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अब तो कर ही दिए जाएं पाकिस्तान के टुकड़े-टुकड़े...!

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, शुक्रवार, 2 सितम्बर 2016 (17:51 IST)
रवीन्द्र गुप्ता
 
मोदी ने बीते 15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस पर बलूचिस्तान व पीओके में मानवाधिकार हनन का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था। इस भाषण के बाद पाकिस्तान बुरी तरह से बौखला गया तथा कहने लगा कि भारत, पाकिस्तान के अंदरुनी मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है। यह कहते समय पाकिस्तान भूल गया है कि वह भारत (कश्मीर) के अंदरुनी मामलों में पिछले 60 से अधिक वर्षों से हस्तक्षेप ही नहीं कर रहा, बल्कि आतंकवाद के जरिए उसने लाखों लोगों को मरवा डाला है तथा अरबों-खरबों की संपत्ति को नुकसान भी पहुंचाया है। 
 
भारतीय कश्मीर व पीओके
 
भारतीय कश्मीर के सारे नागरिक शांति व सुकून से रहना चाहते हैं, पर पाकिस्तान उनको उकसाता-भड़काता रहता है। कश्मीर के 98 प्रतिशत नागरिक पाक को बिलकुल भी पसंद ही नहीं करते और भारत के साथ ही रहना चाहते हैं। केवल 2 प्रतिशत ही सिरफिरे व विघ्न-संतोषी लोग हैं, जो कश्मीर में आग लगाए रखना चाहते हैं ताकि उनकी दाल-रोटी चलती रहे। इन लोगों को पाकिस्तान (आग लगाने के लिए) काफी पैसा देता है। इसमें इनका अपना निजी हित या स्वार्थ है। जब तलवार सिर पर लटकी होती है, तब न चाहते हुए भी एक शरीफ आदमी को भी दुर्जनों का साथ देना ही पड़ता है मन मारकर ही सही।

 
दूसरी ओर पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में मानवाधिकार हनन के मामले में पाक ने हदें पार कर दी हैं। अपने अधिकारों की मांग करने वाले नेताओं तथा आम ना‍गरिकों को जेल में डाल देना व मरवा देना आए दिन की बात हो गई है। कई तो आज तक लापता हैं जिनका कोई अता-पता नहीं है। तो यह है पाक का दोहरा आचरण।

बलूचिस्तान में अन्याय
 
भारतीय कश्मीर में मानवाधिकार का रोना रोने वाले पाक को खुद अपने गिरेबान में झांककर देख लेना चाहिए कि बलूचिस्तान में वह कितना अन्याय कर रहा है। पाक का यह प्रांत तेल, गैस व खनिज से 'संपन्न' है और यहां की आबादी 'गरीब'। क्यों? क्योंकि स्वार्थी, धूर्त व कपटी पाकिस्तान ने यहां के संसाधनों का अपने स्वार्थ के लिए बेहद दोहन तो किया, लेकिन इस प्रांत के विकास व खुशहाली के लिए कुछ भी नहीं किया। अपने इन्हीं अधिकारों को लेकर बलूच लोग हथियार उठाने को मजबूर हो गए हैं लेकिन इससे भी पाक सरकार की नींद नहीं खुली और वह बलपूर्वक दमन पर उतारू हो गई है तथा वहां संघर्ष जारी है।
 
बलूच नेशनल मूवमेंट के उपसचिव सरमनी जोन, नदीम सलीम ने बताया कि 1948 तक बलूचिस्तान स्वतंत्र था, पाकिस्तान ने सैनिक कार्रवाई कर उस पर गैरकानूनी ढंग से कब्जा कर लिया। चीन, पाकिस्तान के साथ मिलकर सीपीईसी (CPEC : चाइना-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) बना रहा है, जो कि बलूच लोगों को जरा भी मंजूर नहीं है। 

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और अब सिन्ध भी सुलग उठा
 
पीओके, बलूचिस्तान के बाद पाक के एक अन्य प्रांत सिन्ध में भी आग सुलग उठी है तथा यह प्रांत भी अपनी आजादी की मांग कर रहा है। यहां के नागरिक मोदी (भारत) की ओर हसरतभरी निगाह से देख रहे हैं कि वे इस प्रांत के तारणहार बनेंगे। पाक ने कई सिन्धी नेताओं को मरवा दिया है तथा कई नागरिक या तो जेल में ठूंस दिए गए हैं या कई लापता हैं। सिन्ध की दुखभरी दास्तान की भी एक लंबी कहानी है।
 
