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चित्रगुप्त जी हैं यमराज के बहनोई, जानिए पौराणिक कथा--

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आचार्य राजेश कुमार

दीपावली की घोर अमावस्या के बाद जिस दिन चंद्रमा के दर्शन होते हैं, उसी दिन भारत में सर्वत्र यम द्वितीया यानी भैया दूज या भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। इस बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि 21 अक्टूबर 2017 अपरान्ह 01:37 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन 22 अक्टूबर 2017 प्रातः 03:00 बजे समाप्त होगी।
 
इस दिन बहन अपने घर में आए हुए भाई को विशेष प्रकार के व्यंजन परोसती है और उसका आशीर्वाद लेती है।
 
यम द्वितीया के दिन भाई द्वारा बहन के घर जाना भी एक पौराणिक कथा से संबंधित है। 
 
पौराणिक कथा:--
 
सूर्य के दो जुड़वां संतान यम और यमी का जन्म हुआ था। यम अपने जीवन में इतना व्यस्त हुए कि उसे कभी भी अपनी बहन की सुध लेने की फुर्सत नहीं होती है। 
 
यमी का विवाह देवताओं के लेखपाल चित्रगुप्त के साथ हुआ था। जिस कारण चित्रगुप्त और यमराज में बहनोई का रिश्ता हुआ। चित्रगुप्त को भी यमराज के अधीन ही कार्य करना पड़ता है। बाद में यमी का अवतरण धरती पर यमुना नदी के रूप में हुआ। 
 
एक दिन यमी ने यमराज से अपने घर आकर उसका आतिथ्य स्वीकार करने की प्रार्थना की। अंततः कार्तिक मास की द्वितीया के दिन यमराज को अपनी बहन यमी के घर जाने की फुर्सत मिली। यमी ने माथे पर तिलक लगा कर यमराज से वचन लिया कि हर वर्ष कार्तिक मास की द्वितीया के दिन चाहे कुछ भी हो, भाई को बहन के घर अवश्य जाना होगा। यमराज ने प्रसन्न होकर यमी को यह वरदान दिया कि मैं अवश्य तेरे घर आऊं और इस दिन पृथ्वी लोक में रहने वाला जो भी नर यमुना नदी के स्नान के बाद अपनी बहन के घर जाएगा, उसे नरक की यातना नहीं भोगनी पड़ेगी।

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