Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

श्रीराम पर कविता : हे राम, रोम-रोम में रमण तुम्हीं, गति का नाम तुम्हीं

हमें फॉलो करें श्रीराम पर कविता : हे राम, रोम-रोम में रमण तुम्हीं, गति का नाम तुम्हीं
webdunia

डॉ. अंजना चक्रपाणि मिश्र

रमंति इति रामः!
हे अजेय !
हो दुर्जेय !
मम जीवन मंत्र तुम्हीं
रोम-रोम में रमण तुम्हीं
गति का नाम तुम्हीं
सतत प्रवाहित 
एक नाम तुम्हीं !
हे शिव आराधक
त्रिगुण स्वामी के
हृदय मध्य बैठे साधक
ठहराव व बिखराव
भ्रम और भटकाव
माया,मद व मोह 
शांत कर स्वतः
विश्रांति के संस्थापक
हे राघव
तेरे नाम से मनुज
होता भवसागर पार
विष्णु के अंशावतार
यत्र,तत्र हो
ब्रह्मांड में सर्वत्र हो
कण-कण में हो
रज,वायु,जल,अग्नि
भूमि और आकाश में हो 
तुम्हीं वृत्त की आवृत्ति
तुम्हें जपूं ये मेरी 
है जन्मजात प्रवृत्ति
हे निर्गुण के राम
करो दूर सारी विपदा
जन साधारण में
में बसे दुर्गुण आम
हे महाऊर्जा के
मेरे अनंत स्त्रोत
करूँ मुख से मंत्रोच्चार
पूजूँ, जलाऊँ अखंड जोत 
करूँ जगत संताप
शुचि कुंड के अग्निहोत्र !!
 
स्वयं मैं ही -
डॉ.अंजना चक्रपाणि मिश्र


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भगवान श्रीराम को प्रिय हैं ये भोग, आज प्रसाद में अवश्य चढ़ाएं