नहीं सुधरेगा पाक चाहे आप लाख वार्ताएं करो
 
पाकिस्तान से आप चाहे लाख (या अरबों) वार्ताएं करें, वो नहीं सुधरने वाला। वो खाली वार्ता से जरिए हमेशा भारत को बेवकूफ बनाकर अपना उल्लू-सीधा करते रहता है। उसकी कश्मीर समस्या के हल होने में कोई रुचि नहीं है। और अगर यह समस्या हल हो गई तो वहां के हुक्मरान शासन कैसे करेंगे? वे लोग वहां की अवाम को कश्मीर का डर व लॉलीपॉप दिखाकर ही अपनी कुर्सी पर जमे रहते हैं अत: पाक कभी नहीं चाहेगा कि कश्मीर समस्या हल हो। भारत को खाली पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) पर ही बात करना चाहिए, न कि भारतीय कश्मीर पर। और वो आतंक‍वादियों को भारत में भेजना जारी ही रखेगा।
 
इसराइल से भी सबक लिया जा सकता है
 
इसराइल में अगर हमास के आतंकवादी कोई हमला करते हैं तो इसराइल उनको इस कदर और इस तरह मुंहतोड़ जवाब देता है कि आतंक‍वादियों की दुबारा हिम्मत ही नहीं होती है कि वे इसराइल की ओर मुंह उठाकर भी देख लें। और इसके बाद भी अगर आतंकवादियों ने दुबारा दुस्साहस किया होता तो इसराइल भयानक गोलाबारी कर फिलिस्तीनी आतंकवादियों के ठिकाने पर तो हमला करता ही है, साथ ही बस्तियों तक को भी तहस-नहस कर डालता है। वो अंतरराष्ट्रीय विरोध की जरा भी परवाह नहीं करता है। ये अलग बात है कि इसराइल को अमेरिका का भी परोक्ष समर्थन मिला हुआ है जिसके बलबूते पर ही वह आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब दे दिया करता है।
 
तो भारत को किस बात का भय है? 
 
जब इसराइल जैसा छोटा-सा रेगिस्तानी मुल्क आतंकवादियों के शिविर में घुसकर आक्रामक हमला कर सकता है, तो भारत को भी चाहिए कि वह भी पाक स्थित आतंकवादियों के शिविर में घुसकर उनको मुंहतोड़ जवाब दे। शुरू-शुरू में पाकिस्तान इस कार्रवाई को लेकर जरूर बौखलाएगा, पर बार-बार भारत द्वारा हमले किए जाने के बाद वह भी डरने लगेगा तथा आतंकवादी कार्रवाई से बाज आएगा, क्योंकि उसे अहसास हो जाएगा कि अगर हमने आतंकवादियों को भारत में भेजा तो वह भी मुंहतोड़ जवाब देगा।
 
पाक को है तीन 'अ' से खतरा 
 
पाकिस्तान का जबसे जन्म हुआ है, उसे तीन 'अ' यानी आदमियों से हमेशा खतरा बना रहा है। ये तीन आदमी हैं- आईएसआई, आतंकवादी और तीसरा 'अ' यानी सेना के आदमी लोग यानी कि मिलिट्री। इन तीनों के आगे पाक सरकार की जरा भी नहीं चलती। ये लोग जैसा-जैसा कहते हैं, पाक सरकार वैसा-वैसा करती जाती है। इससे जरा भी अलग या विलग सरकार निर्णय लेती है तो उसे ये तीनों मिलकर गिरा या 'मार' देते हैं। इनके खिलाफ बोलने के परिणामस्वरूप परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ को अपदस्थ कर गद्दी हथिया ली थी और बेनजीर भुट्टो की हत्या कर (या करवा) दी गई थी। इसके अलावा याह्या खान से लेकर अब तक पाकिस्तान का काफी लंबा रक्तरंजित इतिहास है।
 
क्या कहा था मरते समय जिन्ना ने?... पढ़ें अगले पेज पर...

क्या कहा था मरते समय जिन्ना ने?
 
पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने काफी धूर्तता व कपटपूर्ण तरीके का इस्तेमाल कर इसका निर्माण किया था। जिन्ना ने गांधी, नेहरू व पटेल को भी अंधेरे में रखा था। लेकिन जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता गया और पाकिस्तान के सूरत-ए-हाल जिन्ना ने देखे तो उनको अपनी गलती का एहसास हुआ। कथा काफी लंबी है। सार-संक्षेप में यही कि जब वे मृत्यु-शैया पर थे तो उनके अंतिम शब्द थे- 'पाकिस्तान का निर्माण मेरे जीवन की सबसे बड़ी भूल था।' 
 
दूसरी ओर पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मो. रफीक तराड़ ने भी एक अवसर पर कहा था- 'पाकिस्तान का एक मुल्क के रूप में बचा रहना ही सबसे बड़ी 'उपलब्धि' है।' इसका गहरा अर्थ है कि पाक के हालात इतने खराब हैं कि वह किसी भी दिन टुकड़े-टुकड़े हो सकता है और इसके आसार वर्तमान में दिख भी रहे हैं। 
 
