हालांकि इसके बाद की खबर नहीं आने से मैं समझ जाता हूं कि बंदे का यह आंशिक अनशन कुछ घंटों के लिए ही रहा होगा। हलवा-पूरी की जगह भले ही चपाती के साथ आलू दम दिया गया हो, लेकिन खाया जरूर होगा। वर्ना सेलिब्रिटी के लगातार खाना न खाने की भी बड़ी-बड़ी सुर्खियां बनतीं जिस पर चैनलों की टीआरपी निर्भर करती। दरअसल, भूख का इतिहास-भूगोल भी बड़ा विचित्र है। गांव के बूढ़-पुरनियों का तो शुरू से यह ब्रह्मास्त्र ही रहा है कि जब भी कुछ मन के हिसाब से न हो, तो तुरंत भूख-हड़ताल शुरू कर दो। फिर देखिए कैसे कुनबे में हड़कंप मचती है।