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महालक्ष्मी पूजन के यह हैं अतिश्रेष्ठ मुहूर्त

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पं. अशोक पँवार 'मयंक'

इस बार दीपावली 19 अक्टूबर, गुरुवार 2017 को अमावस्या सूर्योदय काल से 19-20 ता. की रात्रि 0.41.51 तक है। वृश्चिक लग्न प्रात: 8.38 से शुरू होकर 10.50 तक रहेगा। इस समयावधि में 7.53 से 10.45 रोग व उद्वेग का चौघड़िया होने से महालक्ष्मी पूजन नहीं करना चाहिए। राहुकाल 13.30 से 15.00 तक है।
 
जो लोग अपने प्रतिष्ठानों में महालक्ष्मी पूजन करना चाहते हैं, उनके लिए दोपहर में 12.12 से 13.38 तक लाभ का चौघड़िया रहेगा। राहुकाल 13.30 से शुरू होकर 15.00 तक रहेगा। इसमें 12.12 से 13.29 तक का समय लक्ष्मी पूजन के लिए उत्तम है। 
 
चंचल लग्न में लक्ष्मी पूजन नहीं करना चाहिए। लक्ष्मी पूजन स्थिर लग्न व स्थिर नवांश में होती है व शुभ, लाभ व अमृत में ही करना चाहिए। लक्ष्मी चंचल है अत: चंचल के चौघड़िया में पूजन नहीं करना चाहिए। इसलिए जो शुभ मुहूर्त हैं, हम उसे ही दे रहे हैं। 
 
शाम का अतिश्रेष्ठ महालक्ष्मी पूजन मुहूर्त
 
सूर्यास्त 5.54.24 पर प्रदोष काल का प्रारंभ होकर 8.25.24 पर समाप्त होगा। इस समयावधि में मेष लग्न व वृषभ नवांश 5.58 पर प्रारंभ होगा, जो 6.08 तक रहेगा। 
 
शुभ व अमृत का चौघड़िया 
 
शाम 4.31 से 5.57 तक शुभ फिर 5.57 से अमृत 7.31 रहेगा। 
 
प्रदोष काल में मेष लग्न व वृषभ नवांश रहेगा। चंचल का चौघड़िया 7.31 से शुरू होकर 9.05 तक रहेगा। 
 
जो चंचल में पूजन करना चाहें, उनके लिए मुहूर्त इस प्रकार है-
 
वृषभ लग्न 7.30 से प्रारंभ होगा, जो 8.25 तक रहेगा। फिर प्रदोष काल में ही वृषभ स्थिर लग्न व कुंभ स्थिर नवांश 7.52 तक रहेगा। इसके बाद वृषभ लग्न वृषभ नवांश 8.20 से 8.30 तक रहेगा जबकि प्रदोष काल 8.25 को समाप्त हो जाएगा। इसमें सिर्फ 5 मिनट ही मिलते हैं। पूजन शुरू कर सकते हैं।
 
निशिथ काल- 8.25.24 से प्रारंभ होकर 10.56.24 तक रहेगा। इसके बाद महानिशिथकाल 10.56.24 से शुरू होकर 1.27.24 तक रहेगा।
 
राशिनुसार करें पूजन
 
मेष-वृश्चिक राशि वाले मूंगे की 108 दानों की माला से लाल ऊन का आसन बिछाकर लक्ष्मीजी का मंत्र जपें।
 
वृषभ-तुला राशि वाले स्फटिक की माला लें व सफेद ऊन का आसन बिछाकर जाप करें।
 
मिथुन-कन्या राशि वाले हरे मोती की माला व हरे ऊन का आसन बिछाकर जप करें।
 
कर्क राशि वाले सफेद मोती की माला व सफेद ऊन का आसन बिछाकर जपें।
 
सिंह राशि वाले गुलाबी मोतियों की माला व गुलाबी ऊन के आसन पर बैठ जाप करें।
 
धनु-मीन राशि वाले चंदन की माला व पीले ऊन के आसन को बिछाकर मंत्रों का जाप करें।
 
महानिशिथकाल में लक्ष्मी मंत्रों का जाप करना श्रेष्ठ है। महानिशिथकाल में लक्ष्मीजी के तांत्रिक प्रयोग किए जाते हैं। इस समयावधि में लक्ष्मी मंत्रों का जाप करना श्रेष्ठ माना जाता है। 
 
हम यहां पर कुछ चुने हुए मंत्र दे रहे हैं जिन्हें विधिपूर्वक जपने से लक्ष्मीजी की कृपा बनी रहती है। महानिशिथकाल का समय 10.56.24 से लेकर मध्यरात्रि में 01.27.24 तक है।
 
ॐ श्रीं ह्रीं कमले कमलालये। प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमं।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं ॐ स्वाहा

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