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इलाहाबाद में 'श्रेष्ठ साहित्य पुस्तक प्रदर्शनी' का आयोजन

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- अदिति माहेश्वरी-गोयल

वाणी प्रकाशन (नई दिल्ली, पटना, वर्धा, इलाहाबाद) की ओर से 'श्रेष्ठ साहित्य पुस्तक प्रदर्शनी’का आयोजन 10 से 14 सितंबर, 2018 को निराला सभागार, विश्वविद्यालय कैम्पस, इलाहाबाद में आयोजित किया गया है। पुस्तक प्रदर्शनी का शुभारंभ दिनांक 10 सितंबर, 2018 को अपराह्न 12:30 बजे किया गया। इस अवसर पर अन्य स्थानीय विद्वानों के साथ समालोचक डॉ. योगेन्द्र प्रताप सिंह (पूर्व अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय), वरिष्ठ लेखक व इतिहासकार हेरम्ब चतुर्वेदी (इतिहास विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय), मीडिया विशेषज्ञ डॉ. धनंजय चोपड़ा (इलाहाबाद विश्वविद्यालय) और प्रबुद्ध पाठकों, वरिष्ठ साहित्यकारों एवं पत्रकारों का सान्निध्य रहेगा।
 
साथ ही वाणी प्रकाशन की निदेशक, कॉपीराइट व अनुवाद विभाग से अदिति माहेश्वरी-गोयल, वाणी प्रकाशन के वरिष्ठ विक्रय अधिकारी श्रीकांत अवस्थी व वाणी प्रकाशन, इलाहाबाद के शाखा प्रबंधक विनोद तिवारी उपस्थित होंगे।
 
इस प्रदर्शनी की विशेषता यह है कि वरिष्ठ साहित्यकारों की पुस्तकों के साथ-साथ युवा लेखकों के उपन्यास, कहानी, कविता, गजल की पुस्तकें काफी मात्रा में उपलब्ध होंगी।
 
वाणी प्रकाशन 55 वर्षों से 32 साहित्य की नवीनतम विधाओं से भी अधिक में, बेहतरीन हिन्दी साहित्य का प्रकाशन कर रहा है। वाणी प्रकाशन ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑडियो प्रारूप में 6,000 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं। वाणी प्रकाशन ने देश के 3,00,000 से भी अधिक गांव, 2,800 कस्बे, 54 मुख्य नगर और 12 मुख्य ऑनलाइन बुक स्टोर में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है। 
 
वाणी प्रकाशन भारत के प्रमुख पुस्तकालयों, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ब्रिटेन और मध्य पूर्व से भी जुड़ा हुआ है। वाणी प्रकाशन की सूची में, साहित्य अकादमी से पुरस्कृत 18 पुस्तकें और लेखक, हिन्दी में अनूदित 9 नोबेल पुरस्कार विजेता और 24 अन्य प्रमुख पुरस्कृत लेखक और पुस्तकें शामिल हैं। वाणी प्रकाशन को क्रमानुसार नेशनल लाइब्रेरी, स्वीडन, रशियन सेंटर ऑफ आर्ट एंड कल्चर तथा पोलिश सरकार द्वारा इंडो, पोलिश लिटरेरी सांस्कृतिक सम्बन्ध विकसित करने का गौरव सम्मान प्राप्त है। वाणी प्रकाशन ने 2008 में ‘Federation of Indian Publishers Associations’ द्वारा प्रतिष्ठित ‘Distinguished Publisher Award’ भी प्राप्त किया है। सन् 2013 से 2017 तक केन्द्रीय साहित्य अकादमी के 68 वर्षों के इतिहास में पहली बार अरुण माहेश्वरी केन्द्रीय परिषद् की जनरल काउंसिल में देशभर के प्रकाशकों के प्रतिनिधि के रूप में चयनित किए गए।
 
