Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

अनेक मायनों में उल्लेखनीय रहा है वर्ष 2014

हमें फॉलो करें अनेक मायनों में उल्लेखनीय रहा है वर्ष 2014

शरद सिंगी

वर्ष 2014 इतिहास बनने की ओर अग्रसर है। समय है उन सब प्रमुख घटनाओं के पुनरावलोकन का जिन्होंने  इतिहास रचने के लिए इस वर्ष को  कुछ स्वर्णिम पल दिए और उन घटनाओं का भी जिन्होंने इस वर्ष के इतिहास पर बदनुमा दाग दिए।  
 
यह वर्ष विशेष रूप से याद रखा जाएगा उन देशों के लिए जिनकी सीमाएं उनके हाथों से फिसल गईं। ये हैं सीरिया, लीबिया, इराक और यूक्रेन। ये देश अपने मूल रूप में पुनः आ पाएंगे इसमें सभी विशेषज्ञों को शंका है। सुखद यह रहा कि दूसरी ओर इंग्लैंड टूटते-टूटते बचा जब स्कॉटलैंड के मतसंग्रह में अलगाववादियों की शिकस्त हुई। तब दुनिया ने राहत की सांस ली क्योंकि  इस हार से स्पेन, जर्मनी, इटली, कनाडा जैसे कई देशों के अलगाववादियों के  हौसले पस्त हुए जो  अलगाववादी आंदोलनों में नई ऊर्जा के संचार की आशा लगाए बैठे थे।   
 
राजनीतिक क्षेत्र की बात करें तो भारत की जनता ने विश्व के प्रजातान्त्रिक इतिहास में एक स्वर्णिम पृष्ठ जोड़ा जब खंडित बहुमत देने की परम्परा को   समाप्त किया। गठबंधन की राजनीति से त्रस्त विश्व की जनता के सामने  प्रजातंत्र में फिर से स्पष्ट बहुमत की सरकार बनाने का उदाहरण सामने रखा साथ ही वंशवाद, सम्प्रदायवाद और जातिवाद को चुनाव प्रक्रिया से बाहर का रास्ता दिखाया। उधर जापान से लेकर यूरोप तक दक्षिणपंथी मजबूत हुए। इंडोनेशिया में विडोडो विपरीत परिस्थितियों में चुनाव जीते और अपने देश में मोदीजी की तरह लोकप्रियता पाई। जापान में अबे ने समय से दो वर्ष पूर्व  ही चुनाव कराकर एवं पुनः जीतकर आलोचकों तथा विपक्ष का मुंह बंद कर दिया। जाते वर्ष में एक और जो महत्वपूर्ण घटना रही वह है अमेरिका का  क्यूबा के साथ  पुनः राजनीतिक सम्बन्ध स्थापित हो जाना। 
 
ज्ञात रहे पिछले पचास वर्षों से  दोनों में आपसी सम्बन्ध  दुश्मनी के थे। इधर अफगानिस्तान में राष्ट्रहित को  ध्यान में रखते हुए  मुख्य विरोधी दलों ने साझा सरकार बनाई।  हांगकांग का प्रजातंत्र, चीन के दमन से दम तोड़ रहा है तो विडम्बना रही कि मलेशिया का प्रजातंत्र स्वयं अपने वजन से चरमरा रहा है। स्मरण होगा कि चार वर्षों पूर्व मध्य पूर्व के एक बहुत ही लघु राष्ट्र तुनिशिया से शुरू हुई एक चिंगारी ने मध्य पूर्व के सारे देशों में तानाशाहों के विरुद्ध एक जनविप्लव खड़ा किया था।  इस वर्ष उसी तुनिशिया ने सफलतापूर्वक जनतांत्रिक तरीके से चुनाव करवाकर पुनः एक बार मध्यपूर्व के विशाल देशों के सामने मिसाल कायम की है।  
 
