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कहीं आपको तो नहीं है, कोरोनरी धमनी रोग ...?

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कोरोनरी धमनी रोग जिसे चिकित्सकीय भाषा में सीडीए भी कहा जाता है, हार्ट अटैक के लिए जिम्मेदार हो सकता है। यह हृदय की धमनियों को जाम कर, कई तरह की अन्य समस्याओं को जन्म देने के लिए जिम्मेदार है। जानिए क्या है, और किस तरह से प्रभावित करता है यह रोग -

 
 
कोरोनरी धमनी रोग यानी सीएडी एक तरह का हृदय रोग है। इसमें हृदय की धमनियों के अंदर प्लेक जमने लगता है जिससे धमनियां सिकुड़ने लगती हैं और हृदय तक ऑक्सीजन युक्त खून का प्रवाह कम होने लगता है। धीरे- धीरे यह प्लेक धमनियों के आधे हिस्से में फैल जाता है, जो सीने में दर्द पैदा करता है। इससे सीने में जकड़न, कसाव और ऐंठन महसूस होती है जिसे एनजाइन कहते हैं। यह दर्द न केवल सीने में बल्कि कंधे, बांह, गर्दन, दांत के जबड़े, पीठ और पेट के ऊपरी भाग में भी यह दर्द हो सकता है।

प्लेक के टूटने पर धमनियों में रक्त के थक्के जमने की समस्या पैदा होती है, जिससे रक्त का प्रवाह बाधि‍त होता है और हार्ट अटैक का खतरा बना रहता है। ऐसे में अगर खून का प्रवाह तुरंत पहले जैसा नहीं हुआ, तो हृदय की मांसपेशियां 20 मिनटों के बाद ही मृत होने लगती हैं। ऐसी स्थि‍ति में तुरंत इलाज न होने पर व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
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दिल का दौरा पड़ने पर पहचानें इन लक्षणों को - 
सांस की कमी, मिचली आना, उल्टी करना, चक्कर आना, हाई ब्लड प्रेशर होना आदि दिल के दौरे के लक्षण हैं।
समस्या के कारण को जानिए 
मानसिक तनाव, धूम्रपान, मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, बीमारी का पारिवारिक इतिहास, सुस्त जीवनशैली, व्यायाम में कमी, हाईपरलीपिडेमिया आदि कारणों से हृदय संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं। 
हृदय को स्वस्थ रखने और हृदय संबंधी रोगों से बचने के लिए अपने खान-पान और आहार में परिवर्तन करना आवश्यक है। इसके लिए नियमित वॉक और एक्सरसाईज को अपनी दिनचर्या में शामिल करना और स्वस्थ आहार लेना चाहिए।

हमेशा ध्यान रखें कि एक दिन में 25 से 35 प्रतिशत से अधिक कैलोरी नहीं लेनी चाहिए। इसके अलावा फाइबर की मात्रा अधिक लें, जो कॉलेस्ट्रॉल को सोखने में मदद करता है। इसलिए जितना हो सके ओटमील, जौ, राजमा, काबूली चना, सेब, संतरा, नाशपाती व अन्य फलों का सेवन करें।
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खाना खाते वक्त ध्यान रखें कि नमक की मात्रा संतुलित हो। खाने में अलग से नमक कभी न डालें। इसके अलावा अल्कोहल का भी अधिक सेवन करने से परहेज करें, अत्यधिक अल्कोहल लेने से हृदय रोगों की संभावना बढ़ती है।

मानसि‍क तनाव लेने से बचें, यह हृदय रोगों के प्रमुख कारणों में शामिल है। संभव हो तो मेडिटेशन के माध्यम से तनाव कम करने का प्रयास करें, इससे ब्लडप्रेशर भी नियंत्रित रहता है।

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