Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

FIFA WC 2018 : जब फुटबॉल ने तोड़ दी 'गुलामी की जंजीरें'

हमें फॉलो करें FIFA WC 2018 : जब फुटबॉल ने तोड़ दी 'गुलामी की जंजीरें'

सीमान्त सुवीर

ब्राजील भले ही विश्व में अपनी फुटबॉल टीम की लंबी सफलताओं और महान खिलाड़ियों के कारनामों के लिए जाना जाता हो, लेकिन बहुत कम लोगों को इस बात का पता होगा कि जिस खेल ने ब्राजील को दुनिया में पहचान और प्रसिद्धि दिलवाई उसी ने आज से तीन सदी पहले उसे गुलामी और उपनिवेशवाद से मुक्ति दिलाई थी। 
 
इतिहास गवाह है कि विश्व की चार सबसे बड़ी उपनिवेशी ताकतों ब्रिटेन, स्पेन, पुर्तगाल और फ्रांस ने जहां  अफ्रीकी महाद्वीप को अपने-अपने हिसाब से बांट लिया था, वही दक्षिण अमेरिका ने सिवाय ब्राजील के पूरे उपमहाद्वीप पर सदियों तक राज किया और वहां की प्राकृतिक सम्पदा का जी-भरकर दोहन किया, लेकिन ब्राजील ही दक्षिण अमेरिका का इकलौता ऐसा देश था, जिस पर पुर्तगालियों ने वर्षो तक राज किया।
 
अंग्रेज लाया था ब्राजील में फुटबॉल : सन् 1734 के आसपास ब्राजील में एक अंग्रेज व्यवसायी पहली बार फुटबॉल लेकर आया, जो गन्ने और कॉफी के खेतों में काम करने वाले स्थानीय मजदूरों के साथ विश्राम के क्षणों में खेला करता था। यह वह दौर था, जब ब्रिटेन में फुटबॉल धीरे-धीरे अपनी जड़े जमा रहा था। 
webdunia
फुटबॉल ने तोड़ी गुलामी की जंजीर : जब पुर्तगालियों की नजर उन मजदूरों पर पड़ी, जो खेत-खलिहानों में कड़ी मेहनत के बावजूद फुटबॉल में अपना हुनर दिखला रहे थे, तब उसने प्रत्येक परिवार के उस सदस्य को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कर दिया, इस खेल में अपना पसीना बहा रहा था। 
 
खुद भी खेले और बच्चों को भी प्रेरित किया : यह वह दौर था पुर्तगालियों ने यह आवश्यक कानून बना रखा था कि प्रत्येक घर से दो व्यक्ति गन्ने और कॉफी के खेतों में काम करेंगे लेकिन फुटबॉल के चलते पुर्तगालियों ने गुलामी को सिर्फ इसलिए बंद करना शुरू कर दिया क्योंकि स्थानीय निवासियों ने खेतों में गुलामी करने के बजाय न सिर्फ खुद फुटबॉल खेलना प्रारंभ कर दिया, बल्कि वे अपने बच्चों को भी फुटबॉल खेलने के ‍लिए प्रेरित कर रहे थे।

पुर्तगाली भाषा का बोलबाला : ब्राजील में आज भी वहां की आबादी श्वेत और अश्वेत में बँटी हुई है। ब्राजील की मूल भाषा भले ही लेटिन रही हो, लेकिन उसके अधिकांश लोग आज भी पुर्तगाली ही बोलते हैं। ब्राजील में उपनिवेशवाद काल के दौरान एक कहावत बन गई थी, जिसमें यह कहा गया था कि यदि आपके पास फुटबॉल नहीं है तो उसे किसी से मांगने के बजाय खुद एक कपड़े की गेंद बनाकर खेलो। 
 
एडसन दे अरांतेज डी नामेमेंटो उर्फ पेले : कपड़े की गेंद वाली कहावत ने इस ब्राजील की किस्मत को कैसे पलटा, इसका अद्वितीय उदाहरण एक छोटे से कस्बे सांतोस में जन्मा वह बालक था, जिसका नाम एडसन दे अरांतेज डी नामेमेंटो था, जिसे पूरी ‍दुनिया आज भी फुटबॉल सम्राट 'पेले' के नाम से जानती है और बेहद आदर के साथ उन्हें सलाम करती है। 
webdunia
75 साल की उम्र में पेले ने रचाया तीसरा ब्याह : पेले ने तीन शादियां की और 75 साल की उम्र में अपने से 33 बरस छोटी मार्सिया सिबेले आओकी के साथ 6 साल तक डेट करने के बाद शादी रचाई थी। इस वक्त पेले उम्र के 77वें पड़ाव पर हैं और रूस में आयोजित विश्व कप फुटबॉल में ब्राजील से स्पेशल गेस्ट के रुप में मौजूद रहेंगे। पेले की पहली शादी रोसमेरी चोलबी के साथ हुई थी और इनसे उनके तीन बच्चे हैं। पेले की दूसरी शादी अभिनेत्री एसिरिया नासीमेंटो से हुई थी और दो बच्चे हुए।
 
 
फुटबॉल बन गया देश की पहचान : कपड़ों के चीथड़ों से बनी गेंद से ही पेले ने अपने फुटबॉल जीवन की शुरुआत की थी और जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता गया, पूरी दुनिया में पेले और फुटबॉल ब्राजील के पूरक बन गए। दुनिया में ब्राजील ही इकलौता ऐसा देश है, जो सिर्फ फुटबॉल के नाम से ही प्रसिद्ध है। किसी अन्य देश ने इतनी अधिक ख्याति और प्रसिद्धि खेलों के मामले में आज तक हासिल नहीं की। 
 
webdunia
जूल्स रिमे ट्रॉफी का हक पाया : ब्राजील के लिए पेले तो नींव का पत्थर थे, लेकिन जो इमारत इस पत्थर पर बनी, उसी पर विश्व कप के पाँच खिताब आज भी सुशोभित हैं।1958, 1962 और 1970 में तीन बार विश्व चैम्पियन बनने के बाद 'जूल्स रिमे ट्रॉफी' हमेशा-हमेशा के लिए ब्राजील के नाम दर्ज हो गई, तब कहीं जाकर फीफा ट्रॉफी विश्व कप के पुरस्कार का हिस्सा बनी, जिसे ब्राजील दो बार (1994 और 2002) में जीत चुका है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

FIFA WC 2018 : अंतरिक्ष यात्री फुटबॉल के साथ धरती के लिए रवाना