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इन्हें है हिन्दी से प्यार

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हिन्दी... हमारी बोली..हमारी माँ की बोली... ऐसी बोली जिसे सुन लल्ला रोते से हसँने लगता है...। साहित्यकारों की कठिन हिन्दी की बात छोड़ दे तब भी इसके सरल-सहज रूप इतना प्यारा है कि देशज लोगों की बात छोड़िए विदेशियों को भी बड़ा भाता है।और इसके प्रति मोह के चलते वे न सिर्फ हिन्दी बल्कि अच्छी हिन्दी सीखने के लिए लाख जतन करते हैं।

ऐसी ही एक रशियन महिला से हम आपकी मुलाकात करा रहे हैं। नतालिया नामक यह रशियन महिला कृष्ण भक्ति में आकंठ डूब कुछ साल पहले हिन्दुस्तान आईं थीं। यहाँ आकर यह पहली भार हिन्दी से परिचित हुईं। पहली नजर के प्यार की तरह नतालिया को हिन्दी के सरस उच्चारण से प्यार हो गया...फिर क्या था वे नतालिया से नायिका बन गई। नाम बदलने के साथ-साथ नतालिया ने कच्ची-पक्की हिन्दी भी सीख ली। उनके मुँह से कच्ची हिन्दी के उच्चारण इतने मासूम लगते हैं जैसे किसी बालक के मुँख से तोतली भाषा।

नतालिया का मानना है कि हिन्दी अपने आप में बेहद पूर्ण भाषा है...इसलिए वे अपनी बच्ची को खास तौर पर हिन्दी सिखा रही हैं। नतालिया उर्फ नायिका ने अपनी बच्ची का नाम भी नैना रखा है। नतालिया का कहना है कि उन्होंने हिन्दी दुभाषिया किताबों से सीखी है और लगातार सीख रहीं हैं

कुछ इसी तरह की कहानी अफ्रीका से हिन्दुस्तान पढ़ने आई अकाविया की है। मूल रूप से अफ्रीकी अकाविया के मुख से हिन्दी का उच्चारण सुनकर आप दंग रह जाएँगे। अकाविया इतनी अच्छी हिन्दी बोलती हैं कि हम हिन्दी बोलने भी उनके आगे फीके पड़ जाएँ यूँ तो अकाविया मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रही हैं लेकिन हिन्दी के प्रति स्नेह के चलते उन्होंने अच्छी हिन्दी सीखने का फैसला कर लिया। अपने इस फैसले पर अडिग अकाविया इस समय उच्च व्याकरण की किताबों का अध्ययन कर रही हैं।

नतालिया, अकाविया की तरह ऐसे अनेक विदेशी हैं जो आपको टूटी-फूटी ही सही लेकिन हिन्दी बोलते नजर आ जाएँगे। हिन्दी के प्रति इनके प्रेम को देखकर लगता है कि हिन्दी भाषा हमेशा ही अजर-अमर रहेगी।

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