Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

यूपी-बिहार, साउथ से दिल्ली तक, इस बार ज्यादा संक्रामक कंजेक्टिवाइटिस, इंदौर में हर ओपीडी में 30 प्रतिशत मरीज

हमें फॉलो करें Conjunctivitis
webdunia

नवीन रांगियाल

  • हर ओपीडी में 25 से 30 प्रतिशत मरीज कंजेक्टिवाइटिस के 
  • इंदौर के हुकुमचंद अस्पताल में 100 में से 10 बच्चे संक्रमण का शिकार 
  • सीजनल है यह एडिनो वायरस, लेकिन इस बार ज्यादा संक्रामक 
  • वायरस और बैक्टेरिया की वजह से पसरता है आई फ्लू
Conjunctivitis : देशभर के कई राज्यों में कंजेक्टिवाइटिस यानी आई फ्लू का कहर है। हर दूसरे और तीसरे व्यक्ति की आंखों में जलन, खूजली, आंखों का लाल होना और यहां तक कि यूपी और बिहार जैसे राज्यों में तो आंखों से खून तक आने के मामले सामने आ रहे हैं। कुछ मामलों में खून के थक्के जमे मिले हैं। इतना ही नहीं, बारिश के मौसम में होने वाला कंजेक्टिवाइटिस रोग इस बार ज्यादा संक्रामक है। डॉक्टरों के मुताबिक इसके संक्रमण की दर पिछले सालों से करीब 6 गुना ज्यादा बताई जा रही है। चिंता वाली बात यह है कि इस बार यह संक्रमित को छूने भर से भी फैल रहा है। जो समय से इलाज नहीं करा रहे है, उनकी कार्निया यानी आंख के पिछले हिस्से में सूजन होने लगी है। कुछ केस ऐसे भी हैं, जिनमें आंखों से खून तक निकलकर कार्निया को नुकसान पहुंचा रहा है।
मध्यप्रदेश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की बात करे तो डॉक्टरों के मुताबिक हर ओपीडी में रोजाना करीब 25 से 30 प्रतिशत मरीज सिर्फ कंजेक्टिवाइटिस के आ रहे हैं। वहीं सरकारी हुकुमचंद अस्पताल की बात करें तो यहां करीब 10 बच्चे रोजाना इस संक्रमण के इलाज के लिए आ रहे हैं। वेबदुनिया ने इस बारे में डॉक्टरों से विशेष चर्चा कर जाना चाहा कि आखिर क्या है कंजेक्टिवाइटिस, कैसे बचे, क्यों फेल रहा है और क्या है इसका इलाज।

क्या कहते हैं आई स्पेशलिस्ट?
हर ओपीडी में रोज 30 प्रतिशत मरीज

इंदौर में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ अमित सोलंकी ने वेबदुनिया को चर्चा में बताया कि इस समय हर आई स्पेशलिस्ट की ओपीडी में करीब 25 से 30 प्रतिशत मरीज कंजेक्टिवाइटिस के ही आ रहे हैं। आमतौर पर यह सीजनल और नॉर्मल है, लेकिन इस बार यह ज्यादा फैल रहा है। डॉ सोलंकी ने बताया कि यह दो कारणों से होता है। एक वायरल और दूसरा बैक्टेरिया की वजह से। ज्यादातर कंजेक्टिवाइटिस वायरल की वजह से होता है। जहां तक इसके होने की वजह से है तो यह बारिश के समय होता है क्योंकि इस सीजन में वायरस और बैक्टेरिया आसानी से अपनी जगह बना लेते हैं। यह एडिनो वायरस कॉमन है, लेकिन इलाज लेना जरूरी है। आमतौर पर तीन से चार दिन रहता है, लेकिन इस बार ज्यादा फैल रहा और करीब सात दिनों तक रह रहा है।

देखने से नहीं फैलता है : डॉ अमित सोलंकी ने बताया कि इसे लेकर कई तरह की गलतफहमी भी है। इस बारे में स्पष्ट करना चाहूंगा कि यह कोराना की तरह न ही हवा में फेलता है और न ही संक्रमित मरीज की आंखों में देखने से फैलता है। उन्होंने बताया कि यह मुख्यरूप से हैंड टू आई कॉन्टेक्ट से होता है। समय पर लक्षण को समझकर इलाज करने से ठीक हो सकता है।

हुकुमचंद में रोजाना आ रहे 10 बच्चे
हुकुमचंद अस्पताल
की ओपीडी में रोजाना 100 में से 10 बच्चे ऐसे आ रहे हैं, जिन्हें आंखों का यह संक्रमण हो रहा है। यह एडेनो वायरस है। समय पर इलाज कराने पर 3 से 4 दिनों में ठीक हो रहा है। ऐसी चिंता वाली बात नहीं है, यह सीजनल संक्रमण है जो बारिश के दिनों में होता है।- डॉ प्रवीण जडिया, शिशुरोग विशेषज्ञ, हुकुमचंद अस्पताल, इंदौर

