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चौंकिए मत, दिलीप साहब का वेतन था 1250 और राजकपूर का 175 रुपए...

हमें फॉलो करें चौंकिए मत, दिलीप साहब का वेतन था 1250 और राजकपूर का 175 रुपए...
- सीमान्त सुवीर

बॉलीवुड में फिलहाल 'तीन खान' की बात छोड़िए, पिछली पीढ़ी ने एक वो भी ज़माना देखा है, जब फिल्मी दुनिया में राजकपूर, देवानंद, दिलीप कुमार, गुरुदत्त, राजेन्द्र कुमार, मनोज कुमार, धर्मेन्द्र जैसे कलाकार हुआ करते थे और ये सभी अपने बलबूते वे फिल्मों को सुपर हिट कराने का दमखम रखते थे।
 
दिलीप कुमार को फिल्मी दुनिया 'ट्रेजेडी किंग' के नाम से जानती रही है। यह कलाकार आज भी उस पीढ़ी के दिलोदिमाग में बसा हुआ है, जिन्होंने उनकी कामयाबी को अपनी आंखों से देखा है। 
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आज भले ही कलाकार किसी एक फिल्म में काम करने के करोड़ों लेते हों, लेकिन एक वो भी वक्त था, जब फिल्मी कलाकारों को मासिक वेतन मिलता था। ये वेतन भी 100-200 रुपए से लेकर 1000-1200 रुपए तक ही होता था...
 
सभी जानते हैं कि दिलीप कुमार का असली नाम यूसुफ खान था और उनका जन्म पाकिस्तान के पेशावर में हुआ। उनके पिता का फलों का अच्छा खासा कारोबार था। 1947 में देश का जब बंटवारा हुआ, तब खान परिवार पर कहर बरपा और उनके पिता हाथों में जो जमापूंजी थी, उसे लेकर हिंदुस्तान आ गए थे।
 
बंटवारे के बाद परिवार की माली हालत बेहद खराब होती चली गई और यूसुफ मियां फिल्मी दुनिया में भाग्य आजमाने के लिए मुंबई चले आए। उनके पिता का निधन हो गया था और उन पर 5 भाई और 6 बहनों का अतिरिक्त बोझ भी आ गया...
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फिल्मी दुनिया में यूसुफ साहब का स्ट्रगल जारी रहा और इसी बीच उनकी प्रतिभा के कायल डॉ. मसानी उन्हें लेकर बॉम्बे टॉकिज की मालकिन देविका रानी के पास गए। देविका रानी ने उनके भीतर के कलाकार की कद्र की और उनका पारिश्रमिक 1250 रुपए प्रतिमाह तय कर दिया। 
 
उस जमाने में 1250 रुपए की रकम बहुत बड़ी होती थी...जब उन्होंने घर आकर ये बताया कि मेरा वेतन 1250 रुपए तय हुआ है तो घर के सदस्यों को उनकी बातों का यकीन नहीं हुआ। वो कहने लगे कि तुमने गलत सुन लिया है और तुम्हें 1250 रुपए सालभर के लिए मिलेंगे क्योंकि तब राजकपूर का वेतन 175 रुपए प्रतिमाह हुआ करता था...
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यूसुफ यानी दिलीप कुमार को भी एक पल के लिए यही लगा कि कहीं उनके कानों ने कुछ गलत तो नहीं सुन लिया है? वे भी जानते थे कि राजकपूर 175 रुपए माहवार की तनख्वाह पर काम करते हैं।
 
संशय मिटाने के लिए दिलीप साहब ने डॉ. मसानी को फोन लगाया और मन की बात बताई। डॉ. मसानी ने देविका रानी से बात की...देविका रानी ने कहा, उन्हें बता दीजिए कि 1250 रुपए माहवार ही मिलेंगे...
 
देविका रानी की सफाई के बाद दिलीप कुमार के भाई-बहनों ने खुशियां मनाई क्योंकि अब उनके बुरे दिनों के खत्म होने की शुरुआत होने जा रही थी। ये भी पूरी दुनिया जानती है कि दिलीप कुमार ने एक के बाद एक कई सुपर हिट फिल्में दी। 
 
वक्त के साथ वो शोहरत हासिल करते चले गए और उन पर दौलत की बरसात भी होती चली गई। उन्होंने अपने बूते पर सभी 11 भाई-बहनों की शादियां कीं...उनके घर बसाए और इतना सब करने में वे खुद का घर बसाने की बात ही भूल गए..या इसे यूं कहें कि परिवार के खातिर उन्होंने यह सबसे बड़ा सैक्रिफाइज किया...
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आखिरकार जब दिलीप कुमार ने अपना घर बसाया, तब उनकी उम्र 44 की थी। असल में सायरा बानो दिलीप साहब पर तब से फिदा थी, जब उन्होंने पहली बार उनकी फिल्म 'आन' देखी थी। तब वे लंदन में पढ़ाई कर रहीं थीं। 
 
कई लोगों को यह बात पचती नहीं है कि दिलीप साहब ताउम्र बेऔलाद रहे। ऐसा सोचने वालों को बताना जरूरी है कि 1972 में सायरा बानो भी गर्भवती हुई थीं, लेकिन हाई ब्लडप्रेशर होने के कारण आठवें महीने में उनका गर्भपात हो गया। इस हादसे के बाद वे कभी मां नहीं बन पाईं। 
 
भले ही सायरा बानो मां न बनी हों, लेकिन उन्होंने पूरी उम्र दिलीप साहब की तीमारदारी पूरे मनोयोग से की और अब भी कर रही हैं, उस हालत में भी जब बॉलीवुड का यह 'ट्रेजेडी किंग' बच्चों जैसा व्यवहार कर रहा है...कहते हैं ना कि इंसान जब बहुत उम्र का हो जाता है, तब बच्चा बन जाता है।

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