Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

आईपीएल यानी इंडिया, पैसा और लोकप्रियता

हमें फॉलो करें आईपीएल यानी इंडिया, पैसा और लोकप्रियता

समय ताम्रकर

, शनिवार, 26 मार्च 2022 (13:55 IST)
आईपीएल 2008 में जब शुरू हुआ तो क्रिकेट ग्लैमरस बन गया। उद्योगपति इस मैदानी जंग में कूद पड़े। फिल्म अभिनेताओं और अभिनेत्रियों ने ग्लैमर का तड़का लगाया। फटाफट क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ी की मांग बढ़ गई। शास्त्रीय खेल पर पॉवर गेम भारी पड़ने लगा। इससे रूढ़िवादी क्रिकेट विशेषज्ञ घबरा गए। उन्होंने आईपीएल पर क्रिकेट का व्यावसायिकरण का आरोप लगाया। टेस्ट मैच और वनडे को खतरा बताया। कहा कि खिलाड़ी देश के बजाय इंडियन प्रीमियर लीग को प्राथमिकता देंगे। ग्लैमर से खिलाड़ियों के पैर उखड़ जाएंगे। चीयरलीडर्स से अश्लीलता बढ़ेगी। रंग-बिरंगी रोशनी में खेले जाने वाली इस लीग में उन्हें 'नशा' दिखाई देने लगा। लेकिन आईपीएल की लोकप्रियता की ऐसी प्रचंड सूनामी आई कि विरोध के स्वर इसमें उड़ गए। आज इस लीग को न केवल भारत में बल्कि दर्जनों देश में चाव से देखा जा सकता है और ब्राडकास्टिंग राइट्स के जरिये ही अरबों-खरबों के सौदे होते हैं। आईपीएल की टीम मुंबई इंडियंस की ब्रैंड वैल्यू 2700 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है जो इस लीग की लोकप्रियता को दर्शाने के लिए काफी है।
webdunia

I से इंडिया 
आईपीएल के बाद क्रिकेट की दुनिया में भारत का दबदबा बढ़ गया। कभी ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड क्रिकेट की दुनिया के राजा थे। अपने नियम-कायदों के बूते पर राज करते थे, लेकिन आईपीएल आने के बाद इनका साम्राज्य ढह गया और अब इंडिया सर्वेसर्वा बन गया। अब डंके की चोट पर इंडिया आईपीएल की विंडो सेट करता है और इस दौरान दूसरे देश क्रिकेट खेल नहीं पाते हैं क्योंकि उनके प्रमुख खिलाड़ी आईपीएल में खेलते हैं। इन खिलाड़ियों पर उनके देश के बोर्ड का कोई नियंत्रण नहीं है। सख्ती ज्यादा करने पर खिलाड़ियों ने संन्यास ले लिया और आईपीएल में खेलने लग गए इससे उन देशों के बोर्ड सहम गए। आईपीएल की लोकप्रियता कम करने के लिए ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज, पाकिस्तान, श्रीलंका जैसे देशों ने अपने देश में प्रीमियर लीग आयोजित की, लेकिन ये आईपीएल की तुलना में कहीं नहीं ठहरती। अब सारे देश के बोर्ड्स ने आईपीएल के सामने हथियार डाल दिए हैं और इस लीग को स्वीकार कर लिया है। तब से इंडिया का डंका क्रिकेट की दुनिया में बजने लगा है। 
 
