Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Diwali rangoli: दिवाली पर कहां कौन सी रंगोली बनाएं?

हमें फॉलो करें dhanteras rangoli 2023
diwali rangoli design: हिंदू धर्म में त्योहार पर रंगोली बनाने की परंपरा है। दिवाली पर मांडना या रंगोली बनाए जाने का प्रचलन है। भारत के हर राज्य में भिन्न भिन्न तरीकों और आकृतियों में मांडना बनाए जाते हैं परंतु रंगोली में एक तरह की समानता ही होती है। आओ जानते हैं कि घर के किस स्थान पर कैसी रंगोली बनाई जाती है।
 
रंगोली : वर्तमान में रंगोली का प्रचलन सबसे अधिक है। रंगोली सूखे रंगों से बनाई जाती है। रंगों की सहायता से, कई लयबद्ध बिंदुओं को मिलाते हुए रंगोली की कई सुंदर-सुंदर आकृतियां बनाई जाती हैं, जो बेहद आसान और आकर्षक होती है। यह तरीका आसान होने के कारण युवतियों के साथ ही छोटी बालिकाएं भी आसानी से रंगोली को आकार दे सकती हैं। इसके बाद इसमें अपने अनुसार रंग भरकर इसे और भी आकर्षक बनाया जाता है। तब तैयार होती है, खूबसूरत रंगोली।
 
रंगोली की आकृतियां : 
  • भूमि पर बनाई जाने वाली रंगोली में साधारणत: ज्यामितिक आकार होते हैं या फिर फूल-पत्तियां, फूल पंखुड़ियां, बेलबूटे, दीपक, शंख, हंस, तोते, तितलियां या मोर की आकृतियां होती है।
  • देवी या देवताओं की आकृतियां बहुत कम ही बनाई जाती है। हां, श्री, ॐ और शुग पग आदि की रंगोली बनाते हैं।
  • आजकल बाजार में रंगोली बनाने के सांचे उपलब्ध है जिसके लिए आपको हाथ से मेहनत करने की जरूररत नहीं होती। बस सांचे में रंगोली भरकर अपने अनुसार आकृतियां उकेरी जा सकती हैं।
  • इसमें पहले जमीन पर छन्नी से रंगों को समान रूप से फैलाया जाता है, उसके बाद सांचे या फिर छापों की सहायता से सफेद रंगोली का उपयोग कर आकृतियां बनाई जाती है।
  • वर्तमान में चौक, डॉटेड, फ्री हेंड, पंखुड़ियां, पारंपरिक अल्पना, ग्लास रंगोली, लकड़ी की रंगोली, संस्कार रंगोली, फ्लोटिंग रंगोली, पान रंगोली, मोर रंगोली, फूल रंगोली आदि का प्रचलन है।
webdunia
कहां कौनसी रंगोली बनाएं :
  1. द्वार के बाहर मोर, फूल, सूरजमुखी का फूल, पंखुड़ियों आदि की रंगोली बना सकते हैं।
  2. पूजा स्थल पर श्री, स्वास्तिक, ॐ और शुभ पद चिन्ह, गोल तारा, श्री यंत्र या ज्यामिती की आकृतियां आदि बनाते हैं।
  3. गैलरी, देहली पर बेलबूटे, दीपक, फूल तितलियां आदि बना सकते हैं।
  4. आंगन में चौक, चौपड़, संजा, श्रवण कुमार, नागों का जोड़ा, डमरू, जलेबी, फेणी, चंग, मेहंदी, केल, बहू पसारो, बेल, दसेरो, सातिया (स्वस्तिक), पगल्या, शकरपारा, सूरज, केरी, पान, कुंड, बीजणी (पंखे), पंच कारेल, चंवर छत्र, दीपक, हटड़ी, रथ, बैलगाड़ी, मोर, फूल व अन्य पशु-पक्षी आदि बनाए जाते हैं।
मांडना :
  • दीवारों पर लिपाई-पुताई के बाद मांडने बनाए जाते हैं। दीवार पर केल, संजा, तुलसी, बरलो आदि सुंदर बेलबुटे बनाए जाते हैं। आंगन में खांडो, बावड़ी, चौक, दीपावली की पांच पापड़ी़ चूनर चौक। सबसे खास होता है बीच आंगन का मांडना। यह दीप पर्व का विशेष आकर्षण होता है।
  • घर-आंगन में मांडने बनाकर अति अल्प मात्रा में मूंग, चावल, जौ व गेहूं जैसी मांगलिक वस्तुएं फैला दी जाती हैं। चबूतरे पर पंचनारेल आदि।
  • हवन और यज्ञों में वेदी का निर्माण करते समय भी मांडने बनाए जाते हैं।
  • पूजाघर में नवदुर्गा, लक्ष्मीजी के पग, गाय के खुर और अष्टदल कमल, गणेश आदि बनाए जाने का महत्व है।
  • रसोईघर में छींका चौक, मां अन्नपूर्णा की कृपादृष्टि बनी रहे, इस हेतु विशेष फूल के आकार की अल्पना बनती है जिसके 5 खाने बनते हैं।
  • हर खाने में विभिन्न अनाज-धन-धान्य को प्रतीकस्वरूप उकेरा जाता है। गोल आकार में बनी इस अल्पना के बीच में दीप धरा जाता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

दिवाली पर अमावस्या की रात को करके देखें ये 5 अचूक उपाय