Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

दीपावली पर कविता : मंगलदीप जलाओ...

हमें फॉलो करें दीपावली पर कविता : मंगलदीप जलाओ...
webdunia

राकेशधर द्विवेदी

मंगलदीप जलाओ
अंतस में जो फैले अंधियारे
उसको दूर हटाओ
मंगलदीप जलाओ। 
 
हर साल है मरता रावण
फिर भी सीता है बिलखती
लूट, अत्याचार में डूबा शासक
है जनता सोती रहती
मंगलदीप जलाओ। 
 
जनता-जनार्दन को उसकी
कुंभकर्णी नींद से जगाओ
हे शासक तुम प्रजा के बन जाओ
सुख-शांति-समृद्धि लाओ
मंगलदीप जलाओ। 
 
मन वीणा के तार जो टूटे
उनको फिर से जोड़ना है
न्याय, धर्म और सहिष्णुता के
बीज नए फिर से बोने हैं
मंगलदीप जलाओ। 
 
हर घर में हो उजियारा
हर घर में हो आतिशबाजी
भूख-प्यास से न हो क्रंदन
खुशियों का जग हो कानन
मंगलदीप जलाओ।
 
सत्य हर बार ही जीते बाजी
असत्य, अशिक्षा, अज्ञानता के रावण को
अबकी बार जलाओ
रामराज्य के सपनों को पूरा कर दिखलाओ
मंगलदीप जलाओ। 


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

दीप पर्व पर ‍कविता : दिवाली के दीये जलने लगे...