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कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

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रोहित कुमार 'हैप्पी' 
 
'कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती' बहुत सशक्त रचना है। इस रचना को हरिवंश राय बच्चन  की रचना के रूप में प्रचारित किया जाता रहा है। इस रचना के बारे में काफी समय से मतभेद है कि यह रचना हरिवंश राय बच्चन  की है या निराला की!

कुछ काव्य पर पकड़ रखने वाले लोग इसके शिल्प व शैली को देखते हुए इसे बच्चन या निराला की रचना न मानकर बहुत देर से यह कहते रहे हैं कि यह रचना सोहनलाल द्विवेदी की रचना है।
 
बच्चन रचनावली लिखने वाले अजीत कुमार ने सम्पर्क करने पर बताया, 'भाई, यह बच्चन रचनावली में नहीं है पर एकाध जगह इसे उनके नाम से जुड़ी मैंने भी पाया, तबसे पता करने की कोशिश कर रहा हूँ।'
 
अमेरिका से डॉ. कविता वाचक्नवी ने जोर देकर कहा था कि यह रचना सोहनलाल द्विवेदी की ही है। 22 फरवरी 2010 को देवमणि पाण्डेय ने अपने ब्लॉग पर इस बारे में इस लिखा था -
 
'लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती'
 
मैने हिन्दी जगत के अपने साथियों से पूछा था कि ये पंक्तियाँ किसकी हैं? अधिकांश मित्रों ने इसके रचनाकार का नाम डॉ. हरिवंश राय बच्चन  बताया था। शायद सभी ने इंटरनेट पर उपलब्ध सूचना का इस्तेमाल किया। इस लिए कहा जा सकता है कि इंटरनेट पर उपलब्ध हर सूचना सच नहीं होती। इसके वास्तविक रचनाकार का नाम सोहनलाल द्विवेदी है। 
महाराष्ट्र पाठ्य पुस्तक समिति के अध्यक्ष डॉ. रामजी तिवारी ने बताया कि लगभग 20 साल पहले अशोक कुमार शुक्ल नामक सदस्य ने सोहनलाल द्विवेदी की यह कविता वर्धा पाठ्यपुस्तक समिति को लाकर दी थी। तब यह कविता छ्ठी या सातवीं के पाठ्यक्रम में शामिल की गई थी। 
 
समिति के रिकार्ड में रचनाकार के रूप में सोहनलाल द्विवेदी का नाम तो दर्ज है मगर एक रिमार्क लगा है कि 'पता अनुपलब्ध है।' इसके कारण कभी इसकी रॉयल्टी नहीं भेजी गई। कानपुर के मूल निवासी सोहनलाल द्विवेदी का नाम ऐसे कवियों में शुमार किया जाता है जिन्होंने एक तरफ़ तो आज़ादी के आंदोलन में सक्रिय भागीदरी की और दूसरी तरफ देश और समाज को दिशा देने वाली प्रेरक कविताएं भी लिखीं। 
 
मुम्बई में चाटे क्लासेस ने अपने विद्यार्थियों के उत्साहवर्धन के लिए इस कविता का सर्वाधिक इस्तेमाल किया। ‘मैंने गाँधी को नहीं मारा’ फ़िल्म में भी इस कविता का बहुत सुंदर फ़िल्मांकन किया गया। अगर हम इस कविता के साथ सोहनलालद्विवेदी का नाम जोड़ सकें तो यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।'

23 जुलाई 2010 को पूनम राय ने एक ट्विटर के माध्यम से अमिताभ से यह सवाल किया कि क्या यह रचना आपके पिताजी ने लिखी है या निरालाजी ने?
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उसी दिन अमिताभ बच्चन ने इस प्रश्न के उत्तर में ट्विट किया, ' बाबूजी ने लिखी है।' 
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अमिताभ ने इसे स्वयं पढ़ा भी है तो और अधिक लोग मानते हैं कि यह हरिवंशराय बच्चन की रचना है।

इधर अभी भी कई लोग यह खोजते रहे कि यह रचना किसकी है?

अमिताभ बच्चन को हमने 3 दिसंबर 2015 को ट्विटर के माध्यम से यह जानकारी मांगी - 'क्या 'कोशिश करने वालों की....' कविता का मूल स्रोत बता सकते हैं? यह निरालाजी व सोहनलाल द्विवेदी की भी कही जा रही है।' 

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अमिताभ बच्चन ने  उसी  दिन  एक ट्विट जारी किया:
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एक बात आज स्पष्ट हो गई
ये जो कविता है -
'कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती'
ये कविता बाबूजी की लिखित नहीं है
इस के रचयिता हैं
सोहन लाल द्विवेदी ....
कृपया इस कविता को बाबूजी, डॉ. हरिवंश राय बच्चन के नाम पे न दें ... ये उन्होंने नहीं लिखी है..' 
अमिताभ ने यही अपील फेसबुक पर भी की।
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हमने देवमणि पाण्डेय (जिन्होंने 22 फरवरी 2010 को अपने ब्लॉगपर इसकी चर्चा की थी) को 3 दिसंबर को एक ई-मेल किया जिसमें हमने यह चर्चा की, 'सोहन लाल द्विवेदी की शैली से यह रचना अवश्य मेल खाती है। मैं आपसे पूछना चाहता था कि क्या डॉ रामजी तिवारी ने स्वयं आपसे यह बात बताई थी या यह किसी समाचार में प्रकाशित हुई थी कि यह द्विवेदी जी की रचना है।
 
यह रचना इस समय महाराष्ट्र के 6वी कक्षा के पाठ्यक्रम में बिना रचनाकार के नाम के प्रकाशित है। कृपया अटैच्ड पीडीएफ (हमने उन्हें इसकी पीडिएफ कॉपी भी भेजी) देखें। यदि डॉ. तिवारी ने यह आपको 2010 में बताया था तो बिना नाम के क्यों प्रकाशित है? संभव है साक्ष्य के अभाव या किसी अन्य कारणों से नाम हटा दिया गया हो?'
 
रचना का मूल स्रोत तो नहीं पता चल पाया लेकिन अमिताभ बच्चन ने यह स्पष्टीकरण अवश्य दे दिया कि यह रचना उनके बाबूजी की न होकर सोहनलालद्विवेदी की है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि वे इस रचना को उनके बाबूजी के नाम से न दें।
 
एक ईमानदार प्रयास का परिणाम निकला - रचनाकार को न्याय मिला है। इतने बरसों बाद अब यह विवाद विराम ले रहा है।  रचनाकार के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए कृपया यह रचना अब सोहनलाल द्विवेदी की रचना के रूप में प्रकाशित करें।

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