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पांच राज्यों में जमीन तलाशती भाजपा

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विभूति शर्मा

केंद्र में सत्तारूढ़ होने के बाद से दो परीक्षाओं में मोदी सरकार फेल हो चुकी है। दिल्ली और बिहार के विधानसभा चुनाव ने नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी भाजपा को जमीन सुंघा दी। अब अप्रैल माह में होने वाले पांच राज्य विधानसभाओं के चुनाव भाजपा के लिए अग्निपरीक्षा के समान ही होंगे। अगर इनमें पार्टी बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई तो नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जुगलबंदी पर खतरे के बादल मंडराने लगेंगे।
 
दोबारा पार्टी अध्यक्ष बने शाह के लिए ये चुनाव सेमीफाइनल की तरह होंगे और फाइनल 2017 में उत्तरप्रदेश का चुनाव माना जाएगा, जहां लोकसभा चुनाव रिकॉर्ड सीटों के साथ भाजपा को जिताने का श्रेय लेकर ही वे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे। इन स्थितियों के मद्देनजर मोदी-शाह की जोड़ी अप्रैल के चुनावों में अपनी पूरी ताकत झोंकना चाहती है। इसकी तैयारी पिछले साल से कर ली गई थी। पश्चिम बंगाल और असम में भाजपा नेताओं के सतत दौरे इसके गवाह हैं।
 
जनता की दिलचस्पी इस बार यह भी है कि दो दबंग महिलाओं का भविष्य क्या होगा? अक्खड़ ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में अपनी साख बनाए रख पाएं तो यह उनके लिए बहुत बड़ी सफलता होगी। दूसरी ओर तमिलनाडु में जयललिता का परचम लहराते रहने के पूरे आसार नजर आ रहे हैं।
 
चुनाव आयोग ने इस माह पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में चुनाव कराने की घोषणा की, जिसके अनुसार इन राज्यों की 824 विधानसभा सीटों के लिए दंगल 4 अप्रैल से छिड़ेगा और नतीजा 19 मई को सामने आ जाएगा।
 
हालांकि अभी इन राज्यों में भाजपा का अस्तित्व न के बराबर ही है, लेकिन तैयारियों को देखकर माना जा रहा है कि इस बार भाजपा इन राज्यों में अच्छी घुसपैठ कर सकती है। खासतौर पर बंगाल और असम में। असम में दो चरणों में 4 और 11 अप्रैल को मतदान किया जाएगा। हाल में हुई हिंसा के मद्देनजर सबसे ज्यादा चरणों में पश्चिम बंगाल में मतदान होगा। यहां मतदान की तारीख 4, 11, 17, 21, 25, 30 अप्रैल और 5 मई तय की गई है। पुडुचेरी, तमिलनाडु और केरल में एक ही चरण में चुनाव होगा। तीनों राज्यों में 16 मई को मतदान किया जाएगा। 19 मई को सभी राज्यों का रिजल्ट आएगा।
 
असम : असम को भाजपा बंगाल के सामान महत्व दे रही है। यह राज्य कांग्रेस का गढ़ रहा है और अभी भी कांग्रेस के तरुण गोगोई पिछले तीन टर्म से वहां मुख्यमंत्री हैं। उनके मुकाबले में भाजपा ने सोनोवाल को अपना सीएम प्रत्याशी घोषित किया है। दिलचस्प तथ्य यह है की दोनों सीएम प्रत्याशी एक जिले जोरहाट से किस्मत आजमाएंगे। यानी चुनाव के बाद इस जिले की किस्मत बदलना तय है। पहले चरण में 65 सीटों पर 4 अप्रैल को मतदान होगा। दूसरे चरण में बची हुई 61 सीटों के लिए चुनाव होगा। जिसके लिए मतदान 11 अप्रैल को होगा।
 
पश्चिम बंगाल : पश्चिम बंगाल को इस चुनाव का सर्वाधिक महत्वपूर्ण रणक्षेत्र माना जा सकता है। इतिहास को बदलते हुए ममता बनर्जी ने पिछले चुनाव में अभूतपूर्व सफलता हासिल कर सत्ता हासिल की थी। वामदलों से मुक्त हुए इस राज्य के लोगों ने आशा बंधी थी कि अब उन तक बदलाव कि लहर पहुंचेगी, मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ और राज्य पिछड़ा ही बना रहा। हिंसा की घटनाएं और भी बढ़ गईं। ममता की इस विफलता के चलते वामदलों के साथ भाजपा के हौसले भी बुलंद हैं और वह बंगाल में पहली बड़ी सफलता के प्रति आशान्वित है। भाजपा ने काफी पहले से राज्य में अपना आधार मजबूत करना शुरू कर दिया था। मध्यप्रदेश के दबंग नेता कैलाश विजयवर्गीय को पार्टी महासचिव बनाकर बंगाल में तैनात कर दिया था। 
 
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत अनेक पार्टी दिग्गज भी बार बार दौरे करते रहे। बंगाल में इस बार कुछ नए राजनीतिक समीकरण भी बनते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस वामदलों से हाथ मिलाने को तैयार है। इसके उलट ममता की तृणमूल कांग्रेस फ़िलहाल तो एकला चलो रे की तर्ज पर चुनाव लड़ेगी, लेकिन परिणामों के बाद जरूरत पड़ने पर भाजपा से हाथ मिला सकती है।
 
पश्चिम बंगाल में 6 चरणों में चुनाव होंगे। पहले चरण का मतदान दो तारीखों 4 और 11 अप्रैल को होगा। दूसरे चरण का मतदान 17 अप्रैल को, तीसरे चरण का मतदान 21 अप्रैल को होगा। 41 सीटों के लिए चौथे चरण का चुनाव 25 अप्रैल को होगा। जबकि पांचवे चरण का चुनाव 30 अप्रैल को होगा। छठे चरण का मतदान 5 मई को होगा।
 
केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी : केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में एक ही चरण में चुनाव होगा। तीनों राज्यों में 16 मई को मतदान संपन्न हो जाएगा। तीनो राज्यों में सबकी नजर तमिलनाडु पर रहेगी, इस बार ऐसा नहीं लगता कि अम्मा जयललिता को राज्य में कोई चुनौती दे पाएगा। करुणानिधि के साथ उनकी पार्टी द्रमुक का स्वास्थ्य भी बिगड़ा हुआ है। उनके दोनों बेटे आपस में ही उलझे हुए हैं और पार्टी में अन्य कोई दमदार नेता नजर नहीं आ रहा। ऐसे में कांग्रेस ने द्रमुक का दमन थामे रहकर बड़ा जुआ ही खेला है। जहां तक भाजपा का सवाल है तो उसे अभी यहां अपने लिए जमीन की ही तलाश है, जो अम्मा का दामन थामकर मिल सकती है। तमिलनाडु का जुड़वां पुडुचेरी में ऊंट कांग्रेस या अन्नाद्रमुक किसी के भी करवट बैठ सकता है। इस बार केरल में भी वामदलों का अस्तित्व दांव पर है।
 
नतीजे : पांच राज्यों में चुनाव के नतीजे 19 मई को आएंगे। गौरतलब है कि असम में 25,000, केरल में 21,498, तमिलनाडु में 65,616, बंगाल में 77,237  और पुडुचेरी में 913 पोलिंग बूथ बनाए जाएंगे। इसके साथ ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पेड न्यूज को लेकर भी आयोग सख्त है। जैदी ने कहा कि मतदाताओं को कोई दिक्कत न हो, इसके लिए पोलिंग बूथ पर विशेष इंतजाम किए जाएंगे।

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