किन राज्यों में फैला है कंजेक्टिवाइटिस?
आंध्रप्रदेश :
कंजंक्टिवाइटिस मुख्य रूप से विजयवाड़ा और श्रीकाकुलम से एनटीआर जिलों तक फैल रहा है।
उत्तर प्रदेश और बिहार में भी पसर रहा है। 
यूपी और बिहार से दिल्ली और एनसीआर तक पहुंच रहा है।

कंजक्टिवाइटिस कई कारणों से होता है, उपचार इसके कारणों पर ही निर्भर करता है।
ज्यादातर मामलों में रसायनों के एक्सपोजर से होने वाला कंजक्टिवाइटिस 1-2 दिन में अपने आप ही ठीक हो जाता है।
अन्य कारणों से होने वाले कंजक्टिवाइटिस के लिए उपचार के विशेष विकल्प उपलब्ध हैं।

कितने तरह के होते हैं कंजक्टिवाइटिस?
वायरल कंजक्टिवाइटिस :
वायरल कंजक्टिवाइटिस के लिए कोई उपचार उपलब्ध नहीं है। 7-8 दिनों में इसके लक्षणों में अपने आप सुधार आ जाता है। वैसे वार्म कम्प्रेस (कपड़े को हल्के गरम पानी में डुबोकर आंखों पर रखना) से लक्षणों में आराम मिलता है।

बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस : बैक्टीरिया के किसी भी संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक्स सबसे सामान्य उपचार है। बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस में एंटीबायोटिक्स आई ड्रॉप्स और ऑइंटमेंट (मरहम/जैल) के इस्तेमाल से कुछ ही दिनों में आंखें सामान्य और स्वस्थ्य होने लगती हैं।

एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस : एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस में बाकी लक्षणों के साथ आंखों में सूजन भी आ जाती है। इसलिए इसके उपचार में एंटी हिस्टामिन आई ड्रॉप्स के साथ एंटी इन्फ्लैमेटरी आई ड्रॉप्स भी दी जाती हैं।

क्या है लक्षण?
- आंख का लाल होकर खुजली होना
- अधिक पानी, कीचड़ आना
- आंखों में चुभन महसूस होना, सूजन होना
- एक या दोनों आंखों का लाल या गुलाबी दिखाई देना।
- एक या दोनों आंखों में जलन या खुजली होना।
- आसामान्य रूप से अधिक आंसू निकलना।
- आंखों से पानी जैसा या गाढ़ा डिस्चार्ज निकलना।
- आंखों में किरकिरी महसूस होना।

किस स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करें?
- आंखों में तेज दर्द होना।
- आंखों में तेज चुभन महसूस होना।
- नज़र धुंधली हो जाना।
- रोशनी के प्रति संवेदनशीलता।
- आंखें अत्यधिक लाल हो जाना।

आई फ्लू क्यों होता है?
मानसून में कम टेम्प्रेचर और हाई ह्यूमिडिटी की वजह से लोग बैक्टीरिया, वायरस और एलर्जी के कॉन्टेक्ट में आते हैं। यही एलर्जिक रिएक्शन्स और आई इन्फेक्शन जैसे कंजंक्टिवाइटिस का कारण बनते हैं।

सावधानी : संक्रमण को फैलने से कैसे रोकें?
कंजक्टिवाइटिस को फैलने से रोकने के लिए साफ-सफाई रखना सबसे जरूरी है, इसके अलावा इन बातों का ध्यान भी रखें।
- अपनी आंखों को अपने हाथ से न छुएं।
- अपनी निजी चीजों जैसे तौलिया, तकिया, आई कॉस्मेटिक्स (आंखों के मेकअप) आदि को किसी से साझा न करें।
- अपने रूमाल, तकिये के कवर, तौलिये आदि चीजों को रोज़ धोएं।
- हाथों को बार-बार साबुन तथा पानी से साफ करें
- आंखों तथा चेहरे को साथ करने के लिए साफ रुमाल, तौलिया का प्रयोग करें और उसकी सफाई करें
- नियमित प्रयोग किए जाने वाले चश्मे को अच्छी तरह साफ करें
- संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए काला चश्मा पहनें
- पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों का प्रयोग करें
- सूरज की सीधी धूप, मिट्टी-धूल आदि से दूर रहें।
- संक्रमित व्यक्ति के प्रयोग किए जा रहे आई ड्रॉप, रुमाल, आंखों के मेकअप की सामग्री, तौलिया, तकिया के कवर आदि का प्रयोग न करें
- डॉक्टर की सलाह के बिना किसी आई ड्रॉप व दवा का प्रयोग न करें
- भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जातीय जनगणना की एमपी चुनाव में एंट्री, बोले कमलनाथ भाजपा सामाजिक हक़मारी का प्रतीक