लंदन में भारतीय उच्चायुक्त द्वारा 25 मार्च 2017 को ‘वातायन सम्मान’तथा 28 मार्च 2017 को वाणी प्रकाशन के प्रबंध निदेशक व वाणी फाउंडेशन के चेयरमैन अरुण माहेश्वरी को ऑक्सफोर्ड बिजनेस कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में ‘एक्सीलेंस इन बिज़नेस’सम्मान से नवाज़ा गया। प्रकाशन की दुनिया में पहली बार हिन्दी प्रकाशन को इन दो पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। हिन्दी प्रकाशन के इतिहास में यह अभूतपूर्व घटना मानी जा रही है।
 
3 मई 2017 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘64वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार समारोह’में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के कर-कमलों द्वारा ‘स्वर्ण-कमल-2016’पुरस्कार प्रकाशक वाणी प्रकाशन को प्रदान किया गया। भारतीय परिदृश्य में प्रकाशन जगत की बदलती हुई जरूरतों को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ने राजधानी के प्रमुख पुस्तक केन्द्र ऑक्सफोर्ड बुकस्टोर के साथ सहयोग कर ‘लेखक से मिलिए’कई महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम-श्रृंखला का आयोजन किया और वर्ष 2014 से ‘हिन्दी महोत्सव’का आयोजन सम्पन्न करता आ रहा है।
 
‘किताबों की दुनिया’में बदलती हुई पाठक वर्ग की भूमिका और दिलचस्पी को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ने अपनी 51वीं वर्षगांठ पर गैर-लाभकारी उपक्रम वाणी फाउंडेशन की स्थापना की। फाउंडेशन की स्थापना के मूल प्रेरणास्त्रोत सुहृद साहित्यानुरागी और अध्यापक स्व. डॉ. प्रेमचन्द्र ‘महेश’ हैं। स्व. डॉ. प्रेमचन्द्र ‘महेश’ने वर्ष 1960 में ‘वाणी प्रकाशन’की स्थापना की। वाणी फाउंडेशन का लोगो विख्यात चित्रकार सैयद हैदर रज़ा द्वारा बनाया गया है। मशहूर शायर और फिल्मकार गुलजार वाणी फाउंडेशन के प्रेरणास्रोत हैं।
 
वाणी फाउंडेशन भारतीय और विदेशी भाषा साहित्य के बीच व्यावहारिक आदान-प्रदान के लिए एक अभिनव मंच के रूप में सेवा करता है। साथ ही वाणी फाउंडेशन भारतीय कला, साहित्य तथा बाल-साहित्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय शोधवृत्तियां प्रदान करता है। वाणी फाउंडेशन का एक प्रमुख दायित्व है दुनिया में सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी बड़ी भाषा हिन्दी को यूनेस्को भाषा सूची में शामिल कराने के लिए विश्व स्तरीय प्रयास करना।
 
वाणी फाउंडेशन की ओर से विशिष्ट अनुवादक पुरस्कार दिया जाता है। यह पुरस्कार भारतवर्ष के उन अनुवादकों को दिया जाता है जिन्होंने निरंतर और कम से कम दो भारतीय भाषाओं के बीच साहित्यिक और भाषाई संबंध विकसित करने की दिशा में गुणात्मक योगदान दिया है। इस पुरस्कार की आवश्यकता इसलिए विशेष रूप से महसूस की जा रही थी क्योंकि वर्तमान स्थिति में दो भाषाओं के मध्य आदान-प्रदान को बढ़ावा देने वाले की स्थिति बहुत निम्न है। इसका उद्देश्य एक ओर अनुवादकों को भारत के इतिहास के मध्य भाषिक और साहित्यिक संबंधों के आदान-प्रदान की पहचान के लिए प्रेरित करना है, दूसरी ओर, भारत की सशक्त परम्परा को वर्तमान और भविष्य के साथ जोड़ने के लिए प्रेरित करना है।
 
वाणी फाउंडेशन द्वारा पहला हिन्दी महोत्सव का वर्ष 2017 में वाणी फाउंडेशन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित इन्द्रप्रस्थ कॉलेज के साथ मिलकर हिन्दी महोत्सव का आयोजन किया। अब वर्ष 2018 में वाणी फाउंडेशन, यू.के. हिन्दी समिति, वातायन और कृति यू.के. के सान्निध्य में हिन्दी महोत्सव ऑक्सफोर्ड, लंदन और बर्मिंघम में आयोजित किया गया है।

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