राष्ट्रों के आपसी संबंधों की चर्चा करें तो ईरान और अमेरिका के बीच पूरे वर्ष परमाणु समझौता फिसलता ही रहा। अमेरिका के विदेश  सचिव जॉन केरी के लाख प्रयत्नों के बावजूद ईरान की नाक में नकेल नहीं डाली जा सकी। यूक्रेन को लेकर पश्चिमी देशों द्वारा रूस का बहिष्कार  जारी है। जापान और चीन के सम्बन्ध अपने हाल के इतिहास के न्यूनतम स्तर तक पहुंचे। वर्ष 2014, ईसिस के प्रादुर्भाव और उसके नरसंहार का गवाह बना तथा  जाते-जाते अपने दामन पर पाकिस्तान के स्कूली बच्चों के खूनी दाग ले गया। पाकिस्तान सरकार ने  आतंकवादियों को प्रश्रय देना जारी रखा इससे आतंकवाद विरोधी उसके दावों पर प्रश्‍नचिन्‍ह लगे रहे। नाइजीरिया में बाको हराम द्वारा महिलाओं के अपहरण का सिलसिला जारी है। नियंत्रण की सारी कोशिशें बेकार रहीं। 
 
आर्थिक क्षेत्र पर नज़र डालें  तो कच्चे तेल के भावों की गिरावट ने दुनिया को फिर एक बार बौखलाया और  पटरी पर आती विश्व की अर्थव्यवस्था के समीकरण को पुनः पटरी से उतार दिया। तेल उत्पादक देशों का संगठन ओपेक दिग्भ्रमित है। कच्चे तेल पर आधारित रूस की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ और रूसी मुद्रा रूबल औंधेमुंह गिरी। भारत और चीन जैसे विकासशील देशों की जनता को इन गिरते दामों से लाभ मिला।  
 
विज्ञान के क्षेत्र में यह वर्ष अभूतपूर्व सफलता का रहा। अंतरिक्ष विज्ञान की सहायता से मानव ने धूमकेतु तक उड़ान लगाई। रोसेटा मिशन द्वारा वर्षों पश्चात अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक धूमकेतु पर उतार देना इस वर्ष की सबसे बड़ी उपलब्धि रही। भारत ने मंगल पर अपने यान को भेजने में सफलता पाई। विशेषता रही पहले ही प्रयास में सफलता तथा कम लागत और घरेलू तकनीक से बना यान। अन्य क्षेत्र जैसे रोबोट तकनीक, वायरलेस विद्युत, उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को उल्टा करना इत्यादि में वैज्ञानिक खोज के अगले चरण में पहुंचने में सफल रहे।    
 
पुनरावृत्ति का दोष होते हुए भी यहां भारत के सन्दर्भ में रेखांकित करना आवश्यक है कि इस वर्ष जिस तरह भारत की अवाम  ने क्षेत्रीय दलों, परिवारवाद और जातीय समीकरणों को एक सिरे से खारिज कर केंद्र में जो एक सशक्त सरकार दी है वह आधुनिक सन्दर्भों में एक चमत्कारिक घटना रही। अतः यह वर्ष आने वाले कई वर्षों तक चर्चाओं में उद्धरण बना रहेगा। सक्षम नेतृत्व की वजह से ही इस वर्ष भारत विश्व में अपनी खोई साख को पुनः अर्जित करने में सफल होता दिख रहा है। रिश्ते फिर चाहे पड़ोसी देश से हों, सार्क देश से हों, ब्रिक्स देश से हों या महाशक्तियों से, गरमाहट आने की प्रक्रिया आरम्भ हो चुकी है। नए नेतृत्व की कार्यक्षम कार्यशैली ने युवाओं के दिलों में कई नई आकांक्षाओं को जन्म दिया है। 
  
इस तरह यदि सम्पूर्ण वर्ष का आकलन करें तो विज्ञान के क्षेत्र में तो हम विशेष योग्यता के साथ उत्तीर्ण हुए हैं किन्तु सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में कुछ सफलताएं मिलीं तो कुछ असफलताओं का बोझ लेकर नए वर्ष में प्रवेश करेंगे। बीते वर्ष में कुछ इतिहास रच गए, कुछ इतिहास बन गए। मानवता पुराने चोले को छोड़ नए चोले और नई ऊर्जा के साथ नए वर्ष में प्रवेश करे, इसी कामना के साथ नूतन वर्ष का हार्दिक अभिनन्दन।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi