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श्री गणेश पर रचना : नमामि त्वम् विनायकम्

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राजीव रत्न पाराशर

भू-गणेश भुव: गणेश, गणेश तत्सवितुर हैं,
अथ गणेश इति गणेश, गणेश कालचक्रधुर हैं।
सत् गणेश चित गणेश, गणेश ही आनंद हैं,
शत् गणेश शून्य गणेश, गणेश ही अनंत हैं।
 
शुभ गणेश श्री गणेश, गणेश ब्रह्मनाद हैं,
जप गणेश पूजा गणेश, गणेश ही प्रसाद हैं। 
 
कर्म गणेश पूण्य गणेश, गणेश ही प्रारब्ध हैं,
ईश गणेश ईष्ट गणेश, गणेश ही आराध्य हैं।
 
मित्र गणेश बंधु गणेश, गणेश से संबंध हैं,
कण गणेश अणु गणेश, गणेश रंद्र रंद्र हैं।
 
मनु गणेश प्रभु गणेश, गणेश ही सर्वेश हैं,
मैं गणेश तुम गणेश, गणेश ही गणेश हैं।

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