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परफेक्शन की ओर रितिक रोशन

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2000 में आई फिल्म 'कहो ना प्यार है' ने बॉलीवुड को एक नया हीरो दिया। यह एक सुपर हीरो की तरह था। फिल्म की सफलता ने रितिक को सफल अभिनेताओं की सूची में शामिल कर लिया। रितिक ने ऐसे समय इंडस्ट्री में बतौर हीरो प्रवेश किया, जब तीनों खानों सलमान खान, शाहरुख खान और आमिर खान का राज था। हाल ही हुए एक ऑनलाइन सर्वे में रितिक रोशन को भारत का सर्वश्रेष्ठ ऑइकॉन चुना गया था।

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किसी रोम की योद्धा की तरह शरीर की बनावट। शानदार अभिनय क्षमता, बेहतरीन डांस। वे सभी गुण रितिक में हैं जो एक परफेक्ट बॉलीवुड एक्टर में होने चाहिए। प्रभावी संवादों के लिए लोकप्रिय रितिक की सफलता देखकर शायद कोई यह नहीं कह सकता कि बचपन में वे बोलने में हकलाते थे। छ: साल की उम्र से वे ठीक से बोल भी नहीं पाते थे। उनके स्कूल के दोस्त उनकी इस कमजोरी पर उन्हें चिढ़ाते थे। उन्हें मौखिक परीक्षा देने में भी परेशानी होती थी।

अभिनय उन्हें विरासत में मिला। उनके पिता राकेश रोशन अपने जमाने के प्रसिद्ध अभिनेता रहे हैं। प्रसिद्ध फिल्म निर्माता-निर्देशक जे. ओमप्रकाश रितिक के नाना थे। 6 साल की उम्र में रितिक ने बतौर बाल कलाकार फिल्मों में अभिनय किया।

रितिक का जन्म 10 जनवरी 1974 को हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल में हुई। सिडेनहैम कॉलेज से उन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की। उन्होंने पिता द्वारा बनाई गई दो फिल्मों करण-अर्जुन और कोयला में बतौर सहायक निर्देशक काम किया। इसके बाद उनकी दूसरी फिल्म 'फिजा' बॉक्स ऑफिस पर तो कोई कमाल नहीं दिखा सकी, लेकिन इसमें रितिक के अभिनय की चर्चा हुई।

बतौर अभिनेता रितिक ने सन् 2000 में पिता द्वारा बनाई गई फिल्म 'कहो ना प्यार है' से फिल्म इंडस्ट्री में धुंआधार इंट्री की। इस फिल्म में उन्होंने दोहरी भूमिका निभाई थी। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। उन्हें फिल्म के लिए बेस्ट एक्टर फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला। फिल्म को भी बेस्ट फिल्म फेयर का अवॉर्ड मिला।

2006 में आई धूम 2 में रितिक ने विलेन का किरदार अदा किया, जिसमें उन्होंने कई स्टंट्‍स किए। उनके पिता द्वारा बनाई गई दो फिल्मों कोई मिल गया और कृष में भी उन्होंने सुपर हीरो का किरदार निभाया। अपने कार्य के प्रति समर्पण उन्हें युवा का ऑईकॉन बनाता है। अपने पिता राकेश रोशन द्वारा बनाई गई फिल्म 'कोई मिल गया' में उन्होंने एक मंदबुद्धि बच्चे का किरदार निभाया था, जिसका शारीरिक विकास तो हो गया, पर उसका दिमाग एक छोटे बच्चे जैसा है।

इस किरदार को जीवंत करने के लिए उन्होंने मंदबुद्धि बच्चों की जीवन और व्यवहार को नजदीक से देखा और जाना। अपने घर से दूर होटलों में रहकर उन्होंने इस ‍किरदार के लिए प्रै‍क्टिस की। कृष में सुपर हीरो का किरदार निभाने के लिए उन्होंने विदेश जाकर मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग ली।

संजय लीला भंसाली की फिल्म गुजारिश में उन्होंने अपनी छवि के विपरीत एक ऐसे जादूगर की भूमिका निभाई, जो पैरालाइज्ड है और बिलकुल चल-फिर नहीं सकता है। किरदार के लिए उन्होंने पैरालाइज्ड मरीजों को अस्पतालों में जाकर नजदीक से समझा और उन्हें दैनिक जीवन में किन परेशानियों से जूझना पड़ता है, उसकी बारीकियों को समझा। फिल्म भले ही फ्लॉप रही, लेकिन फिल्म में रितिक के जीवंत अभिनय ने खूब तारीफ हुई।

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