P से पैसा 
आईपीएल जब 2008 में शुरू हुआ था तब उसके पूर्व क्रिकेट खिलाड़ियों की नीलामी हुई थी। जब करोड़ों रुपये में खिलाड़ियों को खरीदा गया तो न केवल क्रिकेट खिलाड़ी बल्कि दुनिया भर के क्रिकेट प्रशासकों की आंखें चौंधिया गई थी। खिलाड़ी जीवन भर खेल कर इतने पैसा नहीं कमा सकते थे जो आईपीएल के एक या दो सीज़न खेल कर कमा सकते थे। इंग्लैंड के क्रिकेटर केविन पीटरसन के इस कथन ने तूफान मचा दिया था कि मैं आईपीएल का एक सीज़न खेल इतना कमा सकता हूं जितना इंग्लैंड के लिए दस साल तक खेल कर नहीं कमा सकता। फिर दस साल किसने देखे? मुझे चोट लग सकती है जिससे मेरा करियर तबाह हो सकता है या मुझे टीम से ही बाहर कर दिया जाए। पीटरसन का यह कथन प्रत्येक खिलाड़ी की सोच को दर्शाता है। खिलाड़ियों पर इनामों की बौछार होने लगी। मैन ऑफ द मैच के अलावा कई पुरस्कार दिए जाने लगे। सिर्फ टीम में चयन होने पर ही खिलाड़ी लखपति हो जाता था। 
 
वेंकटेश अय्यर जैसे खिलाड़ी को केकेआर ने बीस लाख रुपये में खरीदा था, लेकिन जैसे ही वेंकटेश ने अच्छा प्रदर्शन किया उनकी कीमत अगले ही सीज़न में 8 करोड़ रुपये पहुंच गई। 18 साल के खिलाड़ी पैसा कमाने लगे। आईपीएल में खेलना ही खिलाड़ियों का ध्येय हो गया। सिर्फ खिलाड़ियों ने ही नहीं कमाया। एअरलाइंस कंपनी, होटल इंडस्ट्री, स्थानीय स्टेडियम भी मालामाल होने लगे। आईपीएल मैचेस के दौरान बाहर से खाने के ऑर्डर बढ़ जाते हैं। पब और बार में पांव रखने की जगह नहीं मिलती। फैंटेसी गेम में अरबों रुपये लगते हैं और लोग अपनी फैंटेसी इलेवन चुनकर मैच का मजा लेते हैं। 
 
ब्रॉडकास्टिंग राइट्स कई देशों को बेचे जाने लगे और इससे भारतीय बोर्ड मालामाल हो गया। 2008 में जब आईपीएल शुरू हुआ तब सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स और वर्ल्ड स्पोर्ट ग्रुप ने 1.03 बिलियन यूएस डॉलर में राइट्स खरीदे थे। 2017 में यह रकम 2.55 बिलियन यूएस डॉलर तक पहुंच गई। टीवी पर आईपीएल मैचेस के प्रसारण के दौरान खूब विज्ञापन मिले क्योंकि व्यूअरशिप दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ी। शुरू में लगा था कि बड़े शहरों में ही आईपीएल को दर्शक मिलेंगे, लेकिन गांवों में भी यह खूब देखा जाने लगा। स्टार के सीईओ उदय शंकर ने एक इंटरव्यू में बताया कि पिछले दस सालों में भारत, क्रिकेट और आईपीएल तीनों में अद्‍भुत परिवर्तन आया है। क्रिकेट फैंस के यूनिवर्स की संख्या अभी और बढ़ेगी। इसी कारण सोशल मीडिया के जरिये भी करोड़ों कमाए जाते हैं। सभी टीमों के सोशल मीडिया पर अकाउंट हैं जिस पर मीम्स, वीडियो, फोटो और लेटेस्ट जानकारी दी जाती है। फैन बेस बनाया जाता है जिससे करोड़ों लोग जुड़ते हैं। 
 
आईपीएल का टीवी प्रसारण उच्च कोटि का होता है। ग्राफिक्स के द्वारा खेल को समझने में आसानी होती है। दर्जनों कैमरे लगाए जाते हैं जो छोटे से छोटे डिटेल्स को दर्शकों तक पहुंचाते हैं जिससे खेल देखने का मजा बढ़ जाता है। यह हर उम्र और वर्ग के दर्शकों को अपील करता है इसलिए सभी प्रमुख कंपनियां टीवी प्रसारण के दौरान विज्ञापन देती है और टीमों को स्पांसर करती है। किसी भी खिलाड़ी की जर्सी देख लीजिए, विज्ञापन की चलती-फिरती दुकान नजर आता है। 
 
