बात है। इससे माता लक्ष्‍मी नाराज हो जाती है। घर में साफ सफाई का नहीं होना गंदे आदमी की निशानी है। इसी तरह अहंकार से बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। लोग साथ छोड़ देते हैं और आदमी खुद को अकेला पाता है। दौलत, बंगला, महंगी गाड़ी, भूमि आदि सभी कोई काम नहीं आने वाली है। सूर्योदय के बाद देर तक सोते रहना गलत है। क्योंकि इससे माता लक्ष्मी ही नाराज नहीं होती है बल्कि शनिदेव भी नाराज हो जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति मेहनत करने से बचना है, कामचोर है। सौंपे गए कामों को ठीक से पूर्ण नहीं करता है तो माता लक्ष्‍मी रूष्ठ हो जाती है। इसके साथ ही दूसरों के कार्यों में कमियां निकालना भी जीवन को खराब कर देता है। किसी गरीब, असहाय, मजबूत, अबला, विधवा आदि का शोषण करके उसका हक छीनने वाला जल्द ही कंगाल होकर बर्बाद हो जाता है। ऐसे लालची व्यक्ति का कोई साथी नहीं होता है। लक्ष्मी मां ऐसे लोगों को घर ज्यादा दिन नहीं रहती हैं।
 
8. इन लोगों के हाथों का न करें भोजन :गरुड़ पुराण के अनुसार हमें कुछ लोगों के हाथों का बना भोजन नहीं करना चाहिए और ना ही उनसे किसी भी प्रकार का संबंध रखना चाहिए। क्योंकि उनके हाथ का बना भोजन करने से हमें उसके पापों का दोष लगता है जिसका परिणाम अच्छा नहीं होता है। जैसे- हिजड़े, चरित्रहीन महिला, नशे का व्यापारी, अपराधी, नर्दयी, ब्याजखोर, अस्वस्थ व्यक्ति, रजस्वला महिला, अधर्मी आदि। 
9. ज्ञान का संवरक्षण अभ्यास से : गरुड़ पुराण के अनुसार कितना ही कठिन से कठिन सवाल हो, ज्ञान हो, विद्या हो या याद रखने की कोई बात हो वह अभ्यास से ही संवरक्षित रखी जा सकती है। अभ्यास करते रहने से व्यक्ति उक्त ज्ञान में पारंगत तो होता ही है साथ ही वह उसे कभी नहीं भूलता है। अभ्यास के बगैर विद्या नष्ट हो जाती है। यदि ज्ञान या विद्या का समय समय पर अभ्यास नहीं करेंगे तो वह भूल जाएंगे। गरुड़ पुराण के अनुसार माना जाता है कि जो भी हम पढ़े उसका हमें हमेशा एक बार अभ्यास करना चाहिए। जिससे की वह ज्ञान हमारे मस्तिष्क में अच्छे से जम जाए।
 
10. निरोगी काया : गरुड़ पुराण के अनुसार संतुलित भोजन करने से ही निरोगी काया प्राप्त होती है। भोजन से ही व्यक्ति सेहत प्राप्त करता है और भोजन से ही वह रोगी हो जाता है। भोजन ही हमारे शरीर का मुख्‍य स्रोत है। हमें हमेशा आधी से ज्यादा बीमारी इस वजह से होती है कि हम असंतुलित खान-पान लेते हैं। जिसके कारण हमारा पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं करता है। इसलिए हमें सदैव सुपाच्य भोजन ही ग्रहण करना चाहिए। ऐसे भोजन से पाचन तंत्र ठीक से काम करता है और भोजन से पूर्ण ऊर्जा शरीर को प्राप्त होती है। पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है और इस वजह से हम रोगों से बचे रहते हैं। इसके लिए एकादशी और प्रदोष का व्रत करना चाहिए।

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