मुसलमानों का भी हिमायती नहीं पाक
 
कहने को पाकिस्तान इस्ल‍ामिक मुल्क होने का दंभ भरता है, पर वास्तविक स्थिति इसके बिलकुल उलट है। भारत से गए लाखों बिहारी मुसलमान, जिन्हें कि 'मुहाजिर' कहा जाता है, आज भी पाक की मुख्य धारा में सम्मिलित नहीं हो पाए हैं। उनके साथ भी पाकिस्तान में दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है तथा सरकार-प्रदत्त किसी भी सुविधा का उन्हें लाभ नहीं मिलता है। इस उपेक्षा और अपमान के फलस्वरूप ही इन्होंने मुहाजिर कौमी मूवमेंट (MQM) नाम का संगठन बना लिया है, जो अपने अधिकारों के लिए सशस्त्र संघर्ष कर रहा है, पर पाक सरकार है कि उनकी मांगों को सुनने को बिलकुल भी तैयार नहीं। उल्टे उसने MQM के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया या मरवा डाला है तथा उनके दफ्तरों को भी तहस-नहस करवा दिया है। 
 
मस्जिदों व नमाजियों पर हमले
 
पाकिस्तान की सामाजिक स्थिति इतनी खराब हो गई है कि वहां मस्जिदों में नमाज अदा करते लोगों पर भी भीषण गोलीबारी कर दी जाती है, 
मस्जिदों को नष्ट कर या ढहा दिया जाता है। इस प्रकार की एक नहीं, अनेक खबरें हैं जिसमें आतंकवादियों ने (ना)पाक जन्म से अभी तक हजारों लोगों को मार दिया है। शिया-सुन्नी व कुर्द विवाद की एक अंतहीन लंबी कहानी है।
 
कर ही डालें अब तो पाक के टुकड़े-टुकड़े...
 
पाकिस्तान के आज की तारीख में जो सूरत-ए-हाल हैं, उसको देखते हुए भारत के लिए 'स्वर्णिम अवसर' (Golden Chance) है। मोदी ने 15 अगस्त के अपने भाषण में बलूचिस्तान का जिक्र-भर ही क्या कर दिया, समस्त बलूची नागरिकों की बांछें खिल ही नहीं, बल्कि खिल-खिल गई हैं। वे मोदी (भारत) को अपने तारणहार के रूप में देख रहे हैं। वे भारत से हर तरह की मदद की आस लगाए बैठे हैं। वे 'वी लव यू मोदी' कहते तथा भारतीय झंडे लहराते हुए भारत के नारे लगा रहे हैं।
 
पीओके, बलूचिस्तान के बाद अब सिन्ध में भी लोग भारतीय झंडे लहरा रहे हैं तथा मोदी के फोटो लेकर लोग आजादी की मांग कर रहे हैं। भारत को भी चाहिए कि वह इस मौके का भरपूर फायदा उठाए और पाक के उपरोक्त तीनों प्रांतों को अलग करने में अपने धन व शक्ति का भरपूर इस्तेमाल कर पाक के टुकड़े-टुकड़े कर डाले! तब जाकर उसकी अक्ल ठिकाने आएगी।
 
भारत को इतना-भर करना होगा कि उपरोक्त तीनों प्रांतों में आजादी की मांग करने वालों को वह मुक्त हस्थ से पैसा व हथियार दे, बाकी 'काम' वहां के आजादी-प्रिय नागरिक कर लेंगे। 
 
यहां पाठकों की जानकारी के लिए बताना उचित होगा कि पाकिस्तान में कुल 4 ही प्रांत हैं। इनमें से पीओके, बलूचिस्तान व सिन्ध ये 3 प्रांत अलग मुल्क की मांग को लेकर लंबे समय से सशस्त्र संघर्ष कर रहे हैं तथा पाकिस्तान इनका बलपूर्वक दमन कर रहा है।
 
एक पुरानी कहावत है कि- 'इश्क, राजनीति व जंग में सब जायज है' अत: इसी नीति का इस्तेमाल करते हुए भारत को चाहिए कि वह भी बिना देर किए तेजी से आगे कदम बढ़ाए व कर डाले पाक के टुकड़े-टुकड़े! 
 
अमेरिका भी अब पाक-विरोधी
 
अमेरिका भी परोक्ष रूप से चाहता है कि पूरी दुनिया में महाबदनाम व आतंकी पाक का नाम-ओ-निशां ही मिट जाए तो बेहतर! वो यह काम भारत के माध्यम से करना/ कराना चाहता है। प्रत्यक्ष रूप से दिखावे के तौर पर वह भले ही पाक का 'आका' बना हुआ है, लेकिन 9/11 के आतंकवादी हमले और लादेन की पाक में मौजूदगी व वहीं उसे मार गिराने के बाद से अमेरिका की पाकिस्तान में दिलचस्पी खत्म हो गई है तथा वह चीन को भी दबाव में रखने के लिए भारत से दिन-पर-दिन दोस्ती गहरी करते जा रहा है।

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