L से लोकप्रियता 
आज आईपीएल की लोकप्रियता अमेरिकी फुटबॉल लीग एनएफएल और बॉस्केटबॉल लीग एनबीए के बराबर है। मजेदार बात यह है कि माना जाता है कि महिलाएं क्रिकेट कम देखती हैं, लेकिन 2020 में आईपीएल के टेलीविजन दर्शकों में महिलाओं का प्रतिशत 43 था। इस संख्या ने सभी का ध्यान खींचा है। ये महिलाएं भले ही विश्वकप या दो पक्षीय सीरिज नहीं देखती हैं, लेकिन आईपीएल जरूर देखती हैं। आईपीएल अप्रैल और मई माह में खेला जाता है और इस दौरान स्कूलों में छुट्टियां रहती हैं इसलिए 10 से 15 साल के बच्चे भी इस टूर्नामेंट को खूब देखते हैं। 
 
आईपीएल की लोकप्रियता का लाभ खिलाड़ियों को भी मिल रही है। ऋषभ पंत, श्रेयस अय्यर, ऋतुराज गायकवाड़, मोहम्मद सिराज़, हार्दिक पंड्या, वेंकटेश अय्यर, संजू सैमसन जैसे खिलाड़ियों ने आईपीएल में जानदार प्रदर्शन कर टीम इंडिया तक रास्ता बनाया। आईपीएल ऐसा प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराता है कि आप सीधे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो जाते हैं। रणजी ट्रॉफी में खेल कर टीम इंडिया में रास्ता बनाने का सफर अब लंबा हो गया है। आईपीएल में आपकी प्रतिभा को इंटरनेशनल लेवल पर देखा जाता है। आज यश ढुल जैसा युवा खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों से बातचीत करता है। रूम शेयर करता है। नामी भूतपूर्व खिलाड़ियों की कोचिंग में अपना खेल निखारता है और ऐसा सिर्फ आईपीएल में ही संभव है। 
 
आईपीएल की लोकप्रियता विदेशी खिलाड़ियों के भी सिर चढ़ कर बोल रही है। वे अपने बोर्ड से बगावत करने के लिए तैयार हैं। आईपीएल के पहले शेन वॉर्न जैसा खिलाड़ी भारत आने से बचता था। भारत आते थे तो तीन-तीन महीने का पानी और खाना साथ लाते थे। यहां की गर्मी से उन्हें परेशानी होती थी। ट्रैफिक, धूल और धुएं की शिकायत करते थे। अब यही नखरैल खिलाड़ी राजस्थान की चिलचिलाती धूप में मैच खेलने के लिए एक पैर पर तैयार रहते हैं। भूतपूर्व खिलाड़ी किसी न किसी बहाने जुड़ते हैं। कोई कॉमेंट्री करना चाहता है तो कोई तकनीकी टीम का सदस्य बनना चाहता है। आईपीएल शुरू होने के 15 दिन पहले से ही माहौल बन जाता है और जब आईपीएल खत्म होता है तो करोड़ों दर्शकों की शाम से रंगीनियत गायब हो जाती है। समझ नहीं आता कि वे क्या करेंगे? 
 
आईपीएल अब हर क्रिकेट प्रेमी की रग में दौड़ता है। यह क्रिकेट की दावत है जिसमें सारे नामी-गिरामी खिलाड़ी अपना दमदार खेल दिखा कर क्रिकेट प्रेमी को आंदोलित कर देते हैं। दो साल से कोरोना की चपेट में दुनिया आई जिसका असर आईपीएल पर भी हुआ। लोग मर रहे थे तो भला आईपीएल कैसे देखा जा सकता था। अब स्थिति बेहतर है। फिल्में चलने लगी हैं। रेस्तरां फुल रहने लगे हैं। सैर-सपाटे पर लोग निकलने लगे हैं तो चौंकिएगा मत यदि इस बार की आईपीएल व्यूअरशिप नया कीर्तिमान बना दे तो। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मैच प्रिव्यू: दो नए कप्तानों से होगा IPL 2022 का आगाज, यह है CSK और KKR की ताकत और कमजोरियां