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सपनों के जैसी उसकी हर शाम है

जावेद अख्तर का गीत और आधारित कलाकृति

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रवींद्र व्यास

Ravindra VyasWD
ऐसा होता है जिंदगी में। एकाधिक बार ही सही लेकिन होता है कि बड़ी मुश्किल से आई नींद में कोई ख्बाव करवट लेकर जागने लगता है। हवा कुछ इस तरह से बदन को छूती है कि लगता है हवा में कोई जादू है। यह जादू दिल में उरकर पूरी दुनिया की रंगत को बदल देता है। कोई आहट हमेशा अपने ही पास आती महसूस होती है। लगता है जैसे यह आहट न होती तो जिंदगी में कितना गहरा सन्नाटा होता। यह आहट जिंदगी को कोई मायने दे रही है। कुछ खुशनुमा बना रही है। नींद के आगोश में सोई आँखों में कोई ख्वाब धड़क रहा है।

और चूँकि ख्वाब है तो बेताबियाँ हैं। जावेद अख्तर ने फिल्म रॉक ऑन के लिए एक गीत लिखा था। यह अनसुना कर दिया गया। गीत के बोल सादा हैं। बात कुछ गाढ़ी है। यह गीत इन पँक्तियों से शुरू होता है-

आँखों में जिसके कोई ख्वाब है
खुश है वही जो थोड़ा बेताब है
जिंदगी में कोई आरजू कीजिए
फिर देखिए।

सच है, ख्वाब के बिना भी क्या जिंदगी। लगता है ख्वाब है तो जीने को अर्थ मिल गए हैं। और ख्वाब है तो उन्हें पूरा करने की बेताबी भी होगी ही। इस बेताबी में एक बात है। यही बात जिंदगी में खुशी के रंग भरती है और किसी के लिए कशिश को बढ़ा देती है। यही इच्छा जिंदगी में कोई एक जज्बा भी पैदा करती है।

होंठों पे जिसके कोई तो गीत है
वो हारे भी तो उसकी ही जीत है
दिल में जो गीत है गुनगुना लीजिए
फिर देखिए।

अब यदि कोई आरजू की गई है जिंदगी में तो जाहिर है वह आरजू होंठों पर गीत बनकर गुनगुनाने लगती है। अब यह गीत का ही असर है कि हार भी गए तो क्या गम है, हमारे होंठों पर कोई गीत तो है। इसी को गुनगुनाते हुए जिंदगी को थोड़ा और धड़कता हुआ बना लेंगे। यही तो गीत की ताकत है। यही तो कविता की ताकत है कि वह हारने पर भी हार को जीत में बदल देती है।

तो फिर दिल में यदि कोई आरजू है, तो जाहिर है दिल में कोई गीत भी होगा। और यदि दिल में कोई गीत है तो उसे फूटने के लिए कोई रास्ता दीजिए। उसे दिल में दफन मत हो जाने दीजिए। उसे गुनगुनाइए। गीत होता ही इसलिए है कि गुनगुनाया जाए। गाया जाए।

यादों में जिसके किसी का नाम है
सपनों के जैसी उसकी हर शाम है
कोई तो हो जिसे अपना दिल दीजिए
फिर देखिए।

यादें कभी-कभी हमारे वर्तमान के हाहाकार को, उसके दुःख को, उसके बोझ को कुछ हलका करती हैं। और यादों में किसी का नाम हो तो वे यादें मधुर हो जाती हैं, ठिठुरती ठंड को वह कुछ गुनगुना कर देती हैं। और याद में किसी का नाम हमारी शामों को भी बदल देता है। उसके रंग को भी बदल देता है। उसके रूप को भी बदल देता है। उसकी रूह को भी बदल देता है। और इस तरह हमारी शामें कुछ -कुछ सपनों की रंगत लिए पहले ज्यादा हसीन हो जाती हैं। पहले से ज्यादा मारू हो जाती हैं। शायद यह दिल खो देने की वजह से होता है। हर किसी की जिंदगी में कोई न कोई ऐसा होता है जिसे दिल दिया जा सके। जिस पर दिल खो दिया जा सके। होगा, आपकी जिंदगी में भी कोई ऐसा होगा। जरा देखिए। फिर देखिए।

ख्वाब बुनिए जरा, गीत सुनिए जरा
फूल चुनिए जरा
फिर देखिए।

और जाहिर है कि आरजू है, ख्वाब है, दिल में कोई गीत है, और होंठों पर वह गुनगुनाया जा रहा है तो यह जिंदगी के वे लम्हे हैं जब नए-नए ख्वाब बुने जा सकें। नए-नए गीत सुने जा सकें। मौसम बदलता है तो नए फूल खिलते हैं और नए फूल खिलते हैं तो उनमें अपनी पसंद के रंग का कोई फूल चुनिए जरा। फिर देखिए जिंदगी में उस एक फूल से कितने फूल खिलते हैं। उस एक रंग से कितने नए रंग खिलते हैं।

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