Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

गौरवशाली भाषा हिंदी

हमें फॉलो करें गौरवशाली भाषा हिंदी
- गायत्री शर्मा

अंग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन
पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रह‍त हिन के हिन।
- भारतेंदु हरिशचंद्र

WDWD
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। यह वह भाषा है जो संपूर्ण देशवासियों को एक सूत्र में बाँधती है। आज हम सभी गर्व से कहते हैं कि हम हिंदीभाषी हैं। चीनी के बाद हिंदी विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।

मुझे याद आता है सदियों पुराना अमीर खुसरो का फ़ारसी में यह कथन कि 'मैं हिंदी की तूती हूँ, तुम्हें मुझसे कुछ पूछना हो तो हिंदी में पूछो, तब मैं तुम्हें सब कुछ बता दूँगा।' यह उनका भाषा के प्रति यह अभिमान हिंदी के गौरव का प्रतीक है।

* राष्ट्रीय एकता का माध्यम :-
'राष्ट्रीय एकता का सर्वश्रेष्ठ माध्यम हिंदी है' डॉ. जाकिर हुसैन का यह कथन आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि पहले था क्योंकि भाषा केवल बाहरी व्यवहार से न जुड़कर हमारी भावनाओं से जुड़ी होती है।

यह केवल विचारों के मौखिक व लिखित आदान-प्रदान का माध्यम न होकर हमारी संस्कृति की परिचायक है। जिस तरह हमें अपनी मातृभाषा प्यारी लगती है। उसी प्रकार राष्ट्रभाषा भी। हिंदी आज भारत में 20 करोड़ लोगों की मातृभाषा है और 30 करोड़ लोगों ने इसे द्वितीय भाषा का दर्जा दिया है।

* आदर सूचक भाषा :-
अँग्रेजी का भले ही कितना ही प्रचार-प्रसार क्यों न हो जाए परंतु कभी भी वह इस समृद्धशाली भाषा का स्थान नहीं ले पाएगी। जिसका प्रमाण 'नमस्कार' और 'गुड मार्निंग' से ही लिया जा सकता है। आज भी जब कोई 'नमस्कार' बोलता है तो उस शब्द में एक आदर झलकता है वहीं 'गुडमार्निंग' में महज औपचारिकता।

* लोकप्रिय भाषा :-
हिंदी की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जाता है कि आज भी लोग रेडियो और कई हिंदी एफ.एम. चैनलों को सुनते हैं। टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले कई कार्यक्रम व रीयलिटी शो भी हिंदी में हैं। भारत के प्रमुख महानगर मुंबई की प्रसिद्धि भी हिंदी फिल्मों के कारण ही है।

हिंदी की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अँग्रेजी फिल्म 'जुरासिक पार्क' के हिंदी संस्करण ने भारत में इतने पैसे कमाए, जितने उसके अँग्रेजी संस्करण ने विश्व में नहीं कमाए थे।

* हिंदी की साहित्यिक पत्रिकाएँ :-
आलोचना, हिंदी, वसुधा, अक्षर पर्व, वागर्थ, आकल्प, साहित्य वैभव, परिवेश, कथा, संचेतना, संप्रेषण, कालदीर्घा, दायित्वबोध, अभिनव कदम, हंस आदि वे पत्रिकाएँ हैं, जो हिंदी भाषा की समृद्धि का प्रतीक हैं।

* हिंदी के प्रमुख साहित्यकार :-
कई साहित्यकारों ने इस समृद्धशाली भाषा को उन्नति के शिखर तक पहुँचाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इनमें से आचार्य रामचंद्र शुक्ल, भारतेंदु हरिशचंद्र, जयशंकर प्रसाद, महावीर प्रसाद द्विवेदी, बिहारी, केशव, पद्माकर आदि प्